मेरी नहीं हम दोनो की दीदी – लतिका श्रीवास्तव 

   मैं अब यहां एक पल भी नहीं रुक सकती…मुझे अभी मेरे मायके ले चलो.. सुमी की दिन रात की यही रट अविनाश को परेशान कर रही थी। वो उसे कैसे समझाए कि मेरी बड़ी बहन मेरी मां जैसी ही है मेरे लिए.. मां तो बचपन में ही गुजर गई थीं रमा दीदी ने ही मुझे पाल पोस कर बड़ा किया …पुत्रवत स्नेहाधिक्य में अगर वो सुमी को कुछ नसीहते देती हैं या अविनाश के पसंद की चीजे खुद ही बना कर खिलाना चाहती हैं तो सुमी को उनके इस निश्छल प्यार को अपने पत्नी होने के हक का प्रतिद्वंदी नहीं मान लेना चाहिए…पर सुमी तो जैसे कुछ जानने समझने को तैयार ही नहीं है।आज तो हद ही हो गई आज अविनाश का जन्मदिन था रमा दीदी आज सुबह से ही बेहद उत्साहित थीं सुमी को उन्होंने किचन में घुसने ही नहीं दिया

अविनाश की पसंद की सारी चीजे खुद ही बना रहीं थीं और बना कर थाली में सजा कर जैसे ही अविनाश को खिलाने की कोशिश की जली भुनी बैठी सुमी ने पानी देने के बहाने से पूरा एक जग पानी थाली में गिरा दिया उस हड़बड़ी में रमा दीदी थाली और खाना संभालने में संतुलन नही रख पाई और जमीन पर गिर गईं  उनके पैर और पेट दोनों में चोट आ गई तुरंत उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा,और इतना सब करने के बाद भी सुमी ना ही उनको देखने आई और ना ही उसको अपने किए का कोई अफसोस है अविनाश के डांटने पर मायके ले चलो वहीं छोड़ आओ कि ज़िद ले के बैठ गई है ….अभी



अविनाश के विवाह को चार महीने भी नहीं हुए हैं सुमी एक पढ़ी लिखी पत्नी हैं पर रमा दीदी के साथ पटरी ही नही बैठती !!शुरू के एक महीने सब कुछ ठीक रहा जब सुमी मायके गई तो पता नही रमा दीदी के प्रति संपत्ति की दावेदारी के पूर्वाग्रह से ग्रस्त उसकी मां ने रमा दीदी के बारे में सुमी के मन में ऐसी गलतफहमियां भर दीं कि तब से सुमी का व्यवहार ही बदल गया  ..अविनाश उसे कैसे बताए कि ये सारी संपत्ति रमा दीदी की ही है जो उन्होंने ही अविनाश की शादी के दिन ही सुमी और अविनाश के नाम कर दी थी ये बात उसने किसी को नहीं बताई..क्योंकि वो सुमी की मां की रिश्तों को संपत्ति की लालच के चश्मे से देखने के नजरिए को उन्हीं के द्वारा सुधारने का मौका देना चाहता था…रमा दीदी भी अविनाश पर अभी भी एकाधिकार समझती हैं…अविनाश उनकी इतनी इज्जत करता है कि सुमी की भावनाएं समझने की ओर उसका कभी ध्यान ही नहीं गया…पत्नी और दीदी के बीच धर्म संकट में अटका अविनाश बहुत चिंतित और दुखी सा अस्पताल पहुंचा तो देखा सुमी के माता पिता रमा दीदी के पास बैठे हैं और हाथ जोड़ कर सुमी की हरकत की माफी मांग रहें हैं..और  सुमी भी रमा दीदी के पैर की चोट पर अश्रु पूरीत नयनों से मरहम पट्टी कर रही है …जो अविनाश को ननद भाभी बिगड़ते रिश्तों पर मरहम की भांति लगा…उसके जन्मदिन का सबसे बड़ा तोहफा।

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