मीनू!”आइ हेट टीयर्स” – कुमुद मोहन   : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : आधी रात रमेश जी को दिल का दौरा पड़ा ,पास लेटी हुई मीना जबतक कुछ समझ पाती ,घबराकर किसी को मदद के लिए बुलाने जाती रमेश जी  मीना के हाथ कसकर पकड़कर कांपते हुए बोले”जा रहा हूं पर वादा करो कभी रोओगी नहीं,तुम्हें मेरी कसम!बस ये एक आखरी वचन दो मुझे,एक बार वैसे ही हंस दो जैसे हमेशा मुस्कराती हो,तुम तो जानती हो मीनू “आइ हेट टीयर्स”और राजेश खन्ना की नकल उतारते उतारते उन्होने सदा के लिए आंखें मूंद ली!जबतक मीना अपनी फीकी सी मुस्कान से रमेश जी को खुश करती वे उसे सदा के लिए अकेला छोड़कर जा चुके थे!

  मीना हक्की-बक्की सी कभी उनकी नब्ज तो कभी सीने पर सर रख उनके दिल की धड़कन सुनने का प्रयास करती रही!

मीना का जी चाह रहा था दहाड़ मार कर रोऐ और मन का सारा गुबार एक बारगी निकाल दे!

पर रमेश जी की प्यार भरी निगाहों की याचना भरी अंतिम झलक उसे आंसू बहाने से रोक रही थी!

दिल पर पत्थर रख कर होठों को कसकर दबा,खुद को मज़बूत बना ,किसी तरह अपनी आँखों में आए आँसुओं के सैलाब को बहने से रोकने का भरसक प्रयास करती रही!

रमेश जी के निष्प्राण शरीर को देखती हुई मीना अपनी और रमेश जी के साथ बिताऐ यादों के गलियारे में जा पहुँची!

मीना को चालीस साल पहले रमेश जी के साथ अपने ब्याह का दिन याद आ गया !बिदा के वक्त मीना बहुत रो रही थी!ससुराल को लेकर बहुत डरी सहमी थी!रमेश जी बड़ी कातर दृष्टि से मीना को देख रहे थे!

विदा होते हुए जब आगे बढ़ते हुए लड़की छाज से खील उछालकर पीछे की तरफ मां का आंचल भरती है!तो रमेश जी ने धीरे से मीना के कान में कहा था”आंखों के इन आँसुओं को भी पीछे की ओर उछाल दो ,हमारे जीवन के नये सफर में अब इनकी कोई गुंजाइश नहीं!

कार में बैठकर भी जब मीना मां-बाप बहन भाई से लिपटकर रोती रही तो गाड़ी चलते ही रमेश जी ने मीना की हथेली अपने हाथ में लेकर कहा था”कह नहीं सकता कि तुम्हें कितना खुश रख पाऊंगा पर वादा करता हूं तुम्हारी आँखों में आज के बाद आँसू का एक कतरा भी नहीं आने दूंगा!

तुम्हें इतना प्यार दूंगा कि मायके को याद करके तुम्हें कभी रोना नहीं पड़ेगा! 

अपना यह वायदा रमेश जी ने मरते दम तक निभाया!

उन्होंने हमेशा कोशिश की कि उनकी मां और परिवार के अन्य सदस्य कभी कोई ऐसी बात न करें जिससे मीना का दिल दुखे!

रमेश और मीना के दो बच्चे हुए! डिलिवरी के समय भी जब मीना को बहुत दर्द हो रहा था रमेश जी हर वक्त उनको ढांढस बंधाते साथ खड़े रहे!

मीना कभी किसी बात पर दुखी होती तो रमेश जी मजाकिया अंदाज में उनका ध्यान हटाने की कोशिश करते!

वे “अमर प्रेम “फिल्म का डायलॉग बड़े ही नाटकीय अंदाज में बोलते”मीनू यू नो ,आए हेट टीयर्स”और उनकी मीनू आँखे छलकने से पहले ही खिलखिला कर हंस पड़ती!

रमेश जी को बस एक बात अखरती वो ये कि वे चाहते थे कि मीना जहाँ जाऐ उनके साथ जाऐ!मीना के बिना एक दिन भी अकेले रहना उन्हें पसंद नहीं था!उनके बेपनाह प्यार के आगे मीना हार जाती!वह मायके भी उन्ही के साथ जाती और लौट आती!

उन दोनों को तो एक दूसरे के बिना जीना आता ही नहीं था!

बैठी बैठी मीना सोच रही थी जब एक दिन भी रमेश जी उसके बिना रह नहीं पाते थे तो क्यों उसे अकेला छोड़कर चले गए! 

बेटा-बेटी ,सगे सम्बन्धी ,दोस्त,पड़ोसी जमा हो गए! रमेश जी की अंतिम यात्रा की तैयारी हो गई! 

मीना जो अबतक निर्विकार और तटस्थ सी चुपचाप सबकुछ देख रही थी एकाएक

 रमेश जी के शव से लिपटकर फूट-फूटकर कर रो पड़ी “मुझे माफ कर दो!जब तुम ही नहीं रहे तो तुम्हारी कसम का क्या करूंगी!मेरी हिम्मत तो तुम थे !चालीस साल तक इन आँसुओं को तुमने आँखों  से निकलने नहीं दिया!अब इस सैलाब को बह जाने दो,अब पता नहीं कितनी बार ये आँखें छलकेंगी कोई इन्हें पोंछने वाला नहीं होगा!

किसी ने भी मीना जी को इस तरह जार जार रोते नहीं देखा था उनका विलाप देखकर कड़े से कड़े दिल के लोगों की भी आँखें भर आई! 

कुमुद मोहन 

मौलिक/अप्रकाशित

#आँसू

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