हॉस्पिटल की बालकनी में भुवनजी बेसब्री से चक्कर काट रहे थे, बार बार आसमान को ताकते हुए उनकी आंखों की कोर से आंसुओं की बूंदें टपक जाती थी, जिन्हें वो सबसे नज़र बचाकर आस्तीन से पोंछ देते थे।
“मि. चोपड़ा, अंदर चलिए, आपकी वाइफ की कंडीशन लगातार बिगड़ रही है” अचानक नर्स ने आकर कहा।
“सिस्टर बस दो मिनट, बस चॉंद निकलने ही वाला है” भुवनजी ने बैचेनी से कहा।
“क्या मतलब ?”नर्स ने चौंककर पूछा।
“सिस्टर, जिंदगी भर उमा मेरी लंबी उम्र के लिए यह करवा चौथ का व्रत करती रही, काश मैंने भी उसकी लंबी उम्र के लिए यह व्रत किया होता तो , आज मेरी उमा इस हालत में नहीं होती, आज करवा चौथ है और मैंने व्रत रखा है, चांद बस निकलने ही वाला है, मैं चांद के दर्शन करके प्रार्थना करूंगा कि मेरी उम्र भी मेरी उमा को मिल जाए, उसके बिना जीवन व्यर्थ है, आहा..वो देखो सिस्टर, चॉंद निकल आया, हे चंद्र देव मुझ पर कृपा करो, मेरी जीवन संगिनी ताउम्र आपको पूजती रही है, आज वह मौत के आगोश में है, उसकी सांसें लौटा दो, अगले साल हम दोनों साथ में करवा चौथ का व्रत करेंगे” हाथ जोड़कर भुवनजी चॉंद से प्रार्थना कर रहे थे और आंखों से बहते आंसू अर्घ्य दें रहे थे, नर्स की आंखें भीग गई।भुवनजी वॉर्ड की तरफ लपके।
“उमा.. उमा.. जल्दी आंखें खोलो, देखो चॉंद निकल आया है, अब मेरे चॉंद तुम भी जल्दी से आ जाओ, मेरे जीवन आकाश में , नहीं तो मैं अपना व्रत कैसे खोलूंगा, आ जाओ न जल्दी से, तुम्हें तो पता है कि मुझसे ज्यादा देर भूखा नहीं रहा जाता, आ जाओ मेरी उम्मी..”भुवन जी उमा के गालों को लगातार थपक रहे थे।
मॉनीटर पर सांसों की सरगम मद्धम मद्धम चलने लगी, उमा की पलकें झपकने लगी, धीरे धीरे उमा ने आंखें खोली, और धीरे से बोली-
“चॉंद निकल आया”
“हां.हा…मेरी उम्मी निकल आया, मेरे जीवन का चॉंद निकल आया”भुवन जी , उमा के चेहरे को अपने हाथों में लेकर चूमते हुए बोले।
#बंधन
*नम्रता सरन “सोना”*
भोपाल मध्यप्रदेश