बहुत साल पहले की बात है,मैं किसी काम से दो दिन के लिए दिल्ली गई थी, मेरी बेटी ने अपनी पहली तनख्वाह से मुझे एक प्यारा सा स्मार्टफोन गिफ्ट किया,
मैंने उससे कहा कि ये मेरे पास है तो, मुझे तो ये चलाना भी नहीं आता, अरे मम्मी,ये तो छोटू मोबाइल है,आप इससे दीदी से पेरिस बात करतीं हैं तो कितना पैसा लगता है, और आप मिनट गिनती रहतीं हैं, फिर फटाक से फोन काट देतीं हैं, इससे आप वीडियो कालिंग भी कर सकती हैं, मैं आपको सिखा देती हूं, आइये, और उसने मोबाइल पकड़ा,, ऊंगली से फटाफट उस पर स्पर्श किया, ये ऐसा है,ये वैसा है,आप यहां टच करिये, वहां टच करिये,इस तरह काल करिए,उस तरह काटिये,, मैंने तीन माह का रिचार्ज कर दिया है, खूब पिक्चर, सीरियल देखिए और खूब बातें करिए, मैंने अचकचा कर उसका मुंह देखा, कुछ भी पल्ले नहीं पड़ा, मम्मी समझ गई ना, अच्छा
चलिए, ट्रेन का समय हो रहा है, तो आप तैयार हो जाईए,
मैं ट्रेन में बैठ गई ,सब लोग खूब आपस में बातें कर रहे थे, मैं चुपचाप बैठी थी, अचानक मुझे अपने मोबाइल का ख्याल आया, मैंने पर्स से झट से निकाला और उसे उलट पलट कर देखने लगी,
बेटी ने उसे लाक नहीं किया था, मैं उसे लेकर स्क्रीन पर ऊंगली से जगह जगह टच करने लगी,कि एकदम से ज़ोर की आवाज में गाना बजने लगा,,,सौ साल पहले मुझे तुमसे प्यार था,हे भगवान,यह क्या हो गया,, मैंने उस पर जल्दी जल्दी उंगली फेरी,तेरा मेरा प्यार अमर फिर क्यों मुझको लगता है डर, मैंने घबराते और शरमाते हुए सबके ऊपर नजर डाली,सबका गपसड़ाका बंद,सब आंखें फाड़कर बड़े ही कौतूहल से मुझे घूरे जा रहे थे, मैंने फिर बंद करने की कोशिश में ऊंगली चलाई तो
,, कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है के,,, मैंने हार कर खिसियानी मुस्कराहट के साथ सामने वाले लड़के से कहा,, भैया, मेरी बेटी ने आते समय मुझे ये मोबाइल पकड़ा दिया, जल्दी में कुछ सीख नहीं पाई,इसे बंद कर दीजिए, उसने लेकर बंद कर दिया और साथ में उसे साइलेंट मोड पर भी डाल दिया, ताकि मैं सबको पुनः डिस्टर्ब ना करूं,,
ऊंगली से बारबार टच करने से जाने कितनों को फोन चले गए और उन लोगों का फोन आया तो मुझे सुनाई नहीं दिया, और जब स्क्रीन पर लाल हरी बत्ती जलते देखा तो लगा कि ये क्या हो रहा है,अब किसी से कुछ नहीं पूछना है, और मैंने मोबाइल को अंदर रख दिया, इसके पहले मुझे इस तरह के मोबाइल में कोई रुचि नहीं थी, स्कूल में एक दो मैडम के पास थे,पर मैंने उसकी तरफ झांका ही नहीं,
जब मैं स्कूल गई तो कई शिक्षिकाओं ने कहा, मैडम, आप ने नया फोन लिया क्या,? आपको कैसे पता,, अरे,आपके कितने फोन हमारे पास आये और हम करते तो आप उठाती ही नहीं थी, मैंने हैरान हो कर कहा, नहीं तो, मैंने तो किसी को नहीं लगाया,
ये देखिए, और मैंने झट से निकाल कर दे दिया,ओह, मैडम, आपने बहुत लोगों को फोन लगा दिया है, आपका तो बहुत पैसा कट गया होगा, मुझे बेटी पर बहुत ग़ुस्सा आया,अरे,कम से कम ठीक से कुछ तो बता देती,
मैंने उनसे कहा,कि आप मुझे सिखा दो,दो तीन मैडम बड़ी देर तक उलझी रहीं , फिर निराश हो कर बोलीं , मैडम,हम सबका मोबाइल सैमसंग का सस्ता दस हजार रुपए वाला है, आपका वन प्लस मोबाइल है, ये तो बहुत मंहगा है और अभी नया ही आया है, हमारे भी समझ में नहीं आ रहा है,, हम भी तो अभी नया ही लिए हैं ,सीख रहे हैं, एक ने अपने बेटे को फोन कर के बुलाया, उसने कुछ प्राथमिक जानकारी दी, मैंने थोड़ा थोड़ा चलाना सीखा, पन्द्रह दिनों के बाद वो बंद हो गया, मैंने अपने प्यारे छोटू फोन से बेटी को फोन लगाया, और बताया कि वो महाराज तो चुप्पी साध लिए, अरे मम्मी, तीन महीने का बैलेंस डाला था, ऐसे कैसे खत्म हो गया, पता नहीं, आप फोन करने के बाद काटती हैं ना, मैं क्यों काटूं, सामने वाला काटे, मैं ना इधर का काटती हूं ना उधर का काटती हूं,ओह,, अच्छा, इंटरनेट रात को बंद करतीं हैं, नहीं, तुमने बताया था क्या,
अच्छा मम्मी, मैं फिर से कर देती हूं,,पर मैंने तीन बार पूरा पैसा गंवाया, और जब मैं गांव गई तो मेरे भतीजे ने मुझे सब आराम से सही सही सिखाया,, फिर मेरी बड़ी बेटी ने मुझे अच्छी तरह बताया, उसने और दामाद जी ने पिछले दिसंबर को कहानियां हिन्दी में लिखना सिखाया,पर अब भी मेरी छोटी बेटी से कुछ पूछों तो वो मोबाइल लेकर टिट
टिट करके, हां मम्मी समझ गई ना, मैं हंस कर रह जाती, और धीरे धीरे मैंने मोबाइल को खूब ठोंक पीटकर बहुत कुछ सीख डाला, अब तो वो कहती है, मम्मी,आप तो मुझसे भी ज्यादा बहुत कुछ जान गई हैं,, उसके और बेटी के दोस्त और मेरे स्कूल के स्टाफ कहते हैं,, ये तो सोशल मीडिया पर,सब जगह छाईं हुई हैं,
लैपटॉप भी बहुत बढ़िया चलातीं हैं, हां सच में, मुझे तो इसकी एबीसीडी भी नहीं आती थी,पर एक दिन बेटी ने कहा, मम्मी,आप को कितनी बार बताया पर आपको समझ नहीं आया,अब रहने दीजिए,,बस तभी से ठान लिया, मैं साठ किलो वजन की पैंतालीस साल की भाई और पतिदेव को बोला, मुझे लूना सिखा दीजिए, दोनों बोले, साइकिल तो आती नहीं, लूना चलायेंगी,भाई ने एक बार ही चलवाया,कद काठी भी छोटी,
बस दीदी हो गया, आपसे, रहने दो, पतिदेव ने पार्क में दो चक्कर लगवा कर कहा,अब चलावो, मैं मजबूरन चलाने लगी दो तीन बार गिरी धड़ाम से, कभी साइकिल का हैंडल पकड़ा हो तो कुछ समझ में भी आये,वो भी बोले,बस बस रहने दो,हाथ पैर तोड़ कर बैठोगी,
दूसरे दिन वो भोपाल चले गए,
जब एक सप्ताह बाद वापस आये
तो मुझे स्कूल से लूना चला कर आते हुए देखकर आश्चर्य चकित रह गए, तुम, कैसे सीख लीं, मेरे स्कूल की मैडम मुझे अपने साथ लूना से ले जाती और स्कूल के मैदान में आधी छुट्टी में सिखातीं थी,आप दोनों ने मुझे ताना मारा था ना,, बड़े ही स्नेह भरे नजरों से मुझे निहारते हुए बोले,सच में तुमने तो कमाल ही कर दिया, इतना वजन, इतनी उम्र वाह,, मैंने कहा, जहां चाह वहां राह,,
हां तो बात हो रही थी,इस जिद्दी और सिरफिरे मोबाइल की,,
सच में इसने मुझे बहुत परेशान किया बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा,पर वो डाल डाल तो हम पात पात,, बच्चू, हमसे बचकर नहीं जा सकते,, हमने उसके कानों को खूब एंठ मरोड़ कर सीधा कर के ही दम लिया,,अब हमसे भाग कर कहां जा सकता है,,,
,,खूबै नचायो,अब ना नचाय पहौं
अब हम तोहंका नचाऊब
सुषमा यादव, प्रतापगढ़,, उ, प्र,
स्वरचित मौलिक, अप्रकाशित