सुधा जी ‘ जया’ और अपने बेटे ‘ गौरव’ के अन्तर्जातीए प्रेम विवाह के सख्त खिलाफ थीं।
कहां उनके गोरे-चिट्टे- लम्बे और छरहरे कद का पंजाबी मुंडा ‘गौरव’ और दूसरी तरफ तीखे नयन-नक्श वाली सांवली -सलोनी ,दुबली- पतली सी बंगालन जया। उनके अनुसार इन दोनों का कहीं से कोई मेल ही नहीं है।
लेकिन वो कहते हैं ना जोड़ियां तो आसमान से बन कर आती हैं।
मां के घोर विरोध के कारण जब बात नहीं बनती देखा तब गौरव ने जया के साथ कोर्ट मैरिज कर ली।
उस वक्त से ही सुधा जी उन दोनों से नाराज़ चल रही हैं।
जया की मां उसके बचपन में ही गुजर चुकी हैं। जिनकी कमी उसे बराबर खलती है। शादी के पहले उसने सोच रखा था कि चलो अपनी ना सही गौरव की मां के रूप में उसे ममता की छांव मिल जाएगी।
लेकिन जब उसने सुना कि गौरव की मम्मी ने आजीवन उसकी शक्ल नहीं देखने की कसम उठा रखी है।
तो उसके बचपन की बहुत पुरानी साध ‘ मां के प्यार पाने की ‘ मन की मन में ही धरी रह गई।
बाद के दिनों में मम्मी जी और गौरव में बातचीत पत्र व्यवहार से शुरू हो कर फोन तक तो आ गई है लेकिन मम्मी सिर्फ जया के हाल पूछ कर फोन रख देती हैं।
जया का मन उनसे बातें करने के लिए बहुत ललकता जब भी गौरव गलती से मम्मी का जिक्र छेड़ देता तो वह तड़प कर रह जाती है। जब कभी उसकी आंखों से आंसू छलक उठते हैं तब वह चुप होकर उन्हें पोंछने लगती है।
गौरव भी दुखी हो कर उसे अपने सीने से लगा लेता है और उसके माथे पर चुम्बनों की बौछार करते हुए कहता है ,
‘ मैं हूं ना जया फिर तुम क्यों घबराती हो ?
देखना वह दिन दूर नहीं है जब मम्मी हमें जल्द ही अपने पास बुलाएंगी। उन्हें मैं अच्छी तरह जानता हूं वो हमसे ज्यादा दिन दूर नहीं रह सकती हैं’
‘ काश वह दिन जल्दी आता मैंने अपनी मां को इतने बचपन में खो दिया है कि अब तो उनकी सूरत भी याद नहीं है ‘
जया धीमें से कहती है तब गौरव उसे पुचकारते हुए कहता ,
‘ ऐसा कभी मत कहना कि तुम्हारी मां नहीं हैं मेरी मम्मी तुम्हारी मां भी तो हैं ‘
जया की इस मनोदशा पर शायद ईश्वर को भी दया आ गई थी। अगले ही महीने उसकी तबियत खराब रहने लगी चक्कर आने लगे थे मेडिकल चेकअप में पता चला कि वो मां बनने वाली है। जया एवं गौरव की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
डाक्टर ने उसकी रुग्ण हालत देखते हुए किसी भी प्रकार के मानसिक तनाव से बचने की सलाह दी है।
इन गाढ़े दिनों में गौरव की मम्मी के प्रति जया की लालसा और भी बढ़ गई है। उससे दिन रात की परेशानी झेली नहीं जा रही है।
जिसे देखते हुए गौरव ने मम्मी को फोन कर इस खुशखबरी के समाचार के साथ ही जया की गिरती हुई शारीरिक और मानसिक हालत की जानकारी भी विस्तार से दे दी है ,
‘ मम्मी ,अब तो आप जया को माफ कर दीजिए। आखिर मेरी गलती की सजा आप उसे कबतक और क्यों दिए जा रही हैं। वह बिचारी आपके प्यार भरे स्पर्श और ममता की भूखी है।
अपने प्रति आपकी नाराज़गी की सजा वह अपने आप को दे रही है ‘ ।
अब इतना सुनकर सुधा आखिर किस तरह नहीं पसीजती ? उसने फोन पर ही अपने निर्णय सुना दिया,
‘ अगली फ्लाइट से पहुंच रही हूं ‘
मम्मी के आने की खबर सुनकर जया खुशी से झूम उठी है। उसे सारी रात नींद नहीं आई थी। सुबह सबेरे ही उठ पूरे घर की साज-सफाई और व्यवस्था में जुटी जया जैसे अपनी सब परेशानी भूल गयी।
उसकी आंखें बार-बार भर आ रही है। वह सोचती है,
‘ जो कमी उसे भगवान ने दी है उसे इस बार मम्मी जी के प्यार से वह भर कर रहेगी।
कुल मिलाकर वह एक अंजाने तनाव से भर उठी है।
जिस समय बाहर गाड़ी रुकने की आवाज आई ,
उस वक्त जया अपने बाल संवार रही थी।
स्वागत के लिए झटके से उठी जया के पांव अचानक से उसकी साड़ी में फंस गये और वह बुरी तरह से लड़खड़ा गई।
सुधा ठीक उसी समय घर में प्रवेश कर रही थी।
जया की इस मानसिक उधेड़बुन से नितांत अंजान सुधा ने आगे बढ़कर उसे अपनी बाहों में भर लिया है और प्यार से उसकी पीठ थपथपाती हुई बोली
‘ यह क्या जया ?
लगता है तुम्हें मेरे आने की खुशी नहीं हुई है ? या बहुत ज्यादा भाग-दौड़ कर लिया है ?
जया की आंखें डबडबा गईं वह गौरव की तरफ मुड़ गई गौरव उसके गाल को थपथपाते हुए बोला ,
‘ पागल कहीं की ऐसा भी कोई करता है क्या ?
जया का सिर चकराने लगा उसे ज़ोर की मितली आ रही है।
वह माथे पर छलक आई पसीने की बूंदों को पोंछने लगी।
ऐसा लग रहा है कि खाया-पीया हुआ सब निकल आयेगा।
इसके पहले कि वह गश खा कर गिर जाती सुधा की मजबूत़ बांहों ने उसे संभाल लिया,
‘ चलो जया, कमरे में चल कर थोड़ा आराम कर लो ‘
इतने में जया को जोर की उल्टी आईं और उसने वहीं गंदगी फैला दी जिससे मम्मी जी के पूरे कपड़े गंदे हो गए लेकिन वे जरा भी उफ किए बिना बोल उठी,
गौरव इसके हाथ -पैर धुलवा कर बिस्तर पर लिटा दो। तब मैं यह गंदगी साफ कर इसके लिए कुछ खाने का बना कर लाती हूं ‘ ।
जया ठगी हुई सी रह गई … ‘क्या मां ऐसी होती है ? ‘
‘मम्मी जी मैं कर देती हूं आप अभी तो आई हो ‘
‘चुप रह जया , कितना बोलती है तू , मैं ने कहा ना कभी जा कर आराम कर नींद लो अभी तुम्हें इसकी जरुरत है ‘
‘ इस सब के लिए मैं हूं ना ! ‘
जया ने देखा , गौरव के चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान फैली हुई है … जैसे कह रहा हो ,
‘ देख लिया जया , मैं नहीं कहता था , मां ऐसी ही होती है ‘
उसने जया को फूलों की तरह गोद में उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और उसके बालों में हाथ फेरते हुए धीरे-धीरे सहलाने लगा।
जया को कब नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला।
जब जया की नींद खुली तो उसने मम्मी जी को अपने सिरहाने बैठे पाया। वे सुबह के अखबार हाथों में लिए हुए उसे ही एकटक से निहार रही थीं। जया के उठने के प्रयास को उन्होंने रोक दिया ,
‘ न बेटी, तुम आराम करो। अब मैं आ गई हूं तुम्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है ‘
‘ मम्मी जी, मुझे अच्छा नहीं लग रहा है मैं आराम करूं और आप काम करें मैं आपकी सेवा भी नहीं कर पा रही हूं ‘
सुधा ने उसके होंठों पर अपनी उंगलियों को रख कर बोली,
‘हां जया तुम्हारे आराम करने के दिन हैं। तुम्हें डाक्टर से भी दिखाना होगा। तुम मेरी और गौरव की चिंता छोड़ दो।
तुम्हारे प्रसव तक …
‘ मम्मी जी तब तक आप यहीं रहेंगी ना ?’
जया बीच में ही उनके हाथ पकड़ कर बोली पड़ी।
‘ हां ‘ और बेटा तुमने ये ‘मम्मी जी – मम्मी जी’ क्या लगा रखा है। सुधा मुस्कुराती हुई बोली। जया एकटक मम्मी को देखती रही। वे ममता की प्रतिमूर्ति लग रही हैं।
कहां उनके आने की सुन कर जया कितनी घबराई हुई थी। न जाने उसे क्या -क्या देखना और सहना पड़ेगा।
अब जया की आकांक्षा उनकी ममता के विभिन्न इन्द्रधनुषी रंगों में आकंठ डूबने की हो रही है।
#कभी_खुशी_कभी_ग़म
प्रिय पाठकों …
यही तो है जिंदगी… ‘ जिसमें कभी खुशी कभी गम
तो फिर क्यों ना खुल कर जी लें हम ‘
सीमा वर्मा/नोएडा