“मुझे ना सुनना पसंद नहीं है।”
“और मुझे भी।…..” जितने जोर से अमित ने कहा, उससे दुगुने जोर से अनिता चिल्लाई। अमित की मां, ने जब अनिता की यह हरकत देखी तो….गुस्से से आग-बबूला हो गई। तुरंत अनिता की मां को फोन मिलाया। “आपने अपनी बेटी को क्या सिखाया है, अपने पति को ना कहे, और….उसकी बराबरी करे। मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती है, आपकी बेटी को बहु बनाना। हो सके तो आकर अपनी बेटी को ले जाईए। आपकी बेटी में तमीज नहीं है, जब तमीज सीख ले तो भेज दीजिएगा।” अनिता की मां ने शांत और प्यार भरे शब्दों में जवाब दिया। “आप क्या कह रही हैं, मुझे तो वहां की कोई जानकारी नहीं है। वैसे…आप अपनी बहु को भेजना चाहती हैं तो….उसे कह दें, वह चली आयेगी, मुझे जाकर लाने को कोई जरूरत नहीं है। इतनी होशियार तो है मेरी बेटी की, अकेले कहीं आ जा सके।”
अनिता की मां की बातों ने, अमित की मां का गुस्सा और बढ़ा दिया। “मां के ही इतने शान हैं, तो बेटी के क्या कहने।” और फोन काट दिया। अमित ऑफिस चला गया, और अनिता रसोई के कामों में लग गई। आज अनिता का ऑफिस ऑफ़ है। अनिता भी वर्किंग है, और अमित भी। अमित और अनिता की शादी के लगभग पांच महीने हो गए हैं। अमित ने शादी की बातें करते समय तो कह दिया था कि अनिता की नौकरी से, मुझे कोई दिक्कत नहीं, वह शादी के बाद भी काम करना चाहे तो… हमलेगों को कोई समस्या नहीं। अमित भी अच्छे कंपनी में कार्यरत था। घर परिवार ठीक-ठाक था। अमित के बड़े भाई की शादी हो चुकी थी, और वो काम के सिलसिले में, परिवार सहित दूसरे शहर में रहते थे। एक ननद थी, वो भी ससुराल बसती थी।
छोटा ही परिवार था, साथ ही अनिता के काम से उन्हें कोई दिक्कत न थी। तो अनिता और अनिता के घरवाले ने शादी के लिए हां कह दिया। बड़े धूमधाम से अनिता और अमित की शादी हो गई। अमित और अनिता शुरुआती महीनों में बहुत खुश थे, पर कुछ दिनों बाद….अमित, अनिता की नौकरी छुड़ाने के सपने बुनने लगा। शुरुआत प्यार से किया।…..अनु सब मेरा मजाक उड़ाते हैं, पत्नी कमाती है, जबकि मेरे सभी दोस्तों की बीवियां, जब दोस्त ऑफिस से घर जाते हैं, तो सज-धज कर उसका इंतजार करती। ओह, मेरे सजन, मैं भी तो जिस दिन मेरी छुट्टी रहती, बेसब्री से आपका इंतजार करती। और दिनभर ही तो हम ऑफिस में रहते हैं। बाकी रात तो हमारे प्यार की साक्षी बनता ही है। तुम नहीं समझती हो,…..अनिता, मैं नहीं चाहता कि तुम इतनी मेहनत करो।
तुम बहुत नाजुक हो, और ऑफिस का प्रेसर,….जानती हो, मुझे लगता, क्या मैं तुम्हारी जरूरतें पूरा नहीं कर सकता, जो तुम….बाहर काम करती हो। अमित, अनिता पर काम छोड़ने के लिए हर तरह से दबाव बनाने लगा। देखिए जी आप जानते ही हैं, की मेरा अतिरिक्त खर्चा कुछ भी नहीं है, जो आपकी या मेरी कमाई से पूरा नहीं होगा। पर मैंने आज काम करना शुरू नहीं किया है, मेरे माता-पिता ने मुझे पढ़ाया, तो मैं काम कर रही हूं। साथ ही, आपने तो शादी के पहले कहा ही था कि, शादी के बाद भी तुम्हारे काम करते रहने से मुझे कोई ऐतराज नहीं। गुस्से में आ जाता था अमित, फिर भी खुद को संभालते हुए कहता, तुम्हें देखकर, तुम्हें खोना नहीं चाहता था,
इसलिए कहा, और मुझे अपने प्यार पर यकीं था कि….मैं तुम्हें नौकरी छोड़ने के लिए मना लूंगा। देखो अमित, किसी से जबरदस्ती अपनी बातें मनवाना, बिना दूसरों की भावना समझे, इसे प्यार नहीं कहते हैं। और आप रोज रात इस टॉपिक को लेकर न बैठें। मैं काम करते रहूंगी। अपने स्वाभिमान के लिए, अपने माता-पिता के लिए, साथ ही अपने आत्मसम्मान के लिए। अमित और अनिता, में रोज इस बात की चिक-चिक होने लगी। अमित कभी नाश्ता छोड़ चला जाता, कभी रात देर से आता, अनिता से बातें भी कम करता। वह अनिता से कहता, में तुमसे बस एक चीज चाहता हूं कि….तुम नौकरी न करो, और तुम….मेरे लिए अपनी नौकरी नहीं छोड़ सकती हो, इसे ही पत्नी कहते हैं। अनिता कहती, “पांच सही कारण बता दीजिए, जो मैं काम न करूं।” “सबसे बड़ा कारण तो है तुम्हारे पास, तुम्हारा पति नहीं चाहता है।
“मेरा पति कल को चाहेगा, मैं अपनी मां से बात न करूं, कल चाहेगा, मैं खाना छोड़ दूं, ये कोई मानने वाली बात नहीं है। अब तुम मुझपर दवाब मत बनाओ।” कभी-कभी अमित की मां भी कहती बहु….अमित कहता है तो छोड़ दो न काम, वैसे भी औरत को घर में कई काम होते हैं। तुम बच्चा जनोगी, बच्चे की देखभाल, और महिलाओं के वे मुश्किल दिन भी तो आते हैं, आखिर जब तुम्हारा पति कह रहा है, तो तुम क्यों झेलना चाहती हो।
और औरत तो घर की लक्ष्मी, घर का गहना है,
अपने पति की ईच्छा रखने के लिए छोड़ दो काम। मांजी, जब मैं मां बनूंगी, तो ऑफिस मुझे मातृत्व अवकाश देगा, और मैं घर भी संभाल ही लेती हूं, और वे मुश्किल दिन के लिए ऑफिस में व्यवस्था है, अलग वाशरूम, साथ ही, महिलाओं को दो विशेषवकाश भी मिलता है हर महीने, सब कुछ समान्य चल रह है, तो फिर काम छोड़ने की क्या जरूरत है? आप भी तो कम से कम अमित का साथ न दें। बस इसी तरह, रोज….अनिता की नौकरी को लेकर विवाद होने लगा।
आज तो उसने कह दिया, तुम नौकरी छोड़ोगी, ये मेरा अंतिम फैसला है। इसपर अनिता ने भी कह दिया, बिल्कुल नहीं। कभी समान्य, कभी विवादित, जिंदगी चल रही थी दोनों की, पर….अनिता छोटी मोटी परेशानियों से घबराती नहीं थी। कुछ दिन बाद….आज आचनक, अमित की मां की तबीयत ज्यादा खराब हो गई। आधी रात
….नजदीक का कोई अस्पताल खुला न था, अनिता का एक दोस्त डॉक्टर था, उसने उसे फोन कर घर ही बुला लिया। अनिता के दोस्त ने मांजी को देखा, और बगल का अस्पताल खुलवाया, मांजी को जल्दी से एडमिट करवाया। साथ ही मांजी के ईलाज में, काफी खर्चा आया। अमित के साथ-साथ अनिता के जमा पैसे भी लग गए। पंद्रह दिन बाद मांजी होश में आई। बहु को सामने देख….कहा, बेटा अमित? मांजी वो ऑफिस गए हैं, आज मैं हूं आपके पास। एक दिन वो, और एक दिन मैं रहती थी
आपके पास, दोनों एक साथ छुट्टी नहीं, ले सकते थे न। अब वो आते ही होंगे, आप चिंता न करें। आप बिल्कुल स्वस्थ हैं। अमित के ऑफिस से आ जाने के बाद, अनिता और अमित मांजी को लेकर घर आ गए। मांजी को अमित ने सारी बातें बताई, कैसे अनिता के डॉक्टर दोस्त ने अस्पताल खुलवाया, जब अमित के पास, मां की इलाज में पैसे कम होने लगे तो…कैसे अनिता ने अपनी सारी जमा पूंजी मां(सास) के ईलाज में लगा दिया। कैसे, अमित की नौकरी को भी बचाए रखा, और अपना भी ऑफिस जाते रही। और तन-मन से सास की सेवा किया है अनिता ने।
आंखों में आसूं आ गए सासू मां के, बेटा, बहु हमारी कामकाजी है, इससे आजतक हमें कोई परेशानी तो नहीं हुई, पर….उसके कामकाजी होने से, मेरी जान बच गई। हां, मां, मैं भी शर्मिंदा हूं, अपनी छोटी सोच पर, पर अनिता ने जरा भी मुझे बुरा नहीं महसूस करवाया। बहु से मैं भी माफी मांग लूंगी। तब तक अनिता की मां भी अपने समधन को देखने आ चुकी थी,
“अब कैसी हैं समधन जी?” “ठीक हूं, मैं आपको एक बात कहना चाहती हूं,….।” “हां, हां, कहिए न “। आपकी बेटी को अपनी बहु बनाकर, सबसे बढ़िया काम किया है मैंने। अनिता की मां के आखों में भी खुशियों के आसूं थे। उन्होंने कहा, मेरी बेटी हीरा है, तो आप जौहरी, हर कोई हीरा को नहीं पहचान सकता। “अब आपकी बेटी नहीं, मेरी बहु,” अनिता की सास ने कहा। “हां, हां, सिर्फ आपकी बहु….”और दोनों समधन हंसने लगे। अनिता चाय लेकर आई, अमित, अनिता, और दोनों समधन ने आज…..साथ चाय पीकर, रिश्तों की मिठास को और बढ़ा दिया।
चाँदनी झा