अभी थोड़ा समय बाकी है…
इतनी देर तो नहीं हुई है…
क्या करुं.. ?
फोन भी आ गया है.. जल्दी पहुंचो.. तुम्हारे केबिन में साहब पहुंच चुके हैं.. मतलब सरप्राइज़ इंसपेक्शन
आज होना तो नहीं चाहिए
तो फिर आज कैसे?
अब कोशिश तो कर ही रही हूं… अब गिर तो नहीं पड़ूंगी.. अब कर भी क्या सकती हूं.. पीछे वाली खिड़की से सीढ़ी लगाकर, अपने कमरे में कूद तो नहीं (पड़ूंगी))जाऊंगी
जब तक बिल्डिंग के नीचे पहुंची( गिरते पड़ते हुए) साहब केबिन में (पहुंच चुके) थे
क्या बात है?
रोज ऐसे ही होता है?
रोज़ यही टाइम रहता है (?) आपका आफिस पहुंचने का?
ऐसे तो हो चुका विभाग का( कल्याण) काम
क्या करुं?
आज अचानक.. मुझ पर कृपा दृष्टि हो जाएगी.. क्या पता था
राशि बेहद परेशान सी घूम रही है…
अब क्या करे?
एक तो नई नई सर्विस लगी है
नई जाॅब काम में एकाग्रता (concentration) मांगती है
उस पर से ये ( मुई) शादी भी तय हो गई
अब दिमाग कहां ( ठिकाने) रखूं?
जिस पर सुमित( राशि का होने वाला पति) मैसेज,फोन कर करके , कितना कुछ पूछता है
अब इंगेजमेंट रिंग खरीदने को ही ले लो… चाहता है वीडियो काल करके जब दुकान में हो तो मुझे दिखाए…. मगर मैं हर समय इतनी फुर्सत में नहीं हूं ,
कैसे समझाऊं?
वो भी अपने काम में बिजी है फुर्सत मिलने पर कुछ खरीदारी करने जाता है तो चाहता है,कि मुझसे पूछे.. मुझे दिखा कर मेरी पसंद का लेना चाहता है.. अब अलग अलग शहर में रहने ( जाॅब पर होने का) ये खामियाजा है तो सही
मगर क्या करूं?
अब अपनी शादी की तैयारियों में दिमाग ( मन,) लगाऊं या इस ( नामुराद) नौकरी में
जिंदगी में एक ही बार तो होती है
अरे.. वो ही शादी.. और क्या..
मेरा तो दिमाग ही( ऐसा) घूमा रहता है.. मतलब खोया खोया रहता है.. ऐसा सब कहते हैं.. ( सिर्फ) मैं नहीं
राशि, आजकल आफिस का काम बहुत मन लगाकर कर रही हो.. सारे फाइलें समय से मुझ तक पहुंच जाती हैं.. मेरे बोले बिना….
उस दिन साहब ने मीटिंग में बोला तो.. सब पता चल रहा था… कसम से ऐसी ( बुद्धू भी) नहीं हूं
ताना दे रहे हैं,साहब हमारे… क्या मुझे समझ में नहीं आता है.?..
मगर क्या करूं?
अब शादी तय हुई है तो.. तो थोड़ा बहुत दिमाग तो भटकेगा ना!… शादी की तैयारी में
अब मम्मी कहती हैं कि अपने मन के कपड़े खरीद लो
तो बाजार भी जाउंगी.. खरीदारी भी करूंगी
फिर मम्मी से फोन पर बात करो…. उनकी सलाह सुनो.. और मम्मी जी से भी
नहीं समझे?
सुमित की मम्मी जी से भी
उन्हें ही तो ( ऐसे और इतने रिस्पेक्ट के साथ… और डरते हुए) मम्मी जी कहना पड़ता है
जी.. जी, मम्मी जी.. आप बिल्कुल ठीक कह रही हैं.. आगे से ध्यान रखूंगी.. कितनी अच्छी पसंद है आपकी.. आपके आगे मैं क्या बोलूं.. मैं तो (अनुभव हीन), नादान ( बच्ची) ही हूं अभी… जैसा आप ठीक समझें .. वो भी बड़ी बड़ी खींसे निपोरते हुए.. बोली ऐसी( रखनी पड़ती है) कि बाई गाॅड लगे ज़बान से शहद टपक रहा है… नहीं, बल्कि गाढ़े शीरे में डूबी ज़बान बन जाती है… और बात ख़त्म होने के बाद लगता है जल्दी से कुछ तीखा, चटपटा खा कर ज़बान को बैलेंस करुं!
मैंने तो सुमित को बोल भी दिया है.. ये (ड्रामा?) मैं बहुत लंबा नहीं खींच पाउंगी… तो सुमित ने कुछ ऐसा घूर के देखा कि पूछो ही मत!
लगता है बस शादी हो और मैं अपने ससुराल वालों से बोल दूं वो सब इतना एटीट्यूड झाड़ना,पोलाइटली बातें करना,.. हां जी, हां जी, करना बस नाटक ही था.. आज से नाटक खत्म,अपुन तो बस ऐसे ही हैं
बाकी अपनी ( वाली) मम्मी का फोन आते ही मैं कूद पड़ती हूं ( तथाकथित जंग के मैदान में)
क्या है मम्मी.. कभी भी फोन मिला देती हो?.. . हमेशा फुर्सत में ही बैठी रहती हूं क्या मैं.. हर समय आपसे बात करने के अलावा कोई और काम नहीं है मुझे?.. जैसा मन में आए कर लो यार!, बिल्कुल टाइम नहीं है मेरे पास.. अभी फोन मत करना…
और सासू मां?… उनका फोन है.. तुरंत दूसरे कैरेक्टर में स्विच करना पड़ेगा
वो भी अपनी होने वाली बहू को अपने मन से कपड़े, ज़ेवर दिलाने अपने साथ ले जाना चाहती हैं!
बस सुबह इसी चक्कर में तो फंस गई थी
मम्मी जी का फोन आ गया… फिर उनसे बात करते करते समय का पता ही नहीं चला… आफिस आने में थोड़ा लेट क्या हुई… ये साहब आ गए, आफिस का ( सरप्राइज़) निरीक्षण करने
अब क्या करूं?
ससुराल वालों से फ़ोन पर ना बातें करो तो साहब नाराज़.. काम में मन नहीं लगाती हो
काम में ज्यादा मन लगाओ और उनकी सुनना बंद करो तो
सुमित और उसकी मम्मी जी.. मतलब वो सभी नाराज़ जिनकी मैं बहू, भाभी.. मामी बनने वाली हूं
मतलब हालत तो बिल्कुल दो नावों पर सवारी जैसी हो गई है
अब किससे कहूं अपने मन ( दिल) की व्यथा
इस स्वार्थी संसार में अपना कौन है?
सब लगे हैं एक दूसरे की टांगें खींचने में
सब कहते हैं.. बड़ी खोई खोई सी रहती हो!
तो सोचा तुम्हें ही बता दूं!
अब तो बस एक ही गाना गा गा कर नाचने का मन हो रहा है
मेरा चैन वैन सब उजड़ा……
अरे अब भी नहीं समझे?
इस नई नई नौकरी और होने वाली शादी दोनों से
पूर्णिमा सोनी
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
मित्रों मेरी ये रचना उन सभी महिलाओं को समर्पित है जो अपनी होने वाली शादी की तैयारी कर रही हैं और नई सर्विस , भी ( लगी) है!!
मैंने इस विषय पर हास्य व्यंग, में रचना लिखी है…. सोचा सबको थोड़ा हंसाने की कोशिश करूं!!
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# स्वार्थी संसार, कहानी प्रतियोगिता,