नेहा देखने में तो सांवली थी लेकिन पढ़ने में बहुत ही अव्वल थी पहली से लेकर दसवीं तक हर कक्षा में हमेशा प्रथम ही आती थी। नेहा अपने मां बाप की इकलौती बेटी थी। नेहा की मां एक प्राइवेट हॉस्पिटल में नर्स थी और वह अपने बेटी को डॉक्टर बनाना चाहती थी।
12वीं पास करने के बाद नेहा का मेडिकल कॉलेज में एडमिशन हो गया। नेहा की मेडिकल की पढ़ाई समाप्त होते ही डॉक्टर बनकर दिल्ली के एक सरकारी हॉस्पिटल में नेहा की नियुक्ति हो गई। नेहा डाक्टर इसलिए नहीं बनी थी कि उसे बहुत ज्यादा पैसा कमाना था बल्कि वह इसलिए बनी थी कि वह लोगों की सेवा कर सके और नेहा अपनी सेवा भाव से पूरे हॉस्पिटल में फेमस भी हो गई थी।
वैसे तो नेहा डॉक्टर थी लेकिन जब नेहा की शादी की बात चलना शुरू हुआ तो नेहा के मां-बाप ने कितनी जगह पर नेहा की शादी की बात चलाई लेकिन नेहा की शादी सिर्फ इस वजह से टूट जाती थी कि नेहा देखने में साँवली थी। जब दो-तीन जगह पर नेहा की शादी सिर्फ इस वजह से टूट गई कि वह सांवली है तो नेहा के मां-बाप और नेहा भी तनाव में रहने लगी थी।नेहा के माँ-बाप सोचते थे बेटी इतनी अच्छे ओहदे पर है फिर भी लोग अभी भी शिरत को नहीं बल्कि सूरत को तरजीह देते हैं.
नेहा अब अपने आप में ही गुमसुम रहने लगी थी बहुत कम किसी से बात करती थी। नेहा जिस हॉस्पिटल में नौकरी करती थी उसी हॉस्पिटल में एक डॉक्टर मनोज नाम के युवक भी नौकरी करता था और नेहा का दोस्त भी बन गया था कुछ दिनों से मनोज भी महसूस कर रहा था कि नेहा आजकल गुमसुम गुमसुम रहती है उसने एक दिन आखिर नेहा से पूछ ही लिया नेहा क्या बात है आजकल तुम पहले की तरह नहीं चंचल रहती हो ऐसा लगता है हमेशा कुछ तनाव में रहती हो। नेहा बोली “नहीं मनोज ऐसी कुछ बात नहीं है बस ऐसे ही”।
मनोज बोला नेहा कुछ तो बात है अब तुम अगर बताना नहीं चाहती हो तो बात अलग है शायद तुम मुझे अपना दोस्त नहीं मानती हो इसलिए मुझसे तुम शेयर नहीं करना चाहती हो। नेहा ने कहा ठीक है लंच टाइम में मैं तुम्हें सब कुछ बताऊंगी। लंच में नेहा और मनोज हॉस्पिटल के कैंटीन में मिले और नेहा ने सब कुछ मनोज को बता दिया मनोज बोला “इस बात की टेंशन लेकर इतने दिनों से गुमसुम गुमसुम रहती हो।” मैं तो कहता हूं वह लड़के वाले बदकिस्मत है जो तुम्हारे जैसी लड़की को ठुकरा दिया तुम्हारे जैसी लड़की को कौन नहीं अपनाना चाहेगा कौन तुम्हें अपनी पत्नी नहीं बनाना चाहेगा यही तो इस दुनिया की फितरत है लोग बाहरी सुंदरता देखते हैं लेकिन अंदर की जो सुंदरता छिपी होती है उसे देख नहीं पाते हैं।
उस दिन के बाद से मनोज और नेहा में काफी अच्छी दोस्ती हो गई और वह रोजाना एक दूसरे से ज्यादा मिलने लगे और फोन पर भी बात करने लगे धीरे-धीरे दोनों को यह महसूस होने लगा कि वह एक दूसरे से प्यार करने लगे हैं और एक दिन मनोज ने नेहा से इस बात का इजहार भी कर दिया कि नेहा अगर तुम्हें एतराज ना हो तो मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं। नेहा बोली ठीक है मैं तैयार हूं लेकिन क्या तुम्हारे मां-बाप तैयार होंगे इस शादी के लिए।
मनोज के माता-पिता भी दिल्ली के एक दूसरे हॉस्पिटल में डॉक्टर थे। मनोज बोला मेरे मां-बाप बिल्कुल ही ओपन माइंडेड है और मुझे नहीं लगता है कि वह मना करेंगे लेकिन फिर भी मैं एक बार अपने मम्मी पापा से बात करता हूं और फिर एक दिन तुम से मिलवाता हूं।
मनोज ने नेहा के बारे में अपनी मम्मी पापा से बात की तो मनोज के मां बाप ने बोला ठीक है हमें कोई एतराज नहीं है लड़की डॉक्टर है और तुम्हारी पसंद की है तो फिर एक दिन तुम नेहा को घर लेकर आओ उसके बाद नेहा के मम्मी पापा से मिलकर हम तुम्हारी शादी की बात फाइनल कर लेंगे।
मनोज अगले दिन नेहा को लेकर अपने घर आया और अपने मम्मी पापा से मिलवाया। नेहा देखने में भले ही सांवली थी लेकिन नैन-नक्श बहुत ही खूबसूरत है और उस दिन मनोज के मम्मी पापा से मिलने जाना था तो वह थोड़ी सजी-धजी भी हुई थी वैसे तो आमतौर पर नॉर्मल कपड़े में ही रहती थी।
नेहा… मनोज के मम्मी पापा से मिलने के बाद मनोज से बोली ” मैं अब जा रही हूं मनोज के पापा बोले बेटी अभी कैसे जाओगी मनोज नेहा को अपना पूरा घर दिखाओ। नेहा के जाते ही मनोज की मम्मी ने मनोज के पापा से बोली क्या कहते हो “कैसी लगी नेहा तुम्हें” मनोज के पापा बोले “देखो भाई चेहरे और शरीर का रंग का क्या है यह तो सबका अलग-अलग होता है और नेहा देखने में भी कोई बदसूरत नहीं है हां थोड़ी सांवली जरूर है। फिर हमारा बेटा नेहा को पसंद करता है तो मुझे नहीं लगता है कि हमें ऐतराज होना चाहिए। मनोज की मम्मी बोली ठीक है फिर नेहा के मम्मी पापा से मिलकर इन दोनों की शादी इसी दिसंबर में कर देते हैं।
कुछ देर बाद मनोज की मम्मी ने मनोज को आवाज लगाई बेटा नेहा को उसके घर पर छोड़ आओ। मनोज इधर नेहा को उसके घर छोड़ने चला आया और मनोज के मम्मी पापा ने नेहा के मम्मी पापा से फोन पर नेहा को अपना बहु बनाने के बारे में बताया यह सुनकर नेहा के मम्मी पापा बहुत ही खुश हुए। चलो कोई तो है जो उसकी नेहा के बाहरी नहीं बल्कि अंदर की सुंदरता को देख पाया। नेहा के पापा ने बोला। भाई साहब हम एक बार नेहा से बात कर लेते हैं उसके बाद हम लोग दिल्ली आपसे मिलने आएंगे और उसी दिन शादी की तारीख भी फिक्स कर लेंगे।
नेहा की मम्मी ने नेहा को फोन लगाया और नेहा से इस बारे में बताया और यह भी बोला नेहा यह कब से चल रहा है तुमने कभी भी मुझे बताया नहीं इस बारे में। नेहा ने बोला मम्मी यह सब कुछ इतना अचानक से हो गया कि आपसे बताने का मौका ही नहीं मिला।
अगले सप्ताह नेहा के मम्मी पापा दिल्ली आए और मनोज के मम्मी पापा के घर जाकर शादी की तारीख फिक्स कर दिया। दिल्ली के ही एक मैरिज हॉल में शादी होना निश्चित हुआ और दोनों परिवारों में शादी की तैयारियां शुरू हो चुकी थी।
नेहा के घर वाले और मनोज के घर वाले सब लोग मैरिज हॉल में पहुंच चुके थे और और दोनों परिवार वालों के मेहमान भी पहुंच चुके थे। सब शादी में व्यस्त थे और एंजॉय कर रहे थे जय माल होने का समय था और नेहा और मनोज स्टेज पर आ चुके थे लेकिन नेहा को देखते ही लड़के वालों के रिश्तेदार आपस में बात करना शुरू कर दिया अरे यह क्या मनोज इतना खूबसूरत है और नेहा इतनी सांवली क्या देखकर पसंद कर लिया इस लड़की को मनोज को तो कोई भी अच्छा लड़की मिल जाती।
मनोज की चाची ने मनोज की मम्मी से जाकर बोली दीदी हमारे मनोज में क्या कमी था जो आपने मनोज की शादी एक साँवली लड़की से ठीक कर दी हमारे मनोज को तो कोई भी परी जैसी लड़की मिल जाती। मनोज की मम्मी ने मनोज की चाची सुनीता से बोली ” सुनीता मनोज और नेहा एक दूसरों को पसंद करते हैं और फिर शरीर के रंग से क्या होता है यह तो किसी के काला तो किसी का गोरा होता है लेकिन अगर अंदर का मन काला हो और शरीर गोरा हो तो वह तो और बेकार है लेकिन आपका शरीर काला हो और मन गोरा हो उससे अच्छा क्या होता है।
जो भी हो मनोज के रिश्तेदारों में इस बात को लेकर बातचीत तो हो ही रही थी कि पता नहीं क्या देखकर मनोज ने इस लड़की को पसंद कर लिया। दोस्तों आज भी यह देखा जाता है कि आपके अंदर चाहे कितनी भी गुण क्यों ना हो लेकिन लड़कियों की सुंदरता महत्वपूर्ण होता है।
कुछ देर बाद जय माल का रश्म शुरू ही होने वाला था तभी अचानक से मैरिज हॉल का टेंट गिर गया और मनोज की चाची के सिर पर एक लोहे का पाइप लग गया और सिर फट गया और बहुत तेज से खून बहने लगा। पुरे मैरिज हॉल में भगदड़ मच गई और सब चिल्लाने लगे जल्दी से डॉक्टर को बुलाओ क्योंकि सिर में खून बहुत तेजी से बह रहा था।
नेहा दौड़ कर अपने कमरे में गई और वहां से फर्स्ट एड बॉक्स ले आई और जल्दी से मनोज के चाची को रुई से सिर पोछा और फिर नेहा और मनोज दोनों मिलकर चाची को टांका लगाने लगे और कुछ देर के बाद खून बहना रुक गया। तब जाकर माहौल शांत हुआ और नेहा और मनोज की जय माल फिर से दोबारा खुशी खुशी हुआ।
जय माल समाप्त होने के बाद, मनोज की मां स्टेज पर आई माइक लेकर उन्होंने बोला कि मैं काफी देर से अपने बहू के बारे में सुन रही थी लेकिन मैं किसी को कुछ कह नहीं रही थी सब बोल रहे थे कि मनोज ने कैसी लड़की पसंद कर ली देखने में सांवली है और मनोज गोरा लेकिन मैं सबको बता देना चाहती हूं कि आज मेरी बहू नहीं होती तो शायद इतना जल्दी हम हॉस्पिटल नहीं पहुंच पाते क्योंकि यहां से हॉस्पिटल काफी दूर है।
मैं आप सब को बता देना चाहती हूं कि मेरी बहू सर्वगुण संपन्न है। आज शादी का दिन था लेकिन बहू ने अपने साथ फर्स्ट ऍड किट साथ रखना नहीं भूली थी। क्योंकि एक डॉक्टर का यह कर्तव्य होता है कि वह जहां भी जाए अपने साथ अपने गाड़ी में फर्स्ट एड किट जरूर रखें क्योंकि दुर्घटना कभी भी हो सकता है इसलिए वह जितना हो सके उतना तो वह अपने तरफ से कर सकता है।
उसके बाद मैरिज हॉल में जितने भी लोग थे सब ने तालियां बजाई और नेहा और मनोज को आशीर्वाद दिया।
Writer: Mukesh Kumar