मायका बना भाई का घर”-माया मंगला : Short Stories in Hindi

Short Stories in Hindi : मैंने शाम को अपनी भतीजी को फोन मिलाया,

अरे नंदनी कैसी हो?

ठीक हूं बुआ ,आप कैसे हो?

नंदनी कल राखी पर तो मिल ही रहे हैं ना ,अच्छा बताओ किस टाइम आओगी। बुआ मेरे मम्मी पापा का घर है, टाइम का क्या सोचना।

आप बताओ कब आ रहे हो?

मैं भी 4-5 बजे तक पहुंच जाऊंगी। अच्छा तू क्या लेकर आ रही है।

बुआ मायका है मेरा ,क्या फर्क पड़ता है ।कुछ भी लाऊं ।आप बताओ,

मैं भी जो भाई -भाभी को पसंद है ले आऊंगी।

नंदनी ,यह तो बता क्या बनवा रही है अपनी मम्मी से खाने में,

बुआ मेरे पापा को मेरी पसंद का पता है ,वह खुद ही बनवा लेंगे और बाजार से भी ले आएंगे।

आप क्या खाओगे अपनी पसंद तो आप ही बताओगे।

थोड़ी इधर उधर की बातों के बाद फोन बंद कर दिया ।आपस की इन्हीं बातों को सोचते सोचते सो गई ।पता ही नहीं कब आंख लगी होगी ,लेकिन जब सुबह उठी तो सिर भारी था ।नींद कम आने के कारण अथवा ना आने के कारण पता नहीं।

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घर के छोटे-छोटे काम करके त्यौहार की तैयारी में लग गई ।दिमाग तो कुछ और ही सोचता जा रहा था ।क्या मायका नंदिनी का ही है ?क्या भैया नंदिनी की पसंद को तो जानते हैं ?क्या भाभी बेटी के स्वाद पूरा करती है ।फिर मेरे मायके का क्या-?क्या मां पिताजी के साथ ही सब छूट गया?

इसके साथ ही फोन की घंटी बजी फोन भाभी का था।

फोन उठाते ही भाभी ने कहा, दीदी थोड़ा जल्दी आ जाना ,अपने भाइयों से बैठकर गप्पे मारना अपने भतीजे भतीजी से मस्ती करना । भाभी के यह वाक्य सुनकर

दिल भर आया ।नंदिनी से जो ईर्ष्या हो रही थी सब पिघल गई।

भाभी फिर बोली हां दीदी आपके पसंद के सभी स्नैक्स आपके भाई ले आए हैं, फिर भी कुछ इच्छा हो तो बता दो आपके आने तक मंगवा लेंगे।

अंदर से एक हूक उठी, नंदिनी तेरे तो मम्मी पापा है। मेरे भी तो मां बाप ही बन गए हैं।

फोन पर भाभी की आवाज आई अरे दीदी कहां खो गई, कुछ बोल ही नहीं रही, कुछ मन में बात है तो बताओ ना हम हैं ना।

उनके यह वाक्य ना जाने क्या-क्या अपने में समा ले गए और मेरे झर झर आंसू बहने लगे सुबकियां बांध गई। भाभी ने भाई को आवाज लगाई सुनो दीदी पता नहीं क्यों भावुक हो रही हैं। कहीं हमसे कुछ ऊंच-नीच तो नहीं हो गई।

भाई की पीछे से आवाज आई वह पगली मायके आने के लिए आतुर है। हम से मिलने की खुशी आंसुओं से प्रकट कर रही है। जा जाकर खाना बना ले।

इन सब बातों के बाद तो सोचने को मजबूर थी कि कब भाई भाभी ने मां पिताजी की जगह ले ली और भाई का घर बन गया फिर से मायका। और असली बात तो वहां जाकर पता चली कि नंदनी भी मेरे साथ मजे ले रही थी ।

माया मंगला

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