आज की यह कहानी मेरी सर्वप्रथम रचना है
जिसे मैं खुद से ही शुरुआत करती हूं।
हम पांच भाई बहन हैं, मेरे से बड़े दो भाई फिर मैं बाद में एक भाई, और उससे छोटी एक बहन!
मेरे बड़े से मैं 6/7साल छोटी हूं, मेरी मां बताते है कि जब मेरा जन्म हुआ तो मेरे भैया बहुत खुश हुए
मेरे मम्मी कहते हैं कि मेरा भाई मुझे इतना लाड प्यार करते थे कि अपने से बिल्कुल अलग रखते ही नहीं थे
मेरे भाई पढ़ाई में भी मेरी बहुत बहुत मदद करते थे
हम पांचों भाई बहन साथ में बहुत इंजॉय करते थे ,मेरे बड़े भैया पढ़ाई में मेरी बहुत मदद करते थे मुझे हर अच्छे काम के लिए प्रेरित करते थे मुझे अच्छे-अच्छे कहानियां सुनाते थे जैसे जैसे हम लोग भाई-बहन बड़े होते जा रहे थे मेरे भाई मेरे प्रति बहुत जागरूक हुआ करते थे बचपन में
जब मैं फर्स्ट क्लास में या सेकंड क्लास में थी तभी मेरे पापा का देहांत हो गया तभी मेरे बड़े भाई अभी इतनी उम्र नहीं थी कि वह कुछ कर सकते थे, वह भी तभी 11th 12th में ही थे तो पूरे घर का भार उन पर ही आ गया था।
पापा तो चले गए बेटा है गमगीन
मां उसे समझा रही ,बेटा सब परमात्मा के अधीन।
अब तुझे ही संभालना है, ना बन तू अब दीन हीन,
बेटे ने मन में कुछ सोचा, उठकर बोला,
मां मुझे पूरा है विश्वास कि, पिता की आत्मा है मेरे साथ
तो भैया ने दुकान को भी संभाला हमारे पापा की ,हम सभी भाइयों बहनों को भी संभाला और मेरे भाई ने कभी भी मुझे पापा की कमी महसूस नहीं होने दी कभी भी खुद उदास होते थे, अकेले अंदर ही अंदर रोते थे पर हम सभी भाई बहनों का और मम्मी का बहुत ख्याल रखते थे ,कहते हैं ना की ऊपर से कठोर और नरम दिल बिल्कुल नारियल के जैसे बाहर से कड़क और अंदर से एकदम नरम !
अगर हम पांचों भाई बहनों में से किसी को भी कुछ भी हो जाता तो उनको दर्द होता था और आज भी हम लोग इतने बड़े हो गए हैं मेरे आज पापा को गुजर के 40 साल होने को आए हैं पर इन 40 सालों में मेरे बड़े भैया ने कभी हम लोगों को पापा की कमीमहसूस नहीं होने दी। हर जगह हमारे आगे चट्टान की तरह खड़े हो जाते थे तो हमें भी ऐसा कभी महसूस नहीं हुआ कि आज हमारे पापा नहीं हैं।
पर मैं जब बढ़ी हुई 20 साल की तो मेरे भाई ने मेरे लिए शादी के लिए लड़की देखने चालू कर दिए, उन्होंने इतने लड़के देखें और बहुत अच्छा घर और वर देखकर मेरी शादी कराई।
अगर आज मेरे पापा भी होते ना तो वह भी बहुत खुश होते हैं कि देखो एक बहन के लिए भाई ने इतना किया।
जब मेरी शादी हुई तो सभी गांव वाले बोलने लगे कि देखो आज गांव में पहले नंबर पर इस भाई ने बहन की शादी की है ।कितने अच्छे से सब मैनेज किया ,कितना अच्छा सब कुछ किया मैंने आज उसके पापा होते तो भी नहीं कर पाते थे ।
और हम गांव वाले हैं अभी तक किसी ने भी ऐसी शादी नहीं रचाई जबकि इसके भाई ने किया।
उनको मेरे भाई तो अच्छे हैं पर मेरी भाभी भी मेरी मां से बढ़कर है मेरी भाभी भी मुझे मां की तरह ही प्यार करती है भले ही वह मेरे से उम्र में भी मेरे भाई के बराबर ही होंगे पर इतना लगाव रखते ना मुझे महसूस नहीं होता है कि वह मेरे भाभी है और मेरे बड़े भैया, आज भी हम लोग की शादी को भी 20 साल होने को आए हैं पर कभी भी हमें पराया नहीं होने दिया आज भी एक गार्जियन की तरह हर किसी काम में कुछ भी रहेगा आगे तैयार हो जाते हैं बस उनको बोलना चाहिए कि यह बात है
जब मैं बीमार हुई डिलीवरी के टाइम पर मेरे को खून की बहुत सख्त जरूरत थी तो कहीं पर भी मेरा ग्रुप नहीं मिल रहा था खून तो मेरे भाई ने कहां-कहां जाकर आ रहे हैं नहीं किया और मेरी भाभी का मैच हुआ तो मेरी भाभी खुद कमजोर थी तो भी उन्होंने खून दिया बोलते नहीं मेरे ननंद है यह मेरी बेटी बराबर है,
मेरे बच्चों की भी शादी होने को आई है सगाई हुई तो सगाई में भी उन्होंने सब तो शादी में मुसल्ला करते हैं मायरा बोलते हम लोग तो मेरे बच्चों की सगाई में भी उन्होंने इतने अच्छे से माहिरा भरा ना कि इतना कोई शादी में भी खर्च नहीं करता है ।
अगर मैं मेरे भाई को ऐसे बोलो ना, कि मुझे भैया यह चीज बस मेरे उंगली रखने की या मेरे मुंह से निकलने की देर है फटाक से वह चीज मेरे लिए हाजिर।
मैं मेरे भाई की अच्छाइयां क्या लिखूं अगर पूरा लिखो ना तो एक पूरा नवेली बन जाए या फिर एक ग्रंथ बन जाए मैं तो भगवान से यही प्रार्थना करती हूं हर जन्म में मुझे यही भाई और यही भाभी मिले मेरे पहले बड़े वाले भैया तो है दूसरे नंबर वाले भी मेरे भैया इतने अच्छे हैं कि वह भी हर टाइम मुझे पढ़ाई में हेल्प करते थे मुझे नोट्स बना बना कर देती थी जब मैं रात रात भर जागती थी तो मेरे लिए कुछ का कुछ बनाकर खिलाते थे तभी चाय दूध बना कर देते थे और वह साथ मेरे साथ जागते थे।
पढ़ाई से रिलेटेड या स्कूल से रिलेटेड कोई भी एक्टिविटी होती तो भैया मुझे बहुत सपोर्ट करते थे मुझे हर काम में प्रेरित करते थे।
आज मैं जो कुछ भी हूं मैं दोनों भाइयों के कारण ही हूं।
सभी कहते हैं कि भाभी आने से भाई बदल जाते हैं पर मेरे भाई में रत्ती भर भी फर्क नहीं आया ।जितना मुझे बचपन में लाड करते थे आज आज भी करते हैं, मैं खुद दो बच्चों की मां हो गई हूं तो भी मुझे उतना ही लाड करते जबकि और ज्यादा करते हैं।
मेरे ससुराल वाले भी मेरे भाइयों की तारीफ करते नहीं थकते, कहते हैं कि तेरे भाई आज तेरे पापा नहीं है तो भी उन्होंने कितना नाम रोशन किया उनका इतनी छोटी उम्र में अपने सर पर बहुत जाया तो भी उसको हंस के सहा और सब अच्छे से मैनेज किया भगवान से मैं यह प्रार्थना करती हूं कि सभी बहनों को मेरे भाई जैसा देवे
लेखिका -हेमा दिलीप जी सोनी
मुझे कहानी लिखना तो नहीं आता है पर पहली बार भाई पर ऐसा टॉपिक आया तो मेरे से रहा नहीं गया और और अपने भाई के लिए लिखा आप सभी पाठको से अनुरोध है कि मेरी कहानी मैं कुछ भी त्रुटि या गलती हो तो क्षमा प्रार्थी