Moral Stories in Hindi : सुनिए.. कई दिनों से मेरी मम्मी के घुटनों में बहुत दर्द हो रहा है और डॉक्टरों ने उन्हें ऑपरेशन के लिए बोला है,आपको तो पता ही है मैं मम्मी पापा की इकलौती संतान हूं, तो मैं सोच रही हूं की मम्मी पापा को कुछ समय के लिए यही बुला लेते हैं.
और यहां किसी अच्छे से अस्पताल में मम्मी को दिखाकर उनका ऑपरेशन भी करवा लेते हैं और फिर यहां रह कर उन्हें काम की टेंशन भी नहीं रहेगी मैं सब अच्छे से संभाल भी लूंगी! और एक बेटी के साथ रहने से उनकी तबीयत में जल्दी ही सुधार आ जाएगा, क्योंकि क्योंकि मम्मी तन और मन दोनों से ही खुश रहेगी।
लेकिन सीमा.. तुम्हें पता है ना ऑपरेशन के बाद कम से कम दो-तीन महीने का आराम चाहिए और यार हम कैसे एडजस्ट करेंगे, तुम एक काम करो, मम्मी ऑपरेशन वही फिरोजाबाद में करवा लेगी, कुछ समय के लिए तुम वहां हो आना और जरूरत पड़ी तो मैं भी आ जाऊंगा, पर यहां इतने दिनों तक तो उनके आने से बहुत दिक्कत हो जाएगी!
रवि ने जैसे ही यह शब्द कहे सीमा को भयंकर गुस्सा आ गया और वह बोल गई … वाह रवि तुम तो कमाल हो यार, जब पिछले साल तुम्हारे पापा जी का घुटनों का ऑपरेशन हुआ था तब तो वह पूरे 6 महीने यहां रहे थे और तुमने बड़ी मुश्किल से उन्हें यहां से जाने दिया था, जबकि तुम तो चार चार भाई बहन हो, अपने पापा मम्मी को अच्छे से संभाल सकते थे! पर नहीं.. तुम्हें तो अपने पापा जी की सेवा खुद करनी थी , तुमसे ज्यादा सेवा उनकी मैंने की थी ।
जब तुम मुझे शादी के लिए देखने आए थे तब मेरे पापा ने तुम लोगों से कहा भी था… की सीमा मेरी इकलौती बेटी है हमारा सब कुछ सीमा का ही है, तब यह सुनकर तो तुम लोग खुश हो गए थे, तो तुमने केवल यह समझा था कि पापा की सारी संपत्ति मेरी है, तो उनकी जिम्मेदारी मेरी नहीं होगी क्या? जब उनकी जायदाद और संपत्ति में मेरा हक है, तो मेरे मम्मी पापा पर भी तो मेरा ही हक है, मेरे अलावा कौन उनकी जिम्मेदारी लेगा, देखभाल करेगा,
कल को अगर तुम्हारी बेटी तुम्हें अपने पास किसी कारण बस रखने से मना कर दे तो तुम क्या करोगे? क्या तुम्हें दुख नहीं होगा, कि तुम्हारी बेटी ने तुम्हें साथ रखने से मना कर दिया? इस प्रकार में और मेरे मम्मी पापा एक दूसरे की जिम्मेदारी है! तो पतिदेव… मैं केवल आपकी पत्नी ही नहीं हूं, अपने माता-पिता की बेटी भी हूं!
सीमा ऐसा कहते कहते रोने लग पड़ी! उसे रोता देख रवि को भी अपने ऊपर पश्चाताप होने लगा! तब उसने सीमा से कहा …आई एम सॉरी सीमा, मैं पता नहीं क्या-क्या बोल गया, मुझे समझना चाहिए था, जैसे मेरी मम्मी पापा मेरी जिम्मेदारी है वैसे तुम्हारे माता-पिता भी तो तुम्हारी जिम्मेदारी है! पता नहीं मैं ऐसे शब्द कैसे बोल गया, मुझे माफ कर दो! और हां मैं आज ही मम्मी पापा को फोन करके यहां आने के लिए तैयार करता हूं! यह सुनकर सीमा के चेहरे पर मुस्कान आ गई!
सच ही है एक बेटी दोनों परिवार की जिम्मेदारी अच्छे से संभाल सकती है लेकिन एक बेटा जब किसी का दामाद बनता है तो अपनी पत्नी के माता-पिता उसे क्यों भारी लगने लग जाते हैं?
हेमलता गुप्ता स्वरचित
बेटियाँ S