मायका ही देखा ससुराल नहीं – नेकराम : Moral stories in hindi

जब मैं आठ वर्ष का था तो मैंने देखा मां कमरे के भीतर रो रही थी मैंने मां से पूछा ,,,अम्मा तुम रो क्यों रही हो ,,क्या बात है ,,मुझें बताओ,, तब मां ने कहा नेकराम अब तुझे क्या बताऊं तू तो अभी छोटा है ,,

तब मैंने कहा अम्मा अब मैं बड़ा हो चुका हूं ,,तीसरी कक्षा में अभी-अभी आया हूं,, अब मैं छोटा नहीं रहा,,,,

मां ने आंसुओं को पोंछते हुए बताया तेरे नाना तो बहुत पहले ही भगवान को प्यारे हो गए थे तेरी नानी ने परसों ही अस्पताल में बीमारी के कारण दम तोड़ दिया ,,

तेरी नानी ने बड़ी कठिनाई से कामकाज करके मेरी तो शादी तेरे पापा से कर दी ,, लेकिन तेरी दो मौसी और एक मामा तो कुंवारे ही रह गए तेरी नानी ने मरते समय कहा था कि देख तू घर में बड़ी है इसलिए तेरी शादी पहले हो गई तुझसे छोटी दो बहने भी है उनकी शादी की

जिम्मेदारी अब तेरे ऊपर है ,,तेरा छोटा भाई है उसे मां की कमी कभी महसूस मत होने देना कोई अच्छा सा काम सीखाकर उसकी भी शादी तुझें ही करनी होगी,, इतना कहकर तेरी नानी इस दुनिया से दूसरी दुनिया में चली गई

मां कुछ और बताती कि पापा घर में आ गए और मां से कहने लगे अपने भी तो तीन बच्चे हैं तेरे भाई बहन भी इस घर में आ जाएंगे रहने के लिए तो इस कमरे में इतनी जगह कहां है कहां सोएंगे क्या खाएंगे मेरी छोटी सी नौकरी है तनख्वाह भी मामूली सी है राशन पानी का इंतजाम कहां से होगा ,,

तब हमारी दादी जी और हमारे दादा जी कमरे में आकर पापा को समझाते हुए बोले ,,,,

देख गोपाल जिंदगी हमारे हाथों में नहीं होती है किसी कारणवश हम मर जाएं नेकराम के दोनों चाचा और बुआ अनाथ हो जाए तो ऐसी स्थिति में उन्हें भी कोई सहारा दे दे तो कितनी खुशी की बात है मुश्किल घड़ियों में ही रिश्तो की परख होती है

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,, पापा सर हिलाते हुए बोले मैं बात समझ गया ,,

कुछ दिनों के बाद मेरी मौसी और मामा जी हमारे घर रहने आ गए मौसी घर का सारा काम कर देती थी मामा जी हमारे पिता के साथ कारखाने में काम करने चले जाते थे ,,

6 साल बीतने के उपरांत जब हमारी मौसी 18 वर्ष की हो गई तो हमारी दादी मां दो लड़कों की फोटो लाई,मां को बताया एक लड़का ड्राइवर है दिल्ली में कार चलाता है दूसरा हलवाई है प्राइवेट स्कूल में उनका अपना कैंटीन है मां पिताजी और हमारे दादा-दादी ने कुछ रुपए इकट्ठे करके हमारी दोनों मौसी की शादी कर दी,,,,

मौसी ने दुल्हों की शक्ल भी नहीं देखी थी और रिश्ते के लिए हां कर दी थी छोटी बहनें थी शायद बड़ी बहन के घर और अधिक दिनों तक बोझ नहीं बनना चाहती थी क्योंकि उन्हें भी पता था घर में आठ सदस्यों को एक मामूली सी तनख्वाह से पालना कितना कठिन होता है एक पुरुष के लिए,,

मेरी मां ने मेरे मामा जी के लिए कई जगह रिश्ते ढूंढे लेकिन लड़की वालों ने बस यही कहा शादी तो हम कर दे मगर दिल्ली में लड़के का अपना मकान होना चाहिए यह बात जब मामा जी को पता चली तो वह मां के कहने पर बंगाल चले गए और एक बंगाली लड़की से शादी कर ली मां खुश थी ,, भले ही लड़की बंगाली है मगर मामा जी की जिंदगी तो कट ही जाएगी जीवन जीने के लिए एक जीवनसाथी का होना आवश्यक है ,,

नानी की इच्छा पूरी करने के लिए मां ने बहुत संघर्ष किया था पिता और हमारे दादा दादी भी पीछे ना हटे थे …

लेकिन मां का संघर्ष थमा नहीं था दादा-दादी के देहांत के बाद जब हम तीनों भाई बहन बड़े हुए तो मां ने हम तीनों भाई बहनों की भी शादी कर दी पिता का सर हमेशा ऊंचा रखा और पिता ने भी ससुराल के रिश्ते को खूब निभाया,,

कभी-कभी जीवन में कुछ ऐसे मोड़ भी आ जाते हैं….. उन परिस्थितियों में खुद ही अकेले हम नायक होते हैं..

मां ने छ: लोगों की शादी की यहां तक कि हमारे दो चाचा और एक बुआ की शादी के लिए भी पूरी भाग दौड़ और  मजदूरी की कहीं कोई यह ना कह दे कि इसने सिर्फ अपना मायका ही देखा ससुराल नहीं

लेखक – नेकराम सिक्योरिटी गार्ड

मुखर्जी नगर दिल्ली से

स्वरचित रचना

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