आ जाओ सकीना…ध्यान से आना…!!
फरहान ! वैसे कौन से फ्लोर पर है फ्लैट..??
पाँचवें फ्लोर पर है…लिफ्ट है दिक्कत नहीं आयेगी…!!!!
अरे वाह..कितना अच्छा जमा दिया है…!!
हाँ मुझे पता था ना..तुम्हारा सातवाँ महीना चल रहा है..ऐसे में तुम्हें बहुत ध्यान रखनें की जरूरत है…. अच्छा तुम खाना खा लो और आराम कर लो…मुझे कुछ काम है मैं थोड़ी देर में आता हूँ…!!!!
सकीना ने थोड़ी देर आराम किया फिर…उसने सोचा बाहर लॉबी में टहल लेती हूँ…!!
वो बाहर निकली तो पास के ही फ्लैट से एक साठ-पैंसठ साल की महिला बाहर निकली…तो सकीना को देखकर मुस्कुराई…. उसने भी सिर हिला दिया…!!
उन्होंने पूछा आज ही आयें हो बेटा..??
जी आन्टी आपके पास का फ्लैट हमनें किरायें पर लिया है…!!
ये हमारा फ्लैट है…मैं और अंकल रहतें हैं…बेटा-बेटी दोनों अपने-अपने परिवारों के साथ कनाडा में रहतें है..!!
इतनें में फरहान आ गया… और उसने सकीना को अंदर आने का इशारा किया…प्यारी सी स्माइल देकर वो जल्दी से अंदर चली गयी…!!!!
फरहान ने सकीना को गुस्से से बोला कि ऐसे ही किसी से बात मत किया करों…क्यूँ बात कर रही थी…??
वो यही रहतें है मुझे तो बहुत अच्छी लगी वो आन्टी जी तुमको तो सब गलत ही लगतें हैं…!!
अच्छा..अभी क्या खिला रही हों..??
फरहान की अनुपस्थिती में सकीना का आन्टी-अंकल के यहाँ आना-जाना बहुत हो गया था….जब उसने बताया कि सास-ससुर हैं नहीं व अब्बा भी बीमार हैं तो उनकों छोड़कर अम्मी भी नहीं आ सकती हैं…!!!!
तो उन्होनें कहा कि हम हैं ना तुम्हारा बहुत ध्यान रखेगें और वो भी उसका बहुत ध्यान रखतें थें…उसे जो पंसद होता वो आन्टी बनाकर देती व अंकल भी बाजार से उसके लिये रोज कुछ ना कुछ लातें थे…उसकों भी उनके साथ अपनापन लगता था…!!!!
उसकों नौंवा महीना लग गया था आन्टी-अंकल को बहुत चिन्ता थी इसलियें जैसे ही फरहान जाता आन्टी उसे अपने यहाँ ही ले आती थी कि वो अकेली ना रहें…उन्होने उसकी अम्मी से बात कर उन्हें भी विश्वास दिलाया कि वो उसका पूरा ध्यान रखेंगे..!!
फरहान का भी पूरा ध्यान उस पर ही लगा रहता था कि अकेली है..इसलियें उसने छुट्टियों के लिये अर्जी भी दे दी थी पर जब से मिली उसका आधा महीना निकलनें के बाद की मिली…!!!!
नौंवा महीना लगे ग्यारह दिन ही हुये थे कि उसकों दर्द उठ गया ये तो अच्छा था कि आन्टी उसके पास थी तो वो लोग उसे जल्दी से हॉस्पिटल ले गये और सकीना ने फरहान को भी फोन कर दिया…!!!!
जब तक वो पहुँचें फरहान पहले ही पहुँच गया था उसने वहाँ सब तैयारी करा दी थी… जल्दी से उसे अंदर ले गये…डॉ० ने खुशखबरी सुना दी कि…बेटा!हुआ है…!!
फरहान खुश था पर आन्टी-अंकल की खुशी देखकर हैरान भी था कि वो इतने खुश लग रहें है जैसे वो ही दादा-दादी बन गये हों…!!!!
डॉ० ने कहा आप मिल सकतें है अब…जल्दी ही तीनों अंदर आ गये…अंकल ने पहले बच्चे पर से वारकर पाँच सौ रूपये नर्स को दियें आप सब मिठाई खाना…फिर आन्टी ने बच्चें को उठाया और दो हजार बच्चें को दियें..!!!!
फरहान ने सकीना से पूछा कैसी हो व दोनों ने एक-दूजे को बधाई दी..फिर सकीना मे फरहान को बताया कि कैसे आन्टी-अंकल उसका हर समय ध्यान रखा और उसकों बिल्कुल भी अकेला नहीं रहने दिया…!!!!
अब फरहान ने झुककर उनको प्रणाम किया और बहुत बहुत शुक्रिया अदा किया…फिर बोला कि सच कितना प्यारा रिश्ता बन गया ना…आप अपने प्यार से दादा-दादी तो बन गयें पर अब मेरे अम्मी-अब्बू भी बन जाईयें ना… प्लीज़..!!!!
उन्होंने फरहान को गले लगा लिया…बोलें कि कभी-कभी परायें भी अपनें बन जातें है…बहुत अपनें…!!!!!
#पराए_रिश्ते_अपना_सा_लगे
गुरविंदर टूटेजा
उज्जैन (म.प्र.)