पत्नी ने रसोई में पराठे बनाते हुए कहा , ,,, सुनो जी अपनी शादी को एक साल पूरा हो चुका हैं आखिर हम बाबूजी पर निर्भर कब तक रहेंगे अब तुम्हें भी नौकरी करनी चाहिए दो पैसे कमाकर लाओगे तो बाबूजी को भी सहारा हो जाएगा
पत्नी की बात सुनकर पहले तो मैं निराश हो गया फिर कहने लगा मैं ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं हूं इसलिए बड़ी नौकरी तो मुझे नहीं मिलेगी
छोटी नौकरियां इस शहर में बहुत है लेकिन उसमें सैलरी बहुत कम है अपना गुजारा नहीं हो पाएगा
तब पत्नी गुस्से में बोली — आपके मुंह से हमेशा यही बात निकलती है
आखिर ऐसे कब तक चलेगा कहीं ना कहीं नौकरी तो करनी ही पड़ेगी
अब सैलरी कम मिले या ज्यादा लेकिन घर में खाली बैठने से तो अच्छा ही है की कुछ छोटा-मोटा काम किया जाए
मैंने पराठे बना दिए हैं पराठे खाकर आज ही नौकरी की तलाश में निकल जाओ और शाम को ही वापस लौटना मायके से बार-बार मेरे पास फोन आते हैं पूछते हैं कि दामाद जी को नौकरी मिली या नहीं
मैं क्या जवाब दूं हमेशा यही कह देती हूं कि बस नौकरी ढूंढने गए थे आजकल में मिल जाएगी तब वहां से जवाब आता है सभी को नौकरियां मिल रही हैं बस हमारे दामाद जी को नौकरी नहीं मिल रही है शायद दामाद जी काम करना ही नहीं चाहते अगर ऐसे ही चलता रहा तो हम तुम्हें ज्यादा दिन वहां नहीं टिकने देंगे अपने मायके बुला लेंगे अपनी बेटी को फिर चाहे किसी को भी बुरा लगे,, हम किसी की एक नहीं सुनेंगे
पत्नी की बात सुनकर मैं रसोई घर से बाहर आया और नौकरी की तलाश में घर से बाहर निकल पड़ा
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चलते चलते पत्नी ने ₹20 दिए थे रास्ते में अगर प्यास लगे तो पानी पी लेना अगर ज्यादा दूर निकल जाओ तो ₹10 की टिकट बस में ले लेना
रास्ते में हजारों दुकान दिखाई दे रही थी मगर ना जान ना पहचान कोई भला मुझे नौकरी में क्यों रखेंगा बाबूजी जी कारखाने में काम किया करते थे वहां पर नौकरी करना मुझे पसंद नहीं था
शहर में बिना जान पहचान के नौकरी में कोई नहीं रखता हां अगर पढ़ा लिखा होता तो डिग्री दिखा कर कोई मुझे नौकरी अवश्य दे देता
पैदल चलते-चलते मैं काफी दूर निकल गया दोपहर हो चुकी थी गला भी सूखने लगा आगे जाकर एक चौक दिखाई दिया कुछ मजदूर वहां पर हथौड़ी छेनी वसूली लेकर बैठे हुए थे उनसे पूछताछ करने पर पता चला वह राजमिस्त्री का काम करते हैं मकान बनाते हैं
उस भीड़ से एक सज्जन ने कहा क्या तुम्हें काम करना है तो हमारे साथ बैठ जाइए मैं भी उन्हीं के साथ बैठ गया तभी स्कूटर में एक मोटा सा आदमी आया और उसने बताया मुझे चार हेल्पर चाहिए मगर कोई भी उसके साथ चलने को तैयार नहीं हुआ
वहां पर कुछ बैठे मजदूर कहने लगे हम तो एक दिन के ₹500 दिहाड़ी लेंगे
लेकिन ठेकेदार ₹300 दिहाड़ी पर हमें ले जा रहा है
मुझे काम की जरूरत थी इसलिए मैं उन सज्जन के स्कूटर में बैठकर चल पड़ा
वह मुझे एक कच्ची कॉलोनी में ले गया वहां पर एक 50 गज का प्लॉट दिखाकर कहने लगा इस प्लॉट की नींव खोदनी है 1 महीने के अंदर यह मकान एक मंजिला तैयार करके देना है
उस प्लॉट पर मैं अकेला ही हेल्पर था ठेकेदार कहने लगा
तुम खुदाई शुरू करो मैं और हेल्पर ढूंढ कर लाता हूं
धूप निकल चुकी थी तपती धूप से चेहरा पसीने से भीग चुका था और मैं फावड़ा लिए जमीन को खोदने लगा
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मिट्टी खोदते खोदते 15 मिनट हो चुके थे
ठेकेदार अभी तक नहीं आया था
मैं ऊपर वाले से विनती करने लगा मात्र ₹300 में दिहाड़ी पर काम कर रहा हूं पत्नी को जब मैं शाम को ₹300 दूंगा तो पत्नी बहुत खुश हो जाएगी
तभी फावड़े की चोट से ठक-ठक की आवाज आने लगी शायद कोई बड़ा सा पत्थर होगा
जब मैंने पत्थर हटाया तो वहां पर एक पीतल का कलश निकला
कलश के अंदर चांदी के कुछ जेवर थे और एक सोने का हार और सोने की दो अंगूठी थी
तभी मुझे एहसास हुआ जैसे मेरा दिल मुझसे कह रहा है नेकराम यह सब तेरा ही है ठेकेदार के आने से पहले पहले यह सारा सामान छुपा कर कहीं रख दे शाम को अपने घर ले जाना
मैंने प्लॉट से दूर एक खाली मैदान में गड्ढा करके उस कलश को छिपा दिया यह सोचकर कि शाम को छुट्टी होने के बाद घर ले जाऊंगा
अब तो मैं और फुर्ती से प्लॉट के चारों तरफ गड्ढा खोदने लगा
दूर से मुझे ठेकेदार आता हुआ दिखाई दिया उसके साथ तीन हेल्पर और थे वह तीनों हेल्पर भी मेरे साथ खुदाई करने लगे
सारा दिन काम करते-करते जब शाम हुई तो ठेकेदार ने कहा इस प्लॉट की मालकिन आती होगी वही आप लोगों को आज की दिहाड़ी देगी
शाम के 5 बज चुके थे एक ओला गाड़ी हमारे सामने आकर रुकी
उसमें से एक स्त्री निकली ठेकेदार ने कहा लो मालकिन आ गई
सब अपने-अपने रुपए मांग लेना ₹300 के हिसाब से
जब मैंने ध्यान से देखा तो मुझे ऐसे लगा जैसे यह मेरी बड़ी बहन है
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बहन ने भी मुझे पहचान लिया और देखते ही कहा नेकराम तू यहां क्या कर रहा है
तब ठेकेदार ने बताया इस हेल्पर को तो मैं चौक से पकड़ कर लाया हूं
बेचारा ₹300 में मान गया और यहां पर प्लॉट बनवाने के लिए आ गया
बहन ने जल्दी-जल्दी से तीनों हेल्परों को रुपए दिए और जाने के लिए कहा ठेकेदार भी जा चुका था
बहन ने वहीं पास में मुझे स्टूल पर बिठाया और कहा अम्मा बाबूजी कैसे हैं सब ठीक है और छोटी भाभी कैसी है बड़ी भाभी कैसी है सबका हाल-चाल पूछा
फिर कहने लगी तुझे मजदूरी करने की क्या जरूरत थी बाबूजी तो नौकरी कर ही रहे हैं
तब मैंने कहा कई दिनों से पत्नी पीछे पड़ी हुई थी कह रही थी नौकरी कर लो बाबूजी अकेले कब तक घर संभालेंगे
तब बड़ी बहन बताने लगी भाभी भी ठीक कह रही है
मगर इतनी तपती धूप में खुदाई का काम करना ,, तुझे पता नहीं कितनी मेहनत है मकान बनाने में आज तो पहला दिन है
ईद भी सर पर उठानी पड़ती है और सीमेंट का मसाला भी बनाना पड़ता है
तब मैंने कहा दीदी मैं सब काम कर लूंगा लेकिन मुझे यहां पर काम के लिए मना मत करना मैं किसी को नहीं बताऊंगा कि मैं तुम्हारा छोटा भाई हूं मैं मजदूर बनकर काम करता रहूंगा
तब बहन बताने लगी अगर अम्मा बाबूजी को पता चला तो मुझे भी चार गालियां सुनने को मिलेगी
तब मैंने कहा दीदी मुझे नौकरी की सख्त जरूरत है तुम्हें तो वैसे भी हेल्पर चाहिए मैं भी हेल्पर बनकर काम कर सकता हूं
किसी तरह मैंने बहन को राजी कर लिया और कहा यह खबर किसी को मत बताना कि मैं यहां पर मजदूरी कर रहा हूं
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बहन बताने लगी तेरे जीजा से छुप-छुप कर कुछ पैसे इकट्ठे किए थे उसी का एक प्लॉट खरीदा है सोचा कि अब एक कमरा इस पर बनवा लूं कल को बच्चे बड़े होंगे तेरे भांजे तो उन्हें भी तो रहने के लिए मकान चाहिए आखिर हम किराए के मकान में कब तक रहेंगे
तब मैंने कहा दीदी एक खुशखबरी और बतानी है
मैं जल्दी से खाली प्लॉट से वह कलश निकाल कर ले आया और दीदी को पकड़ाते हुए कहा यह आपके प्लॉट से निकला है इसलिए इस पर आपका अधिकार है
बहन ने कलश के भीतर झांक कर देखा तो सोने चांदी के जेवर देखकर हैरान रह गई
बहन कहने लगी नेकराम इस पर तेरा अधिकार है यह कलश तुझे मिला है ईश्वर ने तुझे तेरी मजदूरी का तुझे इनाम दिया है
नहीं दीदी कैसी बातें करती हो प्लॉट आपका है इसलिए कलश भी आपका है मैं चाहता हूं इस जेवरात को बेचकर आपका एक मंजिल मकान बन जाए मैं तो यही चाहता हूं मेरी बहन हमेशा खुश रहे और किराए के मकान में कभी ना रहे
शाम को एक सुनार की दुकान पर जाकर हम बहन भाई ने उस समान की कीमत का पता लगाया सुनार चार लाख रुपए देने के लिए तैयार था
मैंने बहन को समझाया घर में जेवरात रखना गलत होगा इसे बेचकर
ईट बदरपुर और रेता खरीद लो मकान बनना जरूरी है
किराए के मकान की जिंदगी से तो छुटकारा मिलेगा
बहन ने ऐसा ही किया सारे जेवरात बेच दिए और मकान बनना शुरू हो गया
रोज शाम को बहन जब मुझे मेरी मेहनत के पैसे देती तो मैं नहीं लेता और यह कह देता जब मैं छोटा था तो मैंने तुम्हें वचन दिया था रक्षाबंधन के दिन की मैं हमेशा अपनी बहन की रक्षा करूंगा और विपत्ति आने पर हमेशा अपनी बहन की मदद करूंगा
मेरे पास देने के लिए कुछ नहीं है लेकिन मैं अपनी मजदूरी अपनी बहन से नहीं मांगूंगा और मैं शाम को हमेशा खाली हाथ घर लौट आता
1 महीने में मकान बनकर तैयार हो चुका था
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रसोई घर में पत्नी दाल पकाते हुए बोली तुम रोज सुबह निकल जाते हो नौकरी की तलाश में तुम्हें पूरा एक महीना बीत चुका है तुम्हें अभी तक कोई नौकरी नहीं मिली शाम को पूरे कपड़े गंदे करके आते हो जैसे मजदूरी करके आ रहे हो
तुम्हारी बड़ी बहन का फोन आया था उन्होंने नया मकान बनवाया है गृह प्रवेश है हम सबको बुलाया है वह कितनी तेजी से तरक्की कर रहे हैं और एक तुम हो कि तुम्हें नौकरी नहीं मिल रही है
अम्मा और बाबूजी सब तैयार थे अम्मा मुझे बताने लगी आज मेरी बेटी ने एक नया मकान बनवाया है शहर में हमारी तो सारी उम्र निकल गई इस पुराने मकान में रहते रहते हम तो एक थोड़ी सी जमीन भी नहीं खरीद पाए लेकिन हमारी बेटी हमसे 4 गुना आगे है
यही सब बातें करते हुए हम सब लोग बहन के घर पहुंच गए
मुझे तो रास्ता मालूम था लेकिन मैं रास्ते में ही नाटक करने लगा
मुझे रास्ता मालूम नहीं है बड़ी बहन से लोकेशन मांग लो
बाबूजी ने बड़ी बहन से पता पूछा और हम आसपास के लोगों से पूछते पूछते बड़ी बहन के घर तक आ पहुंचे
बहन ने खाने-पीने का पूरा इंतजाम करवा दिया था बहन के तरफ से भी कई रिश्तेदार आए हुए थे
आखिरकार कुछ रिश्तेदार कहने लगे नेकराम के जीजा की तो मामूली सी नौकरी है फिर इतना रुपया अचानक कैसे आया कि तुमने शहर में मकान बनवा लिया तब अम्मा बताने लगी मेरी बेटी बचपन से ही रुपए जमा करती थी और आज भी उसकी यही आदत है पति की सारी कमाई हवा में नहीं उड़ाती थोड़े-थोड़े रुपए जमा भी करती है बस उसी से मकान बनवा लिया
और फिर अगर हम किसी चीज की धुन पकड़ ले तो वह काम अवश्य होता है सब रिश्तेदार बड़ी बहन की तारीफ करने लगे
इस बात को कई साल बीत गए सब लोग अपने-अपने काम धंधों में रम गए समय तेजी से आगे बढ़ने लगा
अब तक मुझे भी सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी मिल चुकी थी और मैं अपना परिवार पालने लगा 2024 शुरू हो चुका था अचानक अम्मा और बाबूजी का कॉल आया नेकराम हम तुम्हें एक सूचना देना चाहते हैं
अब हम बूढ़े हो चुके हैं हम चाहते हैं अपने दोनों बेटों को प्रॉपर्टी का हिस्सा दे दिया जाए लेकिन मैं अपना एक हिस्सा अपनी बेटी को जरूर दूंगी आजकल बेटा बेटी सब बराबर है इसलिए बेटी को भी प्रॉपर्टी का हिस्सा मिलना चाहिए
लेकिन हमारे गली के कुछ पड़ोसियों ने यह भी बताया है कि अगर तीनों बच्चों को प्रॉपर्टी दे दी जाए तो तुम बुजुर्ग लोगों को कोई नहीं पूछेगा
इसलिए तुम भी अपना हिस्सा मांग लो कहने का मतलब है प्रॉपर्टी के चार हिस्से होंगे
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तब मैंने अम्मा को कहा प्रॉपर्टी के चार हिस्से करोगे तो सबको थोड़ी-थोड़ी रकम मिलेगी
मुझे तो यह बंटवारे का सिस्टम ठीक नहीं लग रहा है क्या बंटवारा करना जरूरी है
तब अम्मा ने कहा तेरे बाबूजी 70 साल के हो चुके हैं उनका फैसला है
प्रॉपर्टी के चार हिस्से होंगे
चौथा हिस्सा हम बूढ़े मां-बाप ले लेंगे और हमारी मर्जी होगी कि हम चाहे तो अपनी बेटी के साथ रहे या छोटे बेटे के साथ रहे या बड़े बेटे के साथ रहे हम जिनके साथ भी रहेंगे उन्हें अपना हिस्सा दे देंगे
फिर फोन कट गया मैंने पत्नी को बताया
अम्मा तो प्रॉपर्टी के चार हिस्से करने के लिए कह रही है मैंने तो बचपन में सुना था एकता में बड़ी ताकत होती है लेकिन आज तो बिखरने की नौबत आ गई
पत्नी कहने लगी अम्मा और बाबूजी का कुछ पता नहीं उनके मन में क्या है वह छोटी बहू के साथ रहना चाहती है या बड़ी बहू के साथ
या फिर अपनी बेटी के साथ रहना चाहती है
अगर अम्मा और बाबूजी हमारे साथ रहना चाहते हैं तो हमें कोई एतराज नहीं है पत्नी का जवाब मैंने अम्मा तक पहुंचा दिया
2 दिन के बाद अम्मा का जवाब आया — हमने प्रॉपर्टी बेंच दी है और चार हिस्से कर दिए हैं
मैं अपने बड़े बेटे और बड़ी बहू के साथ रहूंगी और मैंने अपना हिस्सा बड़े बेटे को दे दिया है और हमने एक 50 गज का फ्लैट खरीद लिया है
और तेरा हिस्सा तेरी बहन के घर पर भिजवा दिया है जब तेरी इच्छा हो वहां जाकर अपना हिस्सा मांग लेना
अम्मा और बाबूजी का फैसला मुझे स्वीकार था लेकिन पत्नी कहने लगी
चौथाई हिस्से में तो इस शहर में जमीन का छोटा सा टुकड़ा भी नहीं आएगा
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और अपना एक हिस्सा नंनद भी ले जाएगी अपने पास बचेगा ही क्या
मैंने पत्नी से कहा ईश्वर जो करता है अच्छा करता है हमें बड़ों के फैसले का सम्मान करना चाहिए और आगे आगे देखना चाहिए ईश्वर ने हमारे लिए क्या सोचा है
अगले दिन बड़ी बहन का कॉल आया नेकराम तेरा हिस्सा मेरे पास रखा हुआ है जब तेरी इच्छा हो ले लेना लेकिन कई महीने बीत गए मैं बड़ी बहन के घर ना गया
पत्नी ने भी इस बात पर कोई जिक्र नहीं किया
आखिरकार बड़ी बहन हमारे घर आ पहुंची कहने लगी नेकराम तुम किराए के मकान में कब तक रहोगे अब तो बाबूजी का मकान भी नहीं रहा कि तुम उधर जा पाओ
जो फ्लैट खरीदा था बड़े भैया के नाम पर है अम्मा और बाबूजी तो वहां पर बस अपनी जिंदगी के अंतिम क्षण बिता रहे हैं
लेकिन अधिकतर वह हमारे घर पर ही आकर रहते हैं
छोटी भाभी भी बच्चों को लेकर मिलने आ जाती है लेकिन तुझे तो कभी छुट्टी ही नहीं मिलती क्या करें तेरी भी मजबूरी है सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी ही ऐसी है
अम्मा कह रही है जल्दबाजी में हमसे बहुत गलत फैसला हो गया
बड़ी बहू का शहर में 50 गज का फ्लैट आ चुका है लेकिन छोटी बहू अभी भी किराए के मकान में रहती है
मेरा एक बेटा अपने मकान में और एक बेटा किराए के मकान में
बहन ने बताया ,, बाबूजी ने जो मुझे हिस्सा दिया है वह हिस्सा नेकराम मैं तुझे दे रही हूं तू भी इस शहर में एक फ्लैट खरीद ले तुझे किराए की जिंदगी नहीं जीनी पड़ेगी
बहन की बात सुनकर पत्नी की आंखों में आंसू आ गए वरना आजकल के जमाने में आया हुआ हिस्सा कौन किसको देता है
मगर मैंने बहन को बताया बड़े भैया की तरह मैं फ्लैट नहीं खरीदूंगा फ्लैट खरीदने में कई समस्याएं आती है एक तो छत पर कपड़े सुखाने के लिए रोज लड़ाइयां होती है गाड़ी खड़ी करने के लिए पार्किंग नहीं मिलती है ना बच्चों को खेलने के लिए कोई आंगन मिलता है
मैं जमीन खरीद लूंगा और तीन मंजिला मकान बनाऊंगा मेरे दो बेटे हैं दोनों के लिए एक-एक कमरा हो जाएगा और ग्राउंड फ्लोर में हम रहेंगे
और जब तक बच्चे छोटे हैं अम्मा और बाबूजी के लिए भी रहने का ठिकाना मिल जाएगा
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हम दोनों बहन भाई के हिस्से को जोड़कर शहर में जमीन का टुकड़ा भी आ गया और उस पर दो मंजिला मकान भी बन गया
पत्नी ने कहा अम्मा और बाबूजी को अब यहीं बुला लीजिए बड़ी बहू ने खूब सेवा कर ली अब छोटी बहू को भी मौका मिलना चाहिए
और मेरी ननंद ने अपना हिस्सा हमें देकर यह मकान बनवा दिया
बहन और भाई का रिश्ता और नंनद और भाभी का रिश्ता एक अटूट रिश्ता है जिसे जल्दी कोई समझ नहीं पाया
गृह प्रवेश में सब लोगों को बुलवाया गया
एक रिश्तेदार ने कह दिया बड़े बेटे के हिस्से में अम्मा का हिस्सा मिलने की वजह से उसका शहर में 50 गज का फ्लैट आ गया
और छोटे बेटे के हिस्से में बहन का हिस्सा मिलने की वजह से
उसका 25 गज वाले प्लॉट पर 3 मंजिला मकान बन गया
25 गज के प्लॉट पर बने 3 फ्लोर को अगर जोड़ा जाए तो नेकराम के पास 75 गज जमीन है
तब दूसरे रिश्तेदार ने कहा अगर बहन अपना हिस्सा न देती तो नेकराम के पास कुछ भी नहीं होता
तब तीसरे रिश्तेदार ने कहा — बहन और भाई के बीच में रिश्ते अगर अच्छे हैं भाभी और नंनद के बीच में रिश्ते अच्छे हैं
तो बहन अपना हिस्सा भाई को दे देती है
तब बाबूजी ने बताया हर घर की यही कहानी है माता-पिता हमेशा कमजोर बेटे के साथ खड़े हो जाते हैं अंत में हमने भी ऐसा ही किया
तब अम्मा ने बताया प्रॉपर्टी बिकने के बाद भी मेरे दोनों बेटे बहुएं और पोते पोतियों को शहर में रहने के लिए सर छिपाने को जगह मिल गई इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है
और सब का बंटवारा भी हो गया अब हम चैन से मर सकते हैं
तब सब रिश्तेदार हंसने लगे और कहने लगे अभी तो पोते और पोतियों की शादियां भी देखनी है अभी अम्मा और बाबूजी को यमराज नहीं ले जाने वाले
और मैं मन ही मन सोचने लगा 1 दिन मैं बहन के काम आया था और आज बहन मेरे काम आई ,,
फिर मिलते हैं एक और नई सामाजिक कहानी के साथ
खुश रहिए मिलजुल कर रहिए
लेखक नेकराम सिक्योरिटी गार्ड
मुखर्जी नगर दिल्ली से स्वरचित रचना