मेरी पत्नी को तो दिनभर टोकती है मम्मी अपनी बेटी को भी कुछ कहों। – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

मम्मी जी मैंने सबका खाना बना कर रख दिया है अब मैं जाऊं भाई को राखी बांधने। अरे कहां जा रही हो बहू अभी तुम्हारी ननद वंशिका आ रही है उसके पसंद का खाना कौन बनाएगा। लेकिन मम्मी जी मैंने तो खाना बना दिया है और आपसे मैंने बताया था न कि भाई कई सालों बाद आया है मुझे राखी बांधने जाना है। लेकिन वंशिका के पसंद का खाना बनाना है बेटी मायके आ रही है तो उसको कैसा लगेगा तुम बाद में मिलने चली जाना भाई से मिलने लेकिन मम्मी जी मुझे भी तो भाई को राखी बाधंनी है।

तुम्हें अपने भाई को राखी बांधने है तो वंशिका को भाई को राखी नहीं बांधनी है क्या।इतने में कमरें से बाहर आकर बेटा शिखर बोला क्या हो गया मम्मी जी आप हर समय स्वाति को ही दबा देती है क्या बोल रहा है देख नहीं रहा है तेरी बीबी जुबान चला रही है।ज़ुबान चलाने पर आप ही मजबूर कर रही है मम्मी जी स्वाति बोली। मम्मी स्वाति ने मुझसे पूछा था मायके जाने के लिए तो मैंने ही कहा था कि खाना वगैरह बना कर रख दो फिर चली जाना। तुझसे पूछा और मुझसे नहीं पूछा इन्दु जी बोली।

आपसे पूछती तो कौन सा आप जाने देती मना ही कर देती ।और स्वाति का भाई तो विदेश में रहता है ,तीन सालों बाद आया है तब भी आप मना कर रही हो जाने को ।और वंशिका , वंशिका तो हर दूसरे दिन आई रहती है मायके।और फिर वंशिका को राखी बाधनी है तो मैं घर पर ही हूं बाध‌ देगी ।आप वंशिका के लिए तो हर समय खड़ी रहती है और स्वाति के लिए गुस्सा दिखाने लगती है ये क्या हैं । ऐसा ही वंशिका के साथ उसकी सास करें तो कैसा लगेगा।तब तो आप कहती हो वंशिका से तुम्हारी सास रोके

तो तुम तो कह देना कि मुझे तो जाना  ही है राखी पर मायके।और राखी ही क्या वो तो हर वक्त मौजूद होती है यहां पर ।आज तो मम्मी स्वाति मायके जाएगी बस। हां हां तू तो बीबी का ही पक्ष लेगा न ,और खाना कौन‌ बनाएगा। बना तो दिया है स्वाति ने ।वो वंशिका के पसंद का इंदु जी बोली,,,,,,,।वो मम्मी आप और वंशिका खुद ही देख लेना जो खाना बना है उससे कुछ अलग खाना है तो बना लेना।और नहीं तो फिर कभी बन जाएगा वंशिका तो आती जाती रहती है।

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                  अब इंदु जी का मुंह बन गया । स्वाति को लेकर शिखर मायके छोड़ने निकल पड़ा ।

            मम्मी आज मेरे दोस्त के बच्चे का बर्थडे है मैं और‌ स्वाति को वहां जाना है आप बता दें खाना क्या खाएंगे स्वाति बना देगी और नहीं तो वंशिका को बुला लीजिए आप और वंशिका मिलकर अपनी पसंद का बना लें।अरे वंशिका को ससुराल से कैसे बुलाए । क्यों वैसे तो हर दूसरे दिन ही आई रहती है ।

शिखर को बीबी का पक्ष लेते हुए देखकर इंदु जी चुप हो गई। तभी स्वाति तैयार होकर नीचे आ गई । उसको देखते ही इन्दु जी भड़क गई अरे ये क्या पहन रखा है बहू तुमने , कुछ घर का कुछ बड़ों का लिहाज है कि नहीं ,जाओ कपड़े बदल कर आओ । इसमें क्या बुराई है मम्मी ।मैं कह रही हूं न बदलो जाओ । तभी शिखर आ गया क्या है मम्मी क्यों हर समय स्वाति के पीछे पड़ी रहती है । मैंने कहा था उससे ये ड्रेस पहनने को क्या बुराई है इसमें कायदे की तो डेस तो है।और वंशिका भी तो पहन कर आती है तब आप उससे कुछ नहीं कहती ।बहू और बेटी में फर्क होता है बेटा । लेकिन आती तो ससुराल से ही है न ।

            और मम्मी उस दिन मैंने सुना था आप वंशिका से फोन कह रही थी ज्यादा दबना मत अपनी सास से जवाब दे दिया कर । और स्वाति तो आपकी इतनी इज्जत करती है कभी आपको जवाब नहीं देती हमेशा आपका ध्यान 

 रखती है । मम्मी जरूरत से ज्यादा टोका टोकी न रिश्तों में दरार डाल देती है। अभी तो बहू आपकी इज्जत कर रही है आपको मान दे रही है और जब पानी सिर से ऊपर चला जाएगा न तो फिर बहू भी जवाब देने लगेगी फिर न कहना। फिर न कहना बहू मेरी इज्जत नहीं करती । मम्मी आपकी बेटी जो भी करें तो ठीक है। मम्मी स्वाति की जगह वंशिका को रखकर देखिए तो आपको समझ आयेगा।

         आज जब वंशिका मम्मी से मिलने आई तो इंदु जी ने उसको सारी बात बताई तो वंशिका भी सोच में पड़ गई। मम्मी भइया कह तो ठीक ही रहे हैं । मेरी सास तो सीधी साधी है ज्यादा मुझको टोकती नहीं है और कुछ कहती हैं तो मैं उनको जवाब दे देती हूं। अपनी इज्जत की खातिर वो चुप ही रहती है।एक बार मैंने आपके ही कहने पर झटकार दिया था तब से कम ही टोका करती है ।ससुर जी ने उनको समझा दिया था कि ज्यादा बहुओं से बोलने की जरूरत नहीं है नहीं तो अपने मुंह की खाओगी तब से कम बोलती है।

          मम्मी क्यों अपनी इज्जत खराब कर रही हो अभी तो भाभी आपका इतना ख्याल रखती है ज्यादा जवाव नहीं देती सोचों जरा तब क्या होगा जब वो आपको तडातड जवाब देगी ।और भइया भी तो भाभी का पक्ष ले रहे हैं इसलिए चुप ही रहो ।समझो मां ?इंदु जी सोच में पड़ गई हां वंशिका तू ठीक कह रही है बेटा । अभी तो सबकुछ बैठे बिठाए मिल रहा है तेरा भी मान सम्मान करती है और मुझे भी जवाब नहीं देती है। हां मां समझदार बन जाओ नहीं तो बहुत ही छीछालेदर होगी।

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              आज इंदु जी रसोई में खाना बनाने को खड़ी थी तभी स्वाति आ गई।अरे मम्मी जी आप क्यों खाना बना रही है ।मैं ही बना देती हूं आज अरे नहीं रहने दीजिए ।अरे बेटा तेरे आने से पहले तो मैं ही घर का सबकुछ करती थी न अब कुछ नहीं करूंगी तो सब भूल जाऊंगी और आदत भी छूट जाएगी।इस लिए सोच रही हूं थोड़ा करती रहूं आदत भी बनी रहेगी और तुम्हें भी सहारा मिल जाएगा।अरे मम्मी जी आप आराम करिए ।अरे बहू रोज तो सब तुम्ही करती हो मैं कहां करती हूं।आज मैं ही कर देती हूं ।अच्छा आप जिद कर रही है

तो दाल और सब्जी आप बना दीजिए आपके हाथ की सब्जी आपके बेटे को बहुत पसंद है और रोटियां मैं जब सब लोग खाने बैठेंगे तो सेक दूंगी । ठीक है बहू ।अरे बहू सुनो बेटा मुझे माफ़ कर देना बेटा मैंने वंशिका और तेरे में ब बहुत फर्क किया। नहीं मम्मी जी आप ही हमारी मम्मी की जगह हो । बड़े माफी नहीं मांगते।बस प्यार देते हैं ।बस आप बताती जाइये और मैं करती जाऊंगी । हां अब से मैं तुम्हारी हेल्प कराएगी बेटा।और फिर क्या दोनों सास बहू मुस्कुरा दी ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

16 मार्च

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