Moral Stories in Hindi :
आज मयूरपंखी यानी मेरी बहु मेरा रिपोर्ट हाथ में लिए डांस करते हुए मेरे पास आई और मुझे भी नाचने के लिए मजबूर कर दिया.. मैं पूछ रही थी बताओ न मयूरी.. मनोज और मानस हंसे जा रहे थे.. पगली मयूरी मुझे बिठाते हुए कहा मां आप के रिपोर्ट ने हम सब को खुशी से इतना पागल कर दिया है कि नाचने से खुद को रोक न सके… मैने बाबा जी से अरदास लगाई थी बाबाजी मुझे अपने ससुराल से न पैसे चाहिए ना
कोई संपत्ति मुझे मेरी मां को कैंसर से दो दो हाथ करने की हिम्मत और जितने का आशीर्वाद चाहिए.. और आज बाबा जी ने मेरी झोली भर दी मां.. हंसते हंसते आंखें भर आई मयूरी की.. कलेजे से लगा लिया मैने मयूरी को..इस बच्ची ने मुझे नया जनम दिया है..इसके हौसले मेहनत और विश्वास की आज जीत हुई है..मैने कहा जा बेटा थोड़ी देर रेस्ट कर ले फिर साथ में चाय पीते हैं..
मनोज मुझे कमरे में पहुंचा कर मंदिर चले गए और मैं फ्लैश बैक में चली गई .. एक साल पहले की बात है..
रिपोर्ट हाथ में लिए मनोज सोफे पर निढ़ाल से पड़ गए.. चेहरा से पसीना टपक रहा था.. मैं दौड़ कर मनोज के हाथ से रिपोर्ट ले कर देखने लगी.. ओह तो मुझे कैंसर है .. कुछ दिनों से अनियमित माहवारी को मोनोपॉज समझ कर टाल रही थी पर ज्यादा परेशानी होने पर डॉक्टर को दिखाया… कुछ टेस्ट किए और दो सप्ताह बाद रिपोर्ट आने की बात कह कुछ ताकत की दवाइयां देकर भेज दिया.. हम दोनो एक दूसरे का सहारा थे..
इकलौता बेटा हमारी मर्जी के खिलाफ अंतरजातीय विवाह कर लिया था.. एक साल तक बेटे मानस ने बहुत कोशिश की मयूरपंखी को बहु के रूप में स्वीकार कर ले पर हमने साफ इंकार कर दिया.. कितने अरमान से मानस को पढ़ा लिखा कर इस लायक बनाया था… मानस के नाम से कितनी संपत्ति भी हमने खरीदी थी.. सब कुछ तो उसी का था.. उसके एक फैसले ने उसे हमसे कितना दूर कर दिया था…
दो साल पहले मानस और मयूरी ने कोर्ट मैरिज कर ली.. दोनो हमारा आशीर्वाद लेने आए थे पर मनोज ने कहा समाज में कहीं मुंह दिखाने लायक नही छोड़ा तुमने.. आज से मेरी संपत्ति अधिकार नहीं है ना हीं हम दोनों से कोई रिश्ता रहेगा… मयूरी हाथ जोड़े रोते रोते बोल रही थी मुझे संपत्ति नहीं आपलोगों का प्यार आशीर्वाद चाहिए पर…
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और इन दो सालों में शायद हीं कोई दिन या रात ऐसा गुजरा हो जब हमने मानस के लिए आसूं नही बहाया हो.. पर हमारा ईगो….
मनोज ने खुद को संभाला और मेरा हाथ पकड़ कर कहा मधु तुम अपना हिम्मत मत खोना वरना मैं टूट कर बिखर जाऊंगा .. आज मुझे मानस की बहुत याद आ रही थी..
कल से इलाज शुरू करने के लिए डॉक्टर ने बुलाया था.. जितनी जल्दी शुरू हो जाए अच्छा है … सर्जरी और दवा और कीमो… अगले दिन एडमिट होना था… मैने रात में मनोज से रोते हुए कहा पता नही सर्जरी के बाद मैं बचूंगी या नहीं….. एक बार आप मेरे खातिर मानस और मयूरी को कॉल करें या मैसेज डालें…. लंबी मौन के बाद मनोज ने मेरी रिपोर्ट और सर्जरी की डेट व्हाट्सएप कर दिया..
ब्लू टिक के बाद भी कोई रिप्लाई नही आया… मनोज बोले मधु भ्रम में मत रहो उन्हे पता है मैने अपनी संपत्ति और पैसे से उन्हें महरूम कर दिया है वो क्यों अपना समय वेस्ट करने आयेंगे. लगा कलेजे में किसी ने खंजर भोंक घुमा दिया हो… मनोज भी मेरी तकलीफ समझ रहे थे…रोते रोते रात गुजारी.. मनोज का दिल भी रो रहा था पर वो मर्द हैं न…
हम दोनों टाइम पर हॉस्पिटल पहुंच गए उदास दुखी और हताश से…. अपने संतान का दिया दर्द उफ्फ…
पंद्रह मिनट बचे थे मैं अभी भी भगवान से प्रार्थना कर रही थी चमत्कार हो जाए और मेरा मानस मेरे सामने हो… और तभी एक टैक्सी की आवाज दूर से सुनाई दी पर सोचा कितनी गाडियां आ जा रही है… कुछ हीं देर में मानस और मयूरी दोनो मुझसे लिपटे थे तीनों के आंखों से आंसू निकल रहे थे..
आसुओं ने सारे गिले शिकवे अपने साथ बहा ले गए… मयूरी ने कहा मां आप हंसते हुए जाओ और हंसते हुए वापस आओ.. हम सब की सांसों की डोर आपके जीवन से बंधी हुई है ये जरूर खयाल रखिएगा.. वाहे गुरु का आशीर्वाद आपके साथ है मां…
मेरी सर्जरी सफल रही.. अब कीमो होना था.. मानस चला गया.. मयूरी ने मेरा ख्याल इतनी अच्छी तरह से रखा , मैं अपराध बोध से भर गई.. इतना तो शायद मेरी कोखजायी भी होती तो नही रखती.. कीमो होने के एक दिन पहले मानस आ गया… कीमो के दर्द को बच्चों ने कितना कम कर दिया ये मैं हीं जानती हूं..
बाल उड़ने लगे थे मेरे.. खूबसूरत बालों की दुर्दशा देख मैं दुखी हो गई.. मयूरी बोली मां कीमो के बाद आपके बाल भी अच्छे आ जायेगे और स्किन बहुत ग्लो करेगा देखना मां तब तक के लिए मैंने बिग बनवा दिया है.. गले से लिपट गई मयूरी.. मानस तो बीच में चला जाता पर मयूरी तो एक बार भी नही गई..
मैं जब भी पूछती जॉब के विषय में मेरे गले में हाथ डालकर कहती मां आपके साथ रहने से ज्यादा सुख दुनिया में कहीं नहीं है. बाद में पता चला मयूरी ने ऑफिस से बार बार कॉल आने पर रिजाइन कर दिया था…
मयूरी मानस और मनोज ने मुझे गहन पीड़ा के इस दौर से उबरने में अपनी जी जान लगा दिया.. मनोज के चेह
निश्चिंतता और खुशी मैं महसूस कर रही थी.. तीनो कीमो हो चुके थे… मैं घर आ गई थी.. मेरा बंगला मयूरी की खिलखिलाहट से गुलजार हो गया था…
सच आज मयूरी ने साबित कर दिया की उसे मेरी #संपति और पैसे नही
वीणा सिंह