मेरी बेटियां,मेरा अभिमान,मेरा गुरूर – सुषमा यादव

 #बेटी हमारा स्वाभिमान 

,,मेरी सभी कहानियां हकीकत बयां करती हैं,, इसलिए मैं असली नाम और स्थान लिखने से  परहेज़ करतीं हूं,,पर एक बहुत बड़े साहित्य मंच की प्रसिद्ध लेखिका ने लिखा,, आप की सभी कहानियां सच्चाई लिए हुए बहुत ही बेहतरीन रहतीं हैं,, आप बहुत अच्छा लिखती हैं, परंतु यदि आप

अपनी कहानियों में किरदारों के नाम लिख दिया करें तो कहानी में चार चांद लग जायें,,

, मैं उनके इस सलाह को ह्रदय से स्वीकार करते हुए कोशिश करूंगी,कि अपने किरदारों को कोई नाम दे दिया करूं,, और उनको हार्दिक धन्यवाद,,

, मेरी प्यारी दो बेटियां हैं,, दोनों मेरा स्वाभिमान और गुरूर हैं,

तो दोनों के बारे में ही लिखूंगी,,

मेरी जब दूसरी बेटी हुई तो मेरी सासु मां ने मुझे बहुत ताने

मारे थे,,मेरा वंश कैसे चलेगा,, मुझे तो वारिस चाहिए,,

मेरा इकलौता बेटा है,हम दोनों ने बहुत समझाया कि यही दोनों बेटियां आपका वंश चलायेंगी और आपकी वारिस भी बनेगी,,पर उन्होंने हमारी एक ना सुनी,, और कभी भी

उन पर अपनी ममता नहीं दिखाई,,, ये देखकर मेरे पति ने कहा, मैं हर हाल में अपनी इन्हीं बेटियों को इतना काबिल बनाऊंगा कि एक दिन ये अपने परिवार, समाज और हमारा नाम रोशन करेंगी,,चाहे इसके लिए मुझे कितनी ही परेशानियां क्यों ना झेलना पड़े, और हां, मैं कसम खाता हूं, हमारी तीसरी संतान नहीं होगी,, इन्हीं बेटियों पर सबको गर्व होगा,सब कहेंगे,, बेटियां हो तो इनके जैसी,,,

और अपने पापा का ये सपना दोनों बेटियों ने सच कर दिखाया,,वो तो बीच में ही हम सबको छोड़कर अनंत यात्रा पर चले गए,,पर अपनी आंखों से उनको ऊंचाइयों पर उड़ान भरते देख चुके थे,, और परम शांति से अपनी आंखें बंद कर ली थी,, और आगे उनके सपनों को पूरा करने की जिम्मेदारी संभाल ली मैंने,,



मैं आज़ फिर अपने अतीत के सागर में गोते लगाने लगी हूं,,,,,

,, हमने अपने बेटियों को शुरू से ही नैनीताल बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाया था,, दोनों ने ही हमेशा प्रथम स्थान प्राप्त किया,, बड़ी बेटी रीना ने लेडी श्रीराम कॉलेज से स्नातक डिग्री लेने के बाद जामिया मिलिया से मास कम्युनिकेशन करना चाहा, हमारी इच्छा ना होते हुए भी हम दोनों ने उस पर अपना विचार नहीं थोपा और उसने उस विषय में एशिया में छठवां स्थान प्राप्त किया, फिर

उसने बरखा दत्त जी के साथ कुछ दिन काम किया,,

,,अब रीना  फ्रांस की यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन करने चली गई,, कुछ दिनों बाद उसको एम बी ए, में अपग्रेड कर दिया गया,, पूरी फीस माफ करते हुए स्कालरशिप के साथ,,रीना का मन बिल्कुल नहीं था,,पर उसे कहा गया कि तुम एक बहुत ही प्रतिभाशाली छात्रा हो,, तुम्हें बहुत ऊपर तक जाना है,, सबने उसे समझाया कि ऐसा सुनहरा अवसर तुम्हें नहीं खोना चाहिए,,, और उसने आंशिक नौकरी करते हुए एम बी ए, पूरा किया और पेरिस के बड़े बैंक में आज़ मार्केटिंग मैनेजर है,,

, मैं जब भी जाती हूं उसके पास,इतने प्यार से रखती है,, कोई भी काम नहीं करने देती,,

रीना को लगता है कि वो अपनी मां को हर जगह घुमाये, उसे

,, दुनिया की वो खुशियां दे दे,जिसकी वो हकदार हैं,,मैं रीना के पास जाकर अपने आप को एक महारानी जैसा महसूस करने लगती हूं,, मुझे करोना होने पर मुझे बहुत सांत्वना देती, मम्मी, आप बस सकारात्मक सोच रखना,,मैं आप की नातिन को पेरिस में ही छोड़कर अकेले दिल्ली आती हूं, आप की देखभाल करने,,, मैंने मना किया,उतनी छोटी बच्ची को छोड़कर मत आना,, तुम्हारी बहन तो डॉक्टर है सब संभाल लेगी,,

, पेरिस से वापिसी में बहुत सारे उपहारों के साथ इस तरह विदाई करेगी, जैसे एक मां अपनी बेटी को करती है,,,

, मैं तो बहुत धन्य मानती हूं, अपने आप को,ऐसी बेटी पाकर,,

मेरी छोटी बेटी  नीना, तो हमेशा से ही पढ़ाई में बहुत तेज रही है,वह बहुत ही खूबसूरत, और  प्रतिभाशाली है, हमेशा दूसरों की मदद करना, गरीबों की सहायता करना,, सबसे प्रेम पूर्ण व्यवहार करना, हंसमुख स्वभाव और मृदुभाषी है ,,

, पापा की इच्छा थी कि मेरी बेटी बहुत बड़ी डाक्टर बने,,नीना ने अपने पापा का सपना पूरा किया, और देश के प्रसिद्ध अस्पताल दिल्ली में डॉक्टर बन कर नाम कमाया,, अपनी मां का बहुत ख्याल रखती है,, घर में सबसे छोटी है,पर एक जिम्मेदार अभिभावक की तरह

अपनी बहन, जीजा जी, मां एवं नाना जी का हर तरह से ध्यान रखती है, और कोई भी समस्या हो, चुटकियों में हल कर देती है,,, अपनी बड़ी बहन की शादी की‌ पूरी जिम्मेदारी उसने अपने कंधों पर उठाया,, दीदी को पापा की कमी खलने नहीं दिया,, भागदौड़ करके घराती,बराती सबका बहुत ही बेहतरीन से आवाभगत किया,, किसी चीज की कमी नहीं होने पाई,,,सब लोग बहुत ही तारीफ़ कर रहे थे,, बेटी हो तो ऐसी,,,

,, मुझ पर तो उसकी हर पल नज़र रहती है,,खाने पीने से लेकर, दवाइयां,, हेल्थ चेकअप,,

शुगर टेस्ट,बी पी, टेस्ट,सब नियमित रूप से,,



,, मुझे करोना हो गया था,, अस्पताल में भर्ती कराया,,उस समय मेरा बहुत ही खास ख्याल रखा,, अपने नाना जी के साथ अपने करोना मरीजों की देखभाल

, मेरी भी देखरेख करना,पता नहीं,सब कुछ कैसे किया होगा अकेले,,

,,वो समय उसके लिए बहुत कड़ी परीक्षा का समय था,, अकेले में चुपके चुपके रोती, डरती कि मेरे पास केवल मां भर है,,उनको खोकर मैं कैसे अकेले रहुंगी,,

,, मैं जब अस्पताल से घर आई,, एक महीने मेरी बड़ी सेवा किया,

, मुझे नहलाना, कपड़े बदलना,

कंघी करना, समय समय पर खाना, और दवाईयां खिलाना,, जैसे एक छोटे बच्चे की सेवा की जाती है,, ठीक उसी तरह,, क्यों कि मैं बहुत ही कमजोर हो गई थी,, एक मां की भांति मेरी सेवा करके मुझे बहुत जल्द स्वस्थ कर दिया था,,

,, इसके एक साल बाद मेरी हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी भी करवाई,, फिर उसी तरह रात दिन मेरी देखभाल किया,

अपने अस्पताल से अवैतनिक अवकाश लेकर पूरे आठ महीने मेरे साथ ही रही,,

अब मैं और मेरी बेटी नीना चाहती है कि वो अब अपना भी घर बसा ले अपनी शादी के लिए मंजूरी दे दे,,पर रीना का कहना है,, मेरी मां और मेरे नाना जी को कौन देखेगा,,वो हमारे साथ हमेशा रहेंगे,, मैं बहुत समझाती हूं

,पर कहती है,जब कोई ऐसा मिल जाएगा जो आपको भी रखे तभी सोचूंगी,,, भगवान से प्रार्थना है कि मुझे इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए मेरी सहायता करें,,

,,अब उसकी इच्छानुसार उसे लंदन के सरकारी अस्पताल में ज्वाइनिंग लेटर मिल गया है,, बहुत जल्द उसके सपने साकार होने जा रहे हैं,,,मेरा और आप सबका आशीर्वाद रहेगा, तो उसकी जिंदगी का यह सपना हकीकत में बदल जायेगा,, दरअसल बड़ी बहन पेरिस में है तो चाहती है कि छोटी बहन भी पास में ही आ जाये,, और मां, कभी मेरे पास तो कभी नीना के पास रहेंगी,, मुझे तो मेरा देश ही बहुत प्यारा है,,पर मैं चाहती हूं कि नीना ने सबके लिए अपनी खुशियां कुर्बान की है, तो उसको भी पूरा हक है अपनी खुशियां पाने का और ऊंची उड़ान भरने का,,

, मैं तो अपने रोम रोम से दुआ देती हूं,, मेरी दोनों बेटियों ने मेरा सिर जिस गौरव से ऊंचा किया है, मुझे समाज में गौरवान्वित किया है,, भगवान उनकी सब मनोकामनाएं पूर्ण करें,,

, मैं ऐसी बेटियां पाकर निहाल हो गई हूं,,

,, मेरी दोनों बेटियां अपने अपने क्षेत्र में बहुत ही लोकप्रिय हैं, और बड़ी सेवा भाव से, पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी के साथ अपना कर्तव्य करतीं हैं, ठीक अपने माता पिता की तरह,,

,, मेरी बेटियां मेरा गुरूर हैं,मेरा स्वाभिमान हैं,,

सुषमा यादव, प्रतापगढ़, उ प्र

स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित,

 

 

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