अरे “”बड़ी बहू संध्या तुम कहां बिजी हो अब तक पूजा की कोई तैयारी नहीं की और ना ही थाल सजाकर रखा है””
तुम्हें पता है ना मेरे छोटे बेटे की पत्नी छोटी बहू मेरे घर आने वाली है उसका स्वागत है ऐसे ही करोगी क्या दरवाजे की ओर देखती हुई संध्या की सासू मां उमा जी चिल्ला रही थी.. मन ही मन कहती बड़ी कामचोर है मेरी बड़ी बहू संध्या जब देखो”” काम से जी चुराते रहती है अब देखो घर में कितना काम पड़ा है अब तक साफ सफाई भी नहीं करवाया मैं नई नवेली बहू का स्वागत कैसे करूंगी पहली बार मेरी बहू अपने मायके से ससुराल आने वाली है..!!
तभी संध्या जोर से चिल्ला कर कहती है मम्मी जी अभी आई सुबह सुबह उठकर पीहू रोने लगी थी इसलिए देर हो गई पीहू संध्या की 5 साल की बेटी है बड़े आराम से जवाब देती है..!!
अरे बहू” अब रहने भी दो” क्यों बहाने बना रही हो ?”सब जानती हूं, तुम्हारा मन कभी काम करने में लगता है, जो आज लगेगा..अपना मुंह बिचकाती हुई बनाती हुई ..”उमा जी” कहती ..अब देखना मेरी छोटी बहू आ रही है.. वह इस घर को कैसे संभाल लेगी ..मुझे कुछ कहने और बोलने की जरूरत नहीं पड़ेगी .. शादी में देखा था ना कितनी होशियारी से सब कुछ कर रही थी ..अपनी छोटी बहू को याद करके उमाजी अंदर- ही -अंदर खुश हो रही थी..!!
उमा जी का बात सुनकर संध्या को बहुत बुरा लगता है ..उदास होकर सोचने लगती है ..मेरी देवरानी को आए अभी 4 दिन भी नहीं हुए कि मम्मी जी उसका गुणगान करने लगी ..और मैं पूरे 6 साल से इस घर को दिल से संभाल रही हूं ..लेकिन मेरे लिए कभी दो शब्द नहीं कहती”” कुछ अच्छा इनके मुंह से नहीं निकलता” “”आखिर इसमें मेरी गलती क्या है.??मेरे साथ ही मम्मी जी ऐसा वह बार-बार क्यों करती है,?”
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यह सब मेरे साथ ही क्यों होता है..?” सही कहते हैं लोग सच्चे और अच्छे लोगों का इस दुनिया में कोई जगह नहीं”” खैर यह आज की बात नहीं हर दिन का बात है”” जब इस घर में मै नई बहू बन कर आई थी”” तब इनका रवैया कुछ अलग था”” लेकिन धीरे-धीरे अपनी सांस मां की नजर में मेरी अहमियत घटती जा रही है”” इस घर के लिए जितना कुछ कर लो”” इनको कम लगता है.. क्या सभी घरों में ऐसा ही होता है”” नई बहू” आने के बाद अपनी बाकी बहुओं की कोई कद्र नहीं की जाती..?”
मन -ही- मन सोचती कोई घर का सारा काम निपटा में लगती या सोच कि मेरी देवरानी के आने का समय हो गया “”ऐसा ही हुआ थोड़ी देर बाद डोरबेल बजता है.|!!
उमा जी दौड़कर दरवाजा खोलती” अरे अरे”आओ आओ मेरी “”छोटी बहू”” इस घर में तुम्हारा स्वागत है …प्रिया का हाथ पकड़कर थाम लेती है ..उमा जी आराम से आना बहू अपनी सासू मां को इतना खुश देखकर प्रिया को बहुत अच्छा लगता है ..चलो कम से कम मेरी सासू मां बहुत अच्छी मिली”
वही पास खड़ी संध्या मन ही मन कहती है.. मुझे भी ऐसा ही लगा था.. सासू मां से पहली बार मिलने के बाद ..लेकिन इनका असली रूप तो इनके साथ थोड़ी देर रहने के बाद ही पता चलेगा”” प्रिया बेचारी अभी अनजान है ..सासू मां का व्यवहार से…!!
अब तो आए दिन उमा जी के घर कोई ना कोई मेहमान आ जाते.. उनकी छोटी बहू को देखने खुशी-खुशी उमाजी अपनी छोटी बहू को तैयार करती और सबके सामने लाकर उसकी तारीफ करती वही संध्या को रसोई का सारा काम का जिम्मा देकर चाय पानी और नाश्ता में लगाए रखती मेहमानों के सामने खूब आर्डर चलाती.. अपनी बड़ी बहू की खूब शिकायतें और छोटी बहू की ढेर सारी तारीफ””
अब तो जैसे हर दिन की कहानी बन गई ना जाने इस का कब अंत होगा संध्या सोच सोच कर परेशान रहने लगी..!! अपनी नन्ही सी बेटी का ख्याल रखें” घर परिवार का रसोई का अपने पति का या फिर अपना कुछ समझ नहीं आ रहा था!!!
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यह सब सुनकर संध्या को बहुत तकलीफ होती ऐसा मम्मी जी मेरे साथ क्यों कर रही है..?” इसमें मेरी गलती क्या है..?” अपनी छोटी बहू के सामने जब मम्मी जी ही मेरी बार-बार शिकायत करेगी तो “””मेरी देवरानी की नजर में मेरी क्या इज्जत रह जाएगी””..? अपने ही घर को और घर के लोगों में फूट दिलवाने की कोशिश क्यों कर रही है..! क्या प्रिया कभी मुझे वह इज्जत दे पाएगी,, जो एक देवरानी अपनी जेठानी को देती है..!!
दोस्तों.. बहुत से घरों में ऐसा देखा गया है, की घर में नई बहू आती है.. तो उसके सामने अपनी पड़ी “बहू को इग्नोर करने लगते ..जबकि उसकी कोई गलती नहीं रहती”” फिर भी बेमतलब उसे ताना मारने शुरू कर दिया जाता है”” कि देखो” अब मेरी नई बहू आ गई पूरे घर खुशियों से भर देगी”” जबकि उन्हें यह पता नहीं होता””* आने वाले समय में नई बहू क्या करेगी ?” क्या नहीं ?” उसका पता नहीं ..लेकिन अपनी और बहूओं के साथ गलत व्यवहार करके खुद अपने घर को बर्बाद करने में लग जाती है !!जबकि ऐसा कभी नहीं करना चाहिए, हर इंसान में कुछ कमी और कुछ अच्छाई होती है”” उसे उसी रूप में हमें एक्सेप्ट करना चाहिए, उसका अपमान नहीं करना चाहिए..!!
पूनम गुप्ता