मेरी नहीं दीदी की चिंता कीजिए – मनु वाशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

रमा तीन बहन भाइयों में सबसे छोटी थी, उसके पापा एक वर्ष पहले गुजर गए, तब से वह कभी दादी के यहां तो कभी नानी के यहां, ना चाहते हुए भी झूलती रही। बड़ी बहन की शादी हो गई, उस ने स्वयं को सुसराल में खपा दिया।

जिससे कोई दहेज का ताना ना मार सके। भाई की पढ़ाई छुड़वाकर पिता की जगह क्लर्क की नौकरी लगवा दी गई। सच है एक पिता के ना रहने पर सब कुछ होते हुए भी सब कितने बेगाने हो गए थे। सब को मां और रमा बोझ ही लगते।

जीवित रहते जिन लोगों पर रमा के पिता दिल खोल कर खर्च करते, आज उन्हें ही बोझ लग रहे थे। पढ़ना चाहते हुए भी, आगे पढ़ाई जारी नहीं कर सकी। दादा दादी जल्द से जल्द शादी कर जिम्मेदारी निपटाना चाहते थे

तो नाना नानी, कहीं हमारे ऊपर सारी जिम्मेदारी ना आ जाए यह सोच कर कुछ बोलते ही नहीं थे। खैर … दोनों ओर के परिवारों में काम निपटाते हुए जिंदगी गुजर रही थी।

नानी के यहां मामा, मौसी के बच्चे और दादी के यहां बुआ, चाची, ताई के बच्चे हर वक्त काम में लगाए रहते। रमा भी पूरे मन से सहज हो काम करने में लगी रहती। किसी भाभी को मायके जाना है तो रमा …

जरा नया ब्लाउज सिल दो, चाची ताई के साड़ी में फॉल लगा दो, इसके कपड़े प्रैस कर दो … ये कर दो वो कर दो। कोई नई डिजाइन दिख गई, तो रातों रात वैसा ही स्वेटर बुन दो।

बस इन्हीं कामों के लिए आवाज पड़ती रहती रमा … रमा … रमा … सब को खुश रखना ही स्वभाव बन गया था। रमा चुप ही रहती, किसी को कुछ नहीं कहती। मां से भी क्या कहे … उनकी तो पूरी दुनिया उजड़ गई थी।

एक दिन उसकी कजिन पहली बार बच्चे को लेकर आईं, सब बहुत खुश थे। रमा भी बहुत खुश थी उसने छोटे बच्चे के लिए रात में जागकर … छोटे छोटे दो प्यारे से डिजाइनर स्वेटर बुन दिए, बहुत ही प्यारे लग रहे थे।

दूसरे दिन, दूसरी कजिन उन स्वेटर को ताऊ को दिखाने ले गई। पास ही से रमा गुजर रही थी, तुरंत ताऊ ने आवाज लगा कर बुलाया और मुंह बना कर कहा_ दिन भर बैठी रहती है,

कुछ सीख साख ले। एक तो बाप कुछ छोड़ नहीं गया है, ऊपर से काम भी नहीं करेगी तो कौन शादी करेगा। यह देख रमा सन्न रह गई … कम से कम कजिन तो बताती कि ये किसने बनाया है,

उन सुघड़ दीदी को तो फंदे डालने भी नहीं आते। रमा को बहुत गुस्सा आया और गुस्से में ही बोली, आप मेरी चिंता मत कीजिए, ये स्वेटर मैं ने ही बनाए हैं … और हां दीदी को तो फंदे डालने भी नहीं आते, उनकी शादी की चिंता कीजिए। यह सुनकर ताऊजी टका सा मुंह ले कर रह गए। उन्हें रमा से इस तरह जवाब की उम्मीद नहीं थी।

_ मनु वाशिष्ठ कोटा राजस्थान 

“टका सा मुंह ले कर रह जाना”

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