मेरी बाई…. नहीं आई –  पूजा मनोज अग्रवाल

गर्मियोँ की छुट्टियाँ पड़ गई हैं , तो सोचा हम भी कुछ दिन मौज कर आएं…. अपनी माँ के यहाँ ,,,  ।
        तभी फोन की घंटी बजती है,,,,  ” हेलो,”  भाभी ,,,,हम आज नही आयेगी , आज हम घर पर रह कर आराम करियेह,,,, हमार कमर दरद कर रई ,,।”

     अरे  मीना  !  कितनी बार कहा है कि 1 दिन पहले बता कर छुट्टी लिया करो ,,,,मुझे घर में और भी बहुत से काम होते है ,,,।

     “भूल गये थे भाभी  ” और का कहियें,,,, देखत नाहीं सरमा  जी अपनी   कामवाली को माह की 4 छुट्टी देत  रहिन  और आप एक ठो में बी गुस्सा करत हो,,,,,।   ये कह कर मीना ने फ़ोन काट दिया । 

   गुस्से में दिमाग काम नहीं कर रहा था मेरा…. इसे भी आज ही आराम करना था….इन कामवालियों  को भी ना ,,,, जरूरत के समय इन्हें आराम करना है….मेरे घुटने , कमर तो कई महीनों  से दर्द कर रहे हैं , मै किस से छुट्टी माँगू ,,,,,?


         अपने दर्द भूल कर मै जल्दी- जल्दी काम निपटाने के लिए बर्तन धोने आ गई,,,आज तो पक्का पति देव का टिफिन व नाश्ता  दोनो लेट हो जाएगा  ,।

        माँ से मिलने के लिए  उमड़े प्रेम से शरीर मे रोबोट सी ताकत आ गई थी , बर्तन साफ़ करते करते ही पतिदेव का नींबू पानी का ऑर्डर आ गया ,,, एक तो राजा महाराजा की तरह  सुबह 8 बजे तक सो कर उठते है , ऊपर से सब कुछ बैठे बैठाए हाथों में चाहिये,,,,।

     नींबू पानी भी नही बना सकते ,, “बताओ , इसमे करना ही क्या है नींबू  काटो , निचोडौ , पानी मे घोलो और नमक डाल कर पी लो, इनसे यह भी नहीं होता,,,इनको तो छोटे – मोटे कामों के लिए भी एक नौकर चाहिये,,,। हमें देखो ,,सुबह से चकर घन्नी की तरह लगे है,,  एक कप चाय का ठिकाना नहीं है। इतनी बड़बड़ करते करते मेरे बर्तन साफ हो चुके थे। 

   पतिदेव नींबू पानी पीकर जिम के लिए रवाना हो गए.. जाते – जाते  नाश्ते में मसाला ओट्स  बनाने का फरमान भी सुना गए…।  भले ही किसी का भी रूटीन बदल जाए ,पर मज़ाल है कि साहब के मेन्यू में कुछ फेर बदल किया जा सके ।

  मैंने चिल्ला कर गुस्से  में कहा ….”अरे भई आज परांठा सब्जी ही ले लो नाश्ते में …? “

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 …जिम जाकर भी तो मेहनत ही करनी है….क्यो ना घर पर ही झाड़ू पोछा रगड़ लो….एक पंथ और दो काज  , तुम्हारी कसरत हो  जायेगी और हमारा काम आसान ….पर ऐसा कह कर खूंखार शेर के मुँह में कौन हाथ दे…।


उधर कामवाली गायब तो इधर मेहमानो की दरवाजे पर दस्तक,,,,, 

टिंग – टोंग ………कौन  है ,,,??? 

अंदर से ही आवाज लगा कर मैंने पूछ लिया ,,,बाहर दरवाजे तक जाने की जहमत  कौन उठाए,,,,, डब्बू मंटू के दोस्त ही होंगे,,, तो  सोचा  यहीं से भगा दूंगी ,,।

इन नालायकों को कहां चैन है , ना खुद बैठते न दूसरे को बैठने देते ….।।

     भाभी जी,,,,, मै पिंकी ,,,” दूर के रिस्ते की शारदा मौसी की छोटी बहु की  बहन,,,, हम दिल्ली एक विवाह समारोह मे आये थे तो सोचा आपसे मिलते चलें,,। और फिर मौसी का भी आसीस मिल जायेगा ।” यह कह कर वह सासु माँ के गले पड़ गई,,,,,,मेरा मतलब है …, गले से लिपट गई  ।

    

    कुछ देर तो मुझे  रिश्ता समझने मे लगी। खैर  पिंकी व उसके परिवार के रहने के  लिये ऊपर के कमरे मे व्यवस्था कर दी गई  ।

    

      हमारे घर के बच्चो को   बड़े – बुजुर्गों के प्रिय खाने  खिचड़ी  ,परमल , कद्दू से नफरत है , तो कौन सा सास – ससुर की  बच्चॉ के पिज़्ज़ा , पास्ता और मोमोज़ से यारी दोस्ती है,,।  इन दोनों ही जेनरेशन के अपने अलग – अलग   मेन्यू हैं। बच्चों के लिए कुछ, तो बड़ों के लिये कुछ बनाओ…..मजबूरी तो हम यंग जेनेरेशन वाली महिलाओं की  है, जिन बेचारियों को सब कुछ डायजेस्ट हो जाता है ,जो बच जाये वही खाना पड़ता है,,,। और  शायद  ही कोई ऐसी सब्जी भगवान ने बनाई हो जो  पूरा परिवार बिना चिक चिक किए शान्ति से खा ले ,,,। अब घर में मेहमान भी पधार चुके हैं, सो उनकी संख्या देखते हुए मैने खाना घर पर बनाने के बजाय बाहर से ही मँगवाने मे अपनी भलाई समझी,,।


       इधर पतिदेव ऑफिस निकलने को हैं , उनका  ब्रेकफास्ट  और टिफिन लेट हो गया है ….ना चाहते हूए  अब उनका भाषण भी  सुनना ही पडेगा,,,,उन्हें तो एक मिनट लेट होना गवारा नही है ,,,

    अरे भाई जल्दी करो,,,, मै लेट हो रहा हूं ऑफिस के लिए …।

 मन ही मन गुस्सा तो बहुत आ रहा था की कह दूं ,,,,दो मिनट लेट हो जाओगे तो कौन सी आफत आन पड़ेगी और  कौन सा तुम्हारे  मील गोदाम मे कस्टमर की लाइनें लगी पड़ी हैं ,,,। सुबह – सुबह काम  की मारा मारी के बीच , चिक – चिक के डर से मैने मन खुद के गुस्से पर कंट्रोल करना उचित जाना ….।

   

   डाइनिंग टेबल पर बैठते हुए पतिदेव ….,  “अरे काहे सुबह से शोर मचा रखा है , काम नही होता तो  पड़ोसन की कामवाली कांता बाई को रख लो ना,,,किसने मना किया है,,,??”

इन्हें क्या…. बस मुँह चला कर सजेशन देना है,,, कमबख्त इन कामवालियों के नखरे तो हमे झेलने हैं । एक को देख कर दूसरी बिगड़ेगी और दूसरी को देख कर पहली,,, ।

   फिर कांता बाई वर्मा जी और शर्मा जी के यहां मिलने वाली सुख -सुविधाओं की दुहाई देंगी  .. उसके मिसेज मेहता के  हेल्पिंग पतिदेव के किस्से तो कभी खत्म ही न होंगे….. तनख्वाह में बढ़ोतरी उसे आए दिन चाहिए ।

              इन्हें कौन समझाए की एक ही कामवाली से  निपटना टेढ़ी खीर है…..दो -दो  को झेलना तो महा मुश्किल हो जाएगा…. इन कामवालियों के साथ माथापच्ची से अच्छा है कि घर का थोड़ा काम मैं ही कर लिया करूं  … इससे मेरी बॉडी भी एक्टिव रहेगी और जिम के पैसे भी बच जायेंगे …आम के आम और गुठलियों के दाम ।।

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