मेरा अधूरा प्यार – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

जब भी सावन का महीना आता है जाने क्यों गौरी तुम्हारी यादें तुम्हारी बातें और तुम्हारा वो पूरे अधिकार से मुझे आदेश देना दीपक तुम्हे आईईएस (इंडियन इकोनॉमिक्स सर्विस)निकालना हीं होगा.. स्मृतियों के बंद झरोखों से पछुआ हवा सा  आस पास मंडराने लगते हैं.. और उस रोज शाम के समय

अस्सी घाट की सीढ़ियों पर मैं और गौरी नींबू की चाय का आनंद ले रहे थे, कुछ देर में गंगा आरती होने वाली थी, उसी समय गौरी ने मुझसे वादा लिया.. और मैने भावुकता और उसके सम्मोहन में बंधा उसके अधिकार भरे अल्फाज को नकार नहीं सका.. सर माथे लगाया..

बीएचयू से हमदोनों इकनॉमिक्स में ग्रेजुएशन कर रहे थे.. स्कूल की पढ़ाई भी हमने साथ साथ की थी.. गौरी और मैं अच्छे दोस्त से कब हमदम हमकदम हमराह बन गए पता हीं नहीं चला.. मैं बिहारी और गौरी वाराणसी की लड़की…

मैं थोड़ा मस्त बिंदास टाईप का लड़का वहीं गौरी गंभीर और बेहद जहीन लडकी थी.. मेरा एग्जाम नजदीक आता तो पूरे अधिकार से मुझे सिर्फ पढ़ाई करने की हिदायत देती, नोट्स देती फोन कर सुबह उठाती.. गौरी को हमेशा मुझसे अच्छे नंबर आते पर मेरा नंबर कम रहता तो गौरी खुश नहीं होती..

                            फर्स्ट सेमेस्टर के एग्जाम के बाद करोना के कारण हमारा कॉलेज बंद हो गया .. ऑनलाइन क्लास चलने लगा.. सेकेंड सेमेस्टर का एग्जाम ऑनलाइन हीं हुआ.. गौरी से फोन पर हमेशा बात होती रहती.. मन कभी कभी गौरी से मिलने के लिए बेचैन हो जाता..

                     एक बार घर में झूठ बोलकर वाराणसी गया सिर्फ गौरी से मिलने के लिए.. और हमलोग मिले.. गौरी ने पूरे से अधिकार मेरा हाथ अपने सर पर रखकर कहा बाबा विश्वनाथ और मां गंगा को साक्षी मानकर मुझे वचन दो की तुम आईईएस क्वालीफाई करोगे.. मैने गौरी की खुशी के लिए हां कर दी..

मैने बात बात में गौरी से एक बार बहुत  पहले कहा था मेरे पापा मम्मी की बहुत ईच्छा है की मैं आईईएस क्वालीफाई करूं.. और गौरी ने उस बात की गांठ बांध लिया..

        Veena singh 

                              थर्ड सेमेस्टर की पढ़ाई ऑनलाइन शुरू थी, फिर पता चला एक सप्ताह बाद कॉलेज खुलने वाला है.. हमारा ऑफलाइन क्लास चलेगा.. एक महीने से गौरी का फोन ऑफ आ रहा था.. मैसेज भी अनसीन रह जाते थे.. मैं बहुत परेशान हो गया था.. कहीं से कुछ खबर नही मिल रही थी.

मुझे वाराणसी जाना होगा वरना मैं पागल हो जाऊंगा.. घर में डेरा खोजने का बहाना बना मैं वाराणसी पहुंचा…

                   सीधे उसके घर पहुंचा.. डोर वेल बजाया तो गौरी के पापा बाहर आए.. उनको देखते मैं अनजानी आशंका से कांप उठा.. गौरी नही रही करोना से एक महीना पहले… और उनके शब्द आंसुओं में डूब गए.. गौरी की मम्मी भी बाहर आ गई.. दोनों बिलख रहे थे और ओह मेरी दुनिया मेरे जीने की वजह सब कुछ समाप्त हो गया था..

टूटा हारा जब घर से निकलने लगा तो गौरी की मम्मी ने मुझे एक लेटर दिया… उसी अधिकार से गौरी ने मुझे मेरे लक्ष्य को हासिल करने के लिए जी तोड़ मेहनत करने का आदेश दे रही थी.. और थर्ड सेमेस्टर के एग्जाम में अच्छे से अच्छे नंबर से पास होना था.. और गौरी ने लिखा था मेरे प्यार की कद्र करना मेरे से किया वादा पूरा करना..

कैरियर बन जाने के बाद शादी जरूर कर लेना.. इसे मैं तुम्हारी दोस्त प्रेमिका होने के अधिकार से कह रही हूं.. हो सकता है महादेव हम दोनों को अगले जनम में मिलाएं.. डॉक्टर ने जवाब दे दिया है निमोनिया के कारण मेरा लंग्स खराब हो गया है.. मुझे माफ करना बताया नही क्योंकि तुम जरूर आते और फिर तुम्हे भी इन्फेक्शन लग जाता तो मैं अपने आप को कैसे माफ करती..

          और मैं कितनी रातें अस्सी घाट पर पागलों की तरह गुजारा.. जलती चिता देखकर दौड़ता कहीं मेरी गौरी तो नही है…

Veena singh 

                 फिर धीरे धीरे मैंने पढ़ाई की ओर ध्यान लगाया क्योंकि गौरी के जीते जी तो मैं उसकी बात नही माना शायद इसी लिए भगवान ने मुझे ओह…

            मैं अच्छे नंबरों से पास हुआ पर खुशी कहीं दूर दूर तक नहीं थी.. उदास होता तो घंटो अस्सी घाट पर बैठा रहता..

        फिर मैं दिल्ली चला गया..

    गौरी की इच्छा भी पूरी हुई मैं आईईएस क्वालीफाई कर लिया.. पर खुश होने वाली गौरी कहां है.. मम्मी पापा को खुश देखकर संतोष हुआ.. पापा मम्मी ने गले लगाया तो मैं फफक पड़ा.. पापा मम्मी समझे खुशी के आसूं है.. उनका बरसो का सपना पूरा हुआ .

रिश्ते आ रहे हैं शादी के लिए पर मैंने थोड़ा समय मांगा है..

        रिजल्ट आने के बाद  मैं सीधे वाराणसी गया..अस्सी घाट की सीढ़ियों पर बैठकर खूब रोया.. नींबू की दो कप चाय मंगवाया, चाय वाला भी मुझे अचरज से देख रहा था.. सोचा होगा ऐसे बहुत पागल काशी में आते हैं..लगा गौरी कहीं आस पास हीं खड़ी मुस्कुरा रही है और कह रही है पागल…

          गौरी ने अधिकार से मुझसे जो भी मांगा मैने कर्तव्य समझ उसे पूरा किया.. पर सब कुछ होते हुए भी मैं अधूरा हीं रह गया… एक दिन मेरी शादी भी भी हो जाएगी.., मम्मी पापा को कितने दिन तक टालता रहूंगा.. पर जिंदगी में जो खालीपन भर गया है वो शायद कभी नहीं भर पायेगा.. क्या हीं कहे शायद इसी का नाम जिंदगी है..

      # स्वलिखित सर्वाधिकार सुरक्षित #

             Veena singh

#दिल पर कोई जोर नही चलता #

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