झलक गेहूंए रंग की साधारण नाक-नक्श वाली लड़की है। बचपन से ही उसे अपने रूप रंग को लेकर कांपलेक्स रहता। वह अपनी सहेलियों की तुलना में स्वयं को कमतर आंकती। पढ़ाई लिखाई में साधारण झलक सदैव खोई-खोई सी रहती थी।
दसवीं की परीक्षा देने के बाद उसके हाथ में अपना पर्सनल मोबाइल आ गया। आधुनिक टेक्नोलॉजी से बने कैमरे व फिल्टर की सहायता से वह एक से एक खूबसूरत पिक लेने लगी।
तरह-तरह की वीडियो, रील्स बनाना उसका प्रमुख शगल हो गया। सारे दिन मोबाइल पर वीडियो, रील्स अपलोड करना, नई नई पिक डालना ही उसकी दिनचर्या बन गया। उसकी एक-एक वीडियो पर हजारों लाइक आते। उन्हें देखकर उसकी प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहता।
वह एक दिखावे की दुनिया के चक्रव्यूह में फंसे जा रही थी। पढ़ाई लिखाई से उसने एकदम किनारा कर लिया था। अब उसकी इंटरमीडिएट की परीक्षाएं सर पर थी।
उसको पेपर की कुछ भी तैयारी नहीं थी। अपने सभी यार दोस्तों से उसने पढ़ाई में मदद मांगी पर किसी ने भी उसकी सहायता नहीं की बल्कि उसे मुसीबत में देख कर सबने उसके मोबाइल के अधिक प्रयोग का मजाक उड़ाया। सबका ऐसा बदला हुआ व्यवहार देखकर आज उसका #मन बहुत खट्टा हो गया।
मम्मी- पापा ने उसकी पढ़ाई को लेकर बहुत सपने सजाए थे। आज उसे सारे सपने टूटते नजर आ रहे थे। परीक्षा की घड़ी में उसके सारे मोबाइल मित्र किनारा कर गए। आज उसे एहसास हो रहा था कि स्वप्निल दुनिया का वास्तविक दुनियाँ से कोई मेल नहीं है। उसकी आँख से झर-झर अश्रु जल बह रहे है।
आज वर्चुअल वर्ल्ड हमारे ऊपर ज्यादा हावी होता जा रहा है जिससे हम वास्तविक जीवन से दूर होते जा रहे हैं। टेक्नोलॉजी का प्रयोग करना तो चाहिए लेकिन एक सीमा तक। ये ना हो कि आधुनिक तकनीकी हमें अपना शिकार बना दे।
आज के समय में सभी माता-पिता का कर्तव्य है कि बच्चों को गैजेट्स देने के स्थान पर समय प्रदान करें।
बच्चों के स्क्रीन टाइम को समय सीमा में बांधे। बच्चों के मोबाइल प्रयोग पर नजर रखें।
#जी खट्टा होना मुहावरा आधारित कहानी
प्राची अग्रवाल
खुर्जा उत्तर प्रदेश