मां बार बार फोन कर रही थी इतने सालों से देखा नही तुझे मालती और बच्चों को , आ जा इस बार फिर पता नही मुलाकात हो या न हो । मालती हां मां आती हूं जल्दी ही ये कह कर फोन रख देती थी ।
ये सिलसिला पिछले दस सालों से चल रहा था , मालती अपनी छोटी बहन की शादी मैं घर गई थी अपने दोनो बच्चों के साथ ,सुधीर जा नही पाया था सो वह अकेली ही चली गई थी ।
अच्छा खासा शादी का माहौल था सभी लोग तैयार होने मैं व्यस्त थे ,मालती ने अपनी बेटी को तैयार कर बाहर खेलने भेज दिया था और खुद तैयार होकर अपनी बहन की मदद करने मैं लगी थी ,शादी के घर मैं कम काम तो होते नही है और उसपर जब खुद के घर मैं शादी हो तो बहुत जिम्मेदारी हो जाती है ।
काम मैं मगन मालती को ध्यान ही नहीं रहा की उसकी बेटी कहां है बहुत देर से दिखी ही नही , तैयार होकर बाहर ही तो गई थी खेलने , ऐसा कहां खेलने लगी की अब तक एक बार भी आई नही मेरे पास , पता नही कुछ खाया की नही ,मालती को बहुत बैचैनी हो रही थी ।
सबकुछ छोड़ कर मालती अपनी बेटी को देखने बाहर आ गई , उसने बेटे से पूछा तो उसने मना कर दिया , बाकी सभी से पूछा उसने तो सभी यही कह रहे थे हमने तो नही देखा कहीं भी पीहु को ,और परेशान क्यों हो रही हो ,यहीं कहीं खेल रही होगी ।
लेकिन मालती को चैन नहीं पड़ रहा था वो आसपास सभी जगह पीहू को ढूंढ रही थी ,
और ढूंढते हुए मालती छत पर पहुंचती है वहां से वो अपने ममेरे भाई स्वप्निल को निकलते देखती है और उससे पीहू के बारे मैं पूछती है पर वो घबरा जाता है और वहां से भाग जाता है । मालती अनजानी आंशका से सिहर उठती है और छत पर बने कमरे की तरफ जाती है , वहां का हाल देख मालती को काटो तो खून नहीं वाली स्तिथि मैं होती है ।
उसकी फूल से बच्ची बेहोश खून मैं लथपथ पड़ी हुई होती है , वो जल्दी से उसे उठा कर अस्पताल भागती है ,पड़ोस मैं ही अस्पताल था और डॉक्टर उनके पुराने पड़ोसी , मालती को देख कर इस समय चौंक जाते है पर सारी बात जानने के बाद वो तुरंत ही पीहु को इलाज शुरू करवा देते है ।
मालती समझ नही पा रही की वो क्या करे तभी घर से फोन आ जाता है , मां की आवाज कानों मैं पड़ती है ,वो मां को सबकुछ बताती है ,मालती के पापा फौरन अस्पताल पहुंचते है ।
मालती जब घर पहुंचती है और मां बाबू जी से स्वप्निल के खिलाफ रिपोर्ट कराने को कहती है ,पर उसकी मां इस बात के लिए तैयार ही नहीं होती है ,छोटी बहन की शादी , समाज , रिश्तेदारी और सुधीर को पता चलेगा तो वो कैसे प्रतिक्रिया करेगा ,इन सब का हवाला देकर वो बात यही खत्म करने को कहती है और पीहू बच्ची है सब भूल जायेगी लेकिन लोगो को पता चलेगा तो लोग उसे जीने नही देंगे कौन अपनाएगा पीहू को …. कोई भी मालती का साथ नही देता है ,मालती पीहू को लेकर वापिस आ जाती है पर वो कुछ नही भूल पाई थी आज तक
मायके के नाम से ही मालती के जख्म ताजे हो जाते थे और वो बहुत असहाय महसूस करने लग जाती थी, कोई और नही तो कम से कम उसकी मां ने तो उसका साथ दिया होता और हर बार की तरह इस बार भी वो और सुधीर बच्चों को लेकर ऋषिकेश जाने का प्रोग्राम बना लेते है।