जब मेरा विवाह हुआ तब मेरे पति दिल्ली की एक बड़ी कंपनी में इंजीनियर थे ! बी .टेक किये हुए थे ! ये काफी स्मार्ट लगते थे अपनी कंपनी यूनिफोर्म में बहुत ज़मते थे ! जब मेरी सरकारी नौकरी लगी ! हमारे आगे काफी बड़ी समस्या आ गयी बच्चों को कौन देखेगा !
क्योंकी मेरा बेटा 3 साल का था और मेरी सोनपरी 7 महीने की ! और कोई मायके य़ा ससुराल पक्ष से आता भी तो कितने दिन रह जाता ! नौकरी तो मुझे 62 साल तक करनी थी ! तब मेरे पति ने निश्चय किया कि मैं अपनी नौकरी से इस्तीफा दे देता हूँ ! तुम आगरा रहोगी और मैं दिल्ली ! ये हमारे फूल से बच्चे आया के सहारे रहे !
मुझसे नहीं देखा जायेगा ! जिनके लिए कमा रहे हैं वो ही बच्चे अनाथ बच्चों की तरह रहे मैं नहीं देख सकता ! मैने कहा इनसे घर में सब क्या कहेंगे कि बीवी की नौकरी लगते ही घर बैठ गए ! बहुत से ताने देंगे सब तुमहे ! क्योंकी ये समाज पुरूष प्रधान हैं !
अगर आदमी घर बैठ जाता हैं तो उसे समाज की आलोचनाओं का सामना करना पड़ता हैं ! एक बार फिर सोच लो! मैं इस्तीफा दे देती हूँ ! कहते तुमहे सरकारी नौकरी में देखने के लिए हम दोनों ने कितनी मेहनत की हैं !
एक मिडल क्लास फैमिली के लिए सरकारी नौकरी का महत्त्व जानती हो ! भगवान ना करे मुझे य़ा तुमहे कुछ हो गया तो बच्चों का भविष्य तो सुरक्षित रहेगा ! जिस समाज की बात करती हो वो समाज हमें खाने को नहीं दे जायेगा ! बच्चों के साथ कुछ अनहोनी हुई तो यही समाज ऊंगली उठायेगा कि
दोनो अपनी नौकरी में व्यस्त थे ! इसलिये मैं समाज की परवाह नहीं करता !मैने पैदा किये हैं ये फूल ! ये अपनी मर्जी से नहीं आये हैं ! इनकी ज़िम्मेदारी हमारी हैं और किसी की नहीं !
फिर मैं भी कुछ नहीं बोली ! ये दिल्ली जाकर इस्तीफा दे आये ! इसके बाद मुझे आगरा के गांव में स्कूल मिला ! हम वही किराये पर रहने लगे ! क्योंकी वहां से मेरा ससुराल बहुत दूर था दयालबाग में ! आने जाने में बहुत समय लग जाता इसलिये वही रहने का फैसला लिया !
मैं स्कूल जाने लगी मेरे पति घर पर बच्चों को देखते ! घर से मेरी सास का फ़ोन आता इनके पास तो वो भी कहती क्यों इज्जत मिट्टी में मिला रहा हैं हमारी ! हम क्षत्रिय हैं हमारे यहाँ आदमी काम करते हैं और औरतें घर संभालती हैं ! ये बोलते मेरे बच्चों की पूरी ज़िम्मेदारी ले
सकती हो आप तब बात करो मुझसे ! अन्यथा ये बात कहने का कोई हक़ नहीं आपको ! गांव में भी कई लोग तरह तरह की बातें करते ! मुझे कुछ भी आकर नहीं बताते ! मुझे ही इधर उधर से पता चलता ! मेरे पति ने मेरे लिए कोट पैंट टाई कुरसी पर बैठने वाली नौकरी का त्याग कर दिया !
आज मेरी सोनपरी 3 साल की हो गई हैं और बेटा 5 साल का ! बेटा अपने स्कूल जाता हैं बेटी मेरे साथ मेरे स्कूल आ जाती हैं ! पतिदेव ने बाजार में परचून की दुकान खोल ली हैं ! मेरा सूट बूट वाला पति बनिया बन गया हैं बुद्धु राम गले में अंगोछा डाल के घुमते हैं और उन पर मुझे पहले से ज्यादा प्यार आता हैं और उनकी इज्जत मेरी नजरों में और बढ़ गयी हैं ! ईश्वर की कृपा से हमारी दुकान अच्छी चल रही हैं !अब घर वालों की आलोचनाएं भी बंद हो गई हैं !
साथियों ,ये बात सच हैं की हमारा देश पुरूष प्रधान हैं ! यहाँ आदमी का नौकरी ना करना अभिशाप हैं !ईश्वर जाने ये सोच कब बदलेगी !
अगर मेरे मयंक जी मेरे लिए अपनी नौकरी का त्याग नहीं करते तो शायद मैं नौकरी इतनी आसानी से नहीं कर पाती ! छोटा सा जीवन हैं हमारा इसमे पति कहीं और रहे और पत्नी कही और ! और बच्चों की परवरिश में कब जीवन की गाड़ी अंतिम पड़ाव पर आ जायेगी पता भी नहीं चलेगा !
अगर मुमकिन हो तो जीवनसाथी और बच्चों के साथ एक ही जगह रहने का प्रयास करें ! मुझे ख़ुशी हैं कि मेरे पति के त्याग की वजह से वो रोज शाम को घर आते हैं ! बच्चें बेसबरी से उनका इंतजार करते हैं की पापा दुकान से एक टाफी लेकर आयेंगे !
#त्याग
धन्यवाद
स्वरचित
मीनाक्षी सिंह