मेरी बहन आई है – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

अस्पताल में पापा ने अभी उसे छूने से मना कर दिया क्योंकि उसे इन्फेक्शन का डर रहता किंतु मम्मी ने उसे मेरी गोदी में दे दिया, उस दिन में सच में बड़ा भाई बन गया, मेरी बहन आई थी बहन… गुलाबी गुलाबी हाथ पांव, एकदम नाजुक सी,  बिल्कुल रूई की जैसी और आंखें.. बस जैसे अभी कहेंगी.. भैया.. भैया,, जिस बहन के लिए मैं हर रोज भगवान से प्रार्थना करता था

आज वह बहन मुझे मिल गई, अबमैं मेरे दोस्तों को दिखा सकता था  कि मुझे भी राखी बांधने वाली बहन मिल गई है,  वास्तव में उसको छूने में बहुत डर लगता था, वह इतनी  कोमल थी की  लगता कि मेरे छूने से उसे कहीं लग ना  जाए, पूरे 8 साल बड़ा था मैं उससे, मैं रोज मम्मी से पूछता… मम्मी यह मुझे भैया कब बोलेगी..? 

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ममा यह मेरे साथ स्कूल कब जाएगी..? मम्मी हंसकर कहती.. अभी थोड़ी बड़ी तो होने दे तब भैया बोलेगी, तब तेरे साथ स्कूल जाएगी, और खेलेगी भी! मैंने उसका नाम गुड़िया रखा क्योंकि वह बिल्कुल गुड़िया के जैसी लगती थी ऐसा लगता था वह हर समय बस मुझे देखती रहती है, मैं उसे आप कह कर बोलता था ऐसा लगता था वह किसी सुंदर देश से आई हुई राजकुमारी थी,

उसके सारे काम मैं  करता था, उसे नहलाना तैयार करना और बाकी केसारे काम !अगर उसे कोई और भी गोदी में लेने की कोशिश करता मुझे बहुत बुरा लगता, धीरे-धीरे गुड़िया बड़ी हो रही थी वह घुटनों के बल मेरे पास आती थी और अपनी तोतली जवान में कुछ कुछ बोलने लगी,

2 साल की होते-होते उसने मुझे पहली बार भैया कह कर बुलाया, उस दिन मैंने भगवान जी के प्रसाद चढ़ाया मै कॉलोनी में सबसे कहता फिरता.. देखो मेरी बहन आई है, देखो मेरी बहन आई है, मुझे उसका हंसना मुस्कुराना बहुत अच्छा लगता, बहुत चुलबुली थी वह दिन भर शैतानियां करती, हर राखी,  दूज  पर वह मुझसे अपनी जिद मनवाती, अपनी पसंद का ही तोहफा लेती,

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मैं भी खुशी खुशी उसकी  हर इच्छा पूरी करता  चाहे इसके लिए पापा से डांट ही क्यों खानी पड़ती, वह अब बड़ी हो गई और कॉलेज में आ गई, मेरी भी शादी हो गई मेरी पत्नी भी उसे बहुत प्यार करती थी, गुड़िया को सेल्फी लेने का अपनी पिक्चर्स लेने और रील बनाने का बहुत शौक था,

  कॉलेज में उसका लड़कों से बात करना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं था, शायद मैं अपनी बहन को लेकर ज्यादा ही डरपोक था, इसी बात पर कभी-कभी मैं उसको डांट देता था और भी मुझसे नाराज हो जाती, एक दिन वह अपने कॉलेज के बच्चों के साथ पिकनिक पर गई थी 

कभी ना लौटने के लिए, वहां पिकनिक स्पॉट पर सेल्फी लेते समय उसका पैर फिसल गया और वह नीचे खाई में गिर गई जहां से वह जिंदा  वापस ना  आई, मैं उसकी लाश को देखकर पगला गया, कई दिनों तक मुझे अपना होश नहीं था जबकि उस समय मेरी पत्नी गर्भवती थी और उसे मेरी सख्त जरूरत थी,

पर मेरी भी मजबूरी थी मुझे कुछ होश ही नहीं था, मुझे बहन के अलावा कुछ नहीं सुझाई देता था, चारों तरफ से बस भैया भैया का शोर सुनाई देता जो मुझे पागल सा कर देता, कुछ समय बाद मेरी पत्नी ने एक चांद सी बिटिया को जन्म दिया, उसे देखकर जब मैंने पहली बार उसे गोद में उठाया तब मुझे लगा मैंने अपनी गुड़िया को उठाया है,

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मेरी बेटी मेरी बहन की कॉपी थी, धीरे-धीरे मेरी मानसिक स्थिति गुड़िया (बेटी) को देखकर संभलने लगी, मैंने कभी अपनी बहन को बहन नहीं बल्कि बेटी समझ  कर पाला था सभी लोग मुझे कहते थे कि तू इसका भाई नहीं इसकी दूसरी मां है और यह सुनकर मुझे कभी बुरा नहीं लगता था, अब जब मैं अपनी बिटिया को देखता हूं

मुझे लगता है मेरी बेटी के रूप में मेरी बहन मेरे पास वापस आ गई लेकिन हर राखी पर गुड़िया का यह भाई हमेशा उसका इंतजार करता है, लेकिन एक बात है इस संसार में बहन भाई से प्यारा रिश्ता ना कोई था ना कोई होगा!

   हेमलता गुप्ता स्वरचित 

   कहानी प्रतियोगिता   “बहन”

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