मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

हेलो बेटा प्रतिमा निपट गई जेठानी के लड़के की शादी से फ्री हो तो  बात करूं , हां मम्मी निपट गई। इतनी उदास सी क्यूं है निपटाया तो सब तूने ही होगा तेरी जेठानी तो कुछ कर नहीं पाती शरीर बेकार कर रखा है लेकिन ठसक अभी भी बहुत है । हां मम्मी सही कह रही हो किया तो सब हमने ही ।

बाहर के सब लोग कह रहे थे अरे प्रतिमा तुम बहुत काम संभालती है कौन देवरानी जेठानी का इतना आजकल करता है। जेठानी के लिए हर समय तुम करने को तैयार रहती हो ,हर समय तो वो बीमार रहती है । लेकिन मम्मी घर में जेठ जेठानी ने एक बार भी नहीं कहा कि हां प्रतिमा तुमने कितना संभाला ।

और पता है मम्मी शादी समारोह में सबको बांटने के लिए मेवे से भरे डिब्बे  आए थे और मिठाई के डिब्बे भी सबको दिया लेकिन मुझे नहीं दिया बस एक दो सौ रूपए की साड़ी पकड़ा दी जो बाहर फेरी वाले से लिया था सबको देने के लिए ।देने लेने का बिल्कुल भी दिल नहीं है हां मम्मी माना कि

मैं उनसे कमजोर हूं लेकिन क्या मेरी कोई इज्जत नहीं है। मैंने तो सब आगे बढ़कर इसलिए निपटाया कि वो कर नहीं पाती लेकिन वो मेरी जरा भी इज्जत नहीं करती । उनकी गलती नहीं है मेरे साथ हमेशा ही ऐसा होता है। चाहे किसी के लिए कितना भी कर लो कुछ हासिल नहीं होता।बेटा किसी किसी की किस्मत में नेकी नहीं लिखा होता है हां मम्मी।

                        आज शादी समारोह से निपटकर प्रतिमा थोड़ी देर सुस्ताने बैठी तो कुछ पुरानी बातें सोंचने लगी कि क्यों मेरे ही साथ ऐसा होता है  मैं तो सबका समय पर साथ देती हूं। प्रतिमा पांच बहनें थीं अपने से छोटी तीन बहनों के शादी के समय सबका देखना दिखाना सब प्रतिमा ने ही किया

और सबसे छोटी बहन की तो शादी तक अपने घर से की थी ।समय और पैसा भी लगाया । सबसे छोटी बहन की शादी सक्सेज नहीं हुई तो सब प्रतिमा पर दोष मढ़ने लगी कि तुमने जबरदस्ती शादी करवा दी ।अब बताओ करने का तो नाम नहीं ऊपर से इल्ज़ाम और लगा रही है जबकि छोटी बहन की शादी उसकी ही जबरदस्ती से हुई थी ।

                फिर छोटी बहन के पति का असमय देहांत हो गया तो प्रतिमा बराबर मदद करती रहती ।बहन को मासिक संबधी परेशानी हो गई थी तो प्रतिमा ने ही आपरेशन कराया 60,70 हजार रूपए लगाएं और महीनों उसका ध्यान रखती रही न धुप देखी न गर्मी बराबर अस्पताल जाना खाना नास्ता पहुंचाना,

देखभाल ,दवाई , तीमारदारी सबकुछ किया लेकिन जब सबकुछ ठीक हो गया तो बहन की बेटी कहने लगी कर दिया तो क्या अहसान कर दिया पैसा खर्च किया तो पैसा वापस कर दूंगी ।अब बताओ इतना पैसा था पास में तो करा लेती आपरेशन किसी दूसरे का अहसान लेने की क्या जरूरत थी ।बड़ा मन दुखी हुआ प्रतिमा को सुनकर ।

                   ऐसे  जेठानी के दो बेटे थे और वो जब देखो तब बीमार रहती थी तो जेठ का फोन प्रतिमा के पास आ जाता था कि घर आ जाओ जरा भाभी को देख  लो बीमार है प्रतिमा हर वक्त मौजूद रहती थी ।पर प्रतिमा के लिए कोई कुछ न करता । वैसे तो प्रतिमा अपनी सेहत का अच्छे से ध्यान रखती थी थोड़ी बहुत तबियत खराब भी हुई तो वो खुद ही मैनेज कर लेती थी ।

लेकिन प्रतिमा कभी मायके चली जाती तो प्रतिमा के पति अकेले रहते तो खाने तक को न पूछतीं थी बस तबियत का बहाना बना देती।

     जेठानी के बेटे की शादी का काम घर से लेकर बाहर तक का खूब अच्छे से संभाला। जेठानी के भाई और बहनें तक बोली दीदी आपने बहुत काम संभाला लेकिन जेठ जेठानी ने  कुछ न कहा  और न समझा ऐसे क्या जैसे मैं नौकरानी हूं दो सौ रूपए की साड़ी पकड़ा कर इतिश्री कर ली।

             शादी के तीन दिन बाद फिर प्रतिमा के पति ने भाभी के घर जाकर बोला कि आपने हमलोगों को तो गिफ्ट और मिठाई भी नहीं दिया जो सबको दिया था । जेठानी का मुंह ज़रा सा हो गया । फिर कहने लगी घर के लोगो को थोड़ी दिया जाता है हक से ले जाना पड़ता है ।अरे  हक तो तब होता है जब इतना हक दिया है ।जाओ प्रतिमा तुम जो चाहो  उठाकर ले जाओ ।अब ऐसे थोड़े कोई उठाकर ले जाता है जेठानी का तो वैसे भी दिल नहीं है देने लेने का ।

                 अब दूर क्यों जाओ प्रतिमा के पति को सेहत संबंधी तमाम परेशानियां हैं ।काई बार उनके आपरेशन हो चुके हर बार प्रतिमा ही तो करती है अभी कुछ समय पहले पैर मैं फैक्चर हो गया था तो प्रतिमा उनका सारा काम करती । उसके पहले हार्ट का आपरेशन हुआ तो दिल्ली में उनके साथ रही हां ऐ अलग बात है

कि आजकल जब-तक मरीज अस्पताल में हैं तब-तब घर वालों को कुछ नहीं करना पड़ता लेकिन घर आने पर तो करना पड़ेगा न । फिर अभी उनके दोनों घुटनों का आपरेशन हुआ तो उसमें छै महीने तक देखभाल करनी पड़ती है ।रात में कितनी बार उठाकर पति को बाथरूम ले जाना ,टहलाना खाने पीने कि ध्यान रखना

चलों ये सब तो एक पत्नी को करना ही पड़ता है उसका फर्ज है ऐसा बताया जाता है लेकिन पतिदेव भी ताने मार देते ऐसा क्या स्पेशल कर दिया जरा सी देखभाल ही तो करी है ।तुम नहीं करोगी तो कौन करेगा । प्रतिमा सोंचने लगी ठीक है हमारा फर्ज है लेकिन करती क्या हो किया क्या है ऐसा कहकर मन को ठेस तो न पहुंचाए।

              प्रतिमा सोंचने लगी सभी के लिए जितना हो सकता है मैं करती हूं लेकिन कोई भी बंदा ये नहीं कहता कि हां प्रतिमा तुमने बहुत किया।हर करने वाला इंसान इसका कोई बदलाव नही चाहता लेकिन कोई कह देता है कि तुमने किया तो अच्छा लगता है  बस और कुछ नहीं।

            प्रतिमा को मम्मी की बात याद आने लगी वो हमेशा कहतीं थी देख प्रतिमा तेरी मम्मी ने भी तो सबके लिए बहुत किया लेकिन उसको भी तो कभी यश नहीं मिला । क्या करूं जिसकी करने की आदत होती है वो तो करेगा ही चाहे कोई उसका मान लें या न दे।

              सुन प्रतिमा अब तू अपनी जेठानी के लिए थोड़ा हाथ खींच ले लो दो बहुएं तो आ गई है उनसे कराए अब नहीं जाना बोले तो कह देना कि अब आपकी बहुएं आ गई है उनसे कराओ हां मम्मी सही कहा ।और बेटा जहां तक दामाद जी की बात है तो वो तो अपना फर्ज समझ कर कर ।

हां मम्मी प्रतिमा ने अब वैसा ही करना शुरू कर दिया है जब भी जेठानी का फोन आता प्रतिमा कोई न कोई बहाना बना कर टाल जाती । ठीक भी है दोस्तों अब तक कोई किसी का करेगा  हर चीज की एक लिमिट होती है । प्रतिमा ने सोचा यदि मेरे साथ हर बार ऐसा ही होगा तो अब मैं ऐसा होने न दूंगी ।

धन्यवाद 

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

3 जुलाई 

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