मीठा घट – लतिका श्रीवास्तव

 सजा हुआ मीठा जल भरा घट…..आता जाता हर व्यक्ति आज उस सजे धजे मिट्टी के घड़ेमे भरे हुए शीतल जल को उसमे लगे हुए नल से जरूर पी रहा  था…… विनय उसमे पानी भरते हुए सोच रहा था बाबूजी कितना सही कहते है , मनुष्य का जीवन भी माटी के घट जैसा ही तो है,जब तक जीवन है माटी के इसी शीतल जल वाले घट जैसे रहो,जरूरत मंद की प्यास बुझाओ,

उदार प्रकृति की तरह ही अपने प्रकृति प्रदत्त गुणों को सबमें बांटो, इसमें में जो मिठास अपनापन और जमीन से जुड़ाव है वो और कहां…!

सच में मेरे बाबूजी का जीवन ऐसी ही ज्ञान की शीतलता उदारता और स्नेहिल समझदारी की मिठास से भरा हुआ है.. हर व्यक्ति उनसे अपनी छोटी बड़ी समस्याओं के लिए निःशुल्क सलाह लेने आता है….सलाह के साथ चाय नाश्ता एकदम तय ….रिटायरमेंट के तुरंत बाद ही जब उन्होंने अनाथालय के बच्चों को निशुल्क पढ़ाने की बात रखी तो सभी ने विशेष रूप से विनय ने पुरजोर विरोध किया..

अनाथालय घर से काफी दूर था इसलिए विनय  नहीं चाहता था कि अब बाबूजी  फिर  से भाग दौड़ करे परेशान हों …जब तक बाबूजी स्वस्थ थे तब तक तो उनकी सुबह की वॉक अनाथालय तक आराम से हो जाती थी लेकिन उम्र बढ़ने के साथ उतनी लंबी मॉर्निंग वॉक करने में असमर्थ हो गए थे …अब विनय ही उन्हें अनाथालय लाता ले जाता था पर वो हमेशा  उन्हे बाहर से ही छोड़ कर आ जाता था

बाबूजी के लाख कहने या समझाने के बावजूद  वह कभी अंदर नहीं गया पता नही अनाथालय के नाम से उसे कुछ चिढ़ सी होती  थी ,वहां के बच्चो को वो बहुत उपेक्षा के भाव से देखता था, धीरे धीरे विनय को अनाथालय छोड़ने और लाने का काम कष्ट कर प्रतीत होने लगा,आए दिन वो झल्लाने लगा,”क्यों जाते है बाबूजी वहां! फ्री में पढ़ाते हैं,आने जाने में टाइम भी खराब होता है,

अरे सुबह से घर में आराम से बैठे ….पूजा पाठ में ध्यान लगाए,जिंदगी भर कर लिया खूब परमार्थ अब शांति से रहे और हमे भी रहने दे…! पढ़ाने का शौक है तो मेरे दोस्तो के बच्चे हैं यही घर पर आ जाया करेंगे…उनको पढ़ा लिया करें अनाथालय ..अनाथालय ..वहां ठीक से बैठने तक की तो जगह नहीं है..

इस कहानी को भी पढ़ें: 

पापा मुझसे नफरत करते हैं – सुषमा यादव : Moral stories in hindi



पर बाबूजी विनय पर कभी नाराज नहीं होते थे बल्कि उसको बहुत स्नेह से समझाते ” अरे बेटा, मेरे इस घट में शरीर में ये जो कुदरती मीठा पानी भरा है वो स्वांत: सुखाए नही है,सबको पिलाने के लिए है  तुम्हारे दोस्तो के बच्चे सुविधा संपन्न हैं उन्हें मेरी जरूरत नहीं है  मेरे अध्यापन से उन जरूरत मंद अनाथ बच्चों  को पितृवत स्नेह सहित ज्ञान  लाभ हो ईश्वर यही चाहते हैं मुझसे,अब असली मौका है….

वो रोज उन बच्चो के लिए कुछ ना कुछ ले जाते थे, विशेष कर हर बच्चे के जन्मदिन पर ज्ञानवर्धक पुस्तके देना कभी नहीं भूलते….विनय को ये सब काफी नागवार गुजरता पर….

एक बार गर्मी के मौसम में तेज लू और चटक धूप जब असहनीय हो रही थी,अनाथालय से वापसी के समय  एक बुजुर्ग उन्हे  रास्ते में अचेतावस्था में मिला,उन्होंने  तुरंत उसे उठाया और ठंडा जल पिलाया और वो चैतन्य हो गए और बाबूजी को बहुत दुआएं दीं….बस उसी दिन बाबूजी ने तत्काल एक मिट्टी का बड़ा सा घड़ा मंगवाया

और घर के बाहर रखवा दिया विनय बहुत नाराज़ हुआ क्योंकि  उस घट के कारण घर के सामने लगने वाली भीड़ उसे निहायत नापसंद थी , उसने घड़ा उठा कर फेक दिया……बाबूजी ने कुछ कहा नहीं……और उस टूटे घड़े के टुकड़ों में रोज चिड़ियों के लिए जल भरने लगे  पर विनय के प्रति मिठास में कमी नहीं आने दी

एक दिन  विनय उनको छोड़ने  गया..जब दोबारा उन्हें लेने गया तो नही चाहते भी जाने क्यों वो अनाथालय के अंदर चला गया…..सभी को बिठा कर बाबूजी जिस दिली प्रसन्नता से भोजन करवा रहे थे वो  देख विनय चिढ़ गया और कहीं ना कहीं उन बच्चो के प्रति उसके मन में ईर्ष्या के भाव भी आए ….आज अनाथालय में चारो तरफ बहुत साफ सफाई सबके सुव्यवस्थित बिस्तर,पढ़ने के लिए टेबल कुर्सी,पंखे देख कर तो वो चकित रह गया अब उसकी समझ में आया कि बाबूजी की पेंशन कहां जाती है ….

……अभी वो ये सब देख समझ ही रहा था कि वहां के संचालक जो काफी बुजुर्ग थे , विनय के पास आए और विनय को बाबूजी की ओर देखता पाकर कहने लगे” इन्हे देख रहे हो बेटा, देखो बहुत अच्छे से देखो भी और सीखो भी आज अनाथालय में ये जो सब सुविधाएं और परिवर्तन देख रहे हो ये सब इन्ही के कारण है….त्याग क्या है इन्हीं से सीखो .. बहुत कम लोग ही जानते हैं कि इन्होंने एक अनाथ बच्चे को यही से गोद भी लिया है और  आज उसे शिक्षित कर अपने पैरो पर खड़ा कर दिया है …मिसाल है ये आज के खुदगर्ज समाज के लिए….वो  बोलते रहे पर विनय अवाक  था….

इस कहानी को भी पढ़ें: 

तमाशबीन – श्रीप्रकाश श्रीवास्तव : Moral stories in hindi



…….

अनाथ बच्चे को गोद लिया था!! …. वो …वो अनाथ बच्चा मैं ही तो हूं ..सोच कर उसका दिल बाबूजी के प्रति कृतज्ञता और उनके प्रति किए गए अपने दुर्व्यवहार के प्रति ग्लानि से भर गया……वास्तव में मेरे बाबूजी साक्षात मीठा घट ही हैं…..!

आज बाबूजी का जन्मदिन है….. घर में धूमधाम थी,किसी ने उन्हें अनाथालय नही जाने दिया जबकि उन्होंने तो उन्हीं बच्चो के साथ जन्मदिन मनाने की सोची थी पर विवश थे,घर में सब थे सबने उन्हे जन्मदिन की बधाई दी विनय बहुत उत्साहित था उसने शानदार बड़ी पार्टी रखी थी , बाबूजी के लिए शानदार कुर्ता पजामा लाया था और अपने हाथो से उन्हें तैयार होने में मदद भी की थी ,विनय के दोस्तों में बाबूजी का बहुत सम्मान था ,सभी उनके लिए एक से बढ़ कर एक मूल्यवान उपहार ला रहे थे और उनके चरण स्पर्श कर भेंट देते जा रहे थे सब कुछ बढ़िया चल रहा था पर बाबूजी कुछ उदास से लग रहे थे अनमने से थे होंठो पर मुस्कान तो थी पर फीकी सी थी…

…….तभी बाहर के दरवाजे पर हलचल सी हुई और और ये क्या….विनय के साथ खूब सारे प्यारे प्यारे बच्चे हाथों में रंग बिरंगे फूल लेके बाबूजी की तरफ चले आ रहे थे,उनको देख कर तो मानो बाबूजी की हंसी वापिस आ गई उल्लासित चेहरा लिए वो उनकी तरफ दौड़ से पड़े….सारे अनाथालय के बच्चे विनय द्वारा लाए नए नए सुंदर कपड़ो में सिर पर bday cap लगाए  हैप्पी बर्थडे बाबूजी हैप्पी बर्थ डे बाबूजी कहकर चहकते हुए बाबूजी को घेर लिए …..

तभी विनय भी एक सजा धजा मिट्टी का घट बाबूजी को देते हुए बोल उठा,” बाबूजी ये मेरा उपहार है आज आपके लिए …आपने मुझ अनाथ को हमेशा अपने स्नेह की शीतल छांव में रखा कभी अपने किसी भी व्यवहार से ये बात मुझ पर जाहिर नही होने दी ….मुझे गर्व है अपने आप पर कि ईश्वर ने मुझे आप जैसे बाबूजी का बेटा बनाया …आइए बाबूजी अपने इन मीठे घटो के साथ आपकी एक फोटो हो जाए “..विनय ने बाबूजी को आवाज देकर फोटो खींचते हुए कहा,आज उस पूर्ण संतुष्ट प्रसन्न मीठे पानी के उस बड़े घट के साथ पोषित नन्हे नन्हें वो सारे कच्चे घट अपनी मिठास से जन्मदिन को मीठा कर रहे थे और विनय भी उसी मिठास में खो गया था।

सादर

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!