आज अन्वी फिर से उदास थी। वो जब भी बाहर पार्क से आती है , उसका यही हाल होता है।एक अनकहा दर्द उसे अंदर ही अंदर खाए जा रहा था। वो किसी से कुछ न कहती पर प्रीत उसका पति उसके चेहरे को देखकर ही समझ जाता कि आज कुछ हुआ है और आज भी जब वो पार्क से आई ..
प्रीत ने उसे देखा और समझ गया कि वो क्यों उदास है। प्रीत ने कितनी बार समझाया ज्यादा मत सोचा करो अन्वी, ये तुम्हारे लिए सही नही है। अरे!तुम्हे पता है ना तुम्हारी डिप्रेशन का पहले से ही इलाज चल रहा है और ऊपर से इतना सोचोगी तो कैसे ठीक होगी।
आज भी प्रीत ने उसे वही सब समझाया जो सुनने समझने के लिए वो कतई तैयार नहीं थी।
प्रीत_ “क्या हुआ अन्वी आज फिर किसी ने कुछ कहा या कोई और बात है?”
अन्वी_ सुनते ही रो पड़ी। लग रहा था उसके मन का दर्द जो अब तक दिल के किसी कोने में दफन था , आज आंसुओ के रूप में बाहर आ रहा था। रोते रोते ही बोले जा रही थी
“प्रीत क्या मैं हमेशा ऐसे ही रहूंगी ? क्या मुझे भी कभी मातृत्व का सुख मिलेगा? वो अपने बच्चे की खुशी वो प्यार कभी नसीब होगा?”और कहकर फिर जोर जोर से रो पड़ी।
प्रीत_ “अन्वी फिर वही बात, तुम क्यों इतना सोचती हो? जब तुम्हारे अंदर कोई कमी नही है, मां बनने की सारी योग्यता हैं तो क्यों नही बनोगी मां। ऐसा होता है कभी कभी किसी को बच्चे देर से होते हैं और अभी शादी को 7साल ही तो हुए हैं हो जायेंगे बच्चे जब होने होंगे।”
” जब मुझे ,मम्मी, पापा को कोई दिक्कत नही इससे ,तो तुम क्यों इतना सोचती हो?”
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अन्वी_ “कब तक नही सोचूं प्रीत.. अब पड़ोसियों और मेरे दोस्तों को उनके बच्चों के साथ मेरा खेलना पसंद नही आता। वो लोग मुझसे कन्नी काटने लगे हैं। कभी मैं चॉकलेट या कुछ बच्चों को देती हूं तो आजकल बच्चे लेने से मना करने लगे हैं और कारण पूछा तो सुनकर मेरे होश ही उड़ गए
प्राची, मेरी दोस्त उसका बेटा सोहम बोला “आंटी मेरी दादी ने आपसे बोलने को मना किया है । वो मम्मी को बोल रही थी इसको अन्वी से दूर रखा कर। “
और शर्मा आंटी उन्होंने तो मुझे अपनी बहू की गोद भराई तक में नही बुलाया ये सोचकर कि मैं बांझ हूं और मेरी परछाई उस पर पड़ी तो अपशगुन हो जायेगा। “और कहती कहती अन्वी सुबक सुबक कर रो पड़ी
प्रीत उसको ऐसे देखकर अंदर तक हिल गया और सोचने लगा यदि जल्दी ही कोई उपाय नहीं किया गया तो अन्वी की हालत और बुरी हो सकती है।
रात को प्रीत के मन में कुछ सवाल थे जिनका जवाब डॉक्टर के पास ही मिल सकता था।
अगले दिन उसने अपने फैमिली डॉक्टर से अपाइंटमेंट लिया और अन्वी को लेकर गया । रास्ते में अन्वी ने पूछा” प्रीत अभी डॉक्टर के पास जाने का क्या फायदा जब सारी हकीकत हमे मालूम है। “
प्रीत बोला ” अन्वी इस बार डॉक्टर के पास तुम्हारा नही मेरा चेकअप करना है”
सुनकर अन्वी थोड़ी चौंकी फिर बोली ” पर क्यों तुम्हे क्या हुआ?”
” अन्वी हमने कई बार तुम्हारे मां बनने के लिए डॉक्टर से पूछा पर मेरे बारे में कभी नहीं पूछा कि मुझमें बाप बनने की काबिलियत है या नही? बस इस बार मेरा चेकअप और करवा लेता हूं क्या पता मुझमें ही कोई कमी हो। और इसमें कुछ गलत नही क्युकी तुम्हारे मां बनने में मैं भी बराबर का भागीदार हूं तो ताने सिर्फ तुम्हे ही क्यों सुनना पड़े।”
प्रीत के मुंह से ऐसी बाते सुन अन्वी ऐसा हमसफर मिलने के लिए मन ही मन भगवान को धन्यवाद देने लगी
प्रीत ने भी अपना पूरा चेकअप करवा लिया और रिपोर्ट आने पर पता लगा कि प्रीत का सोचना सही था क्योंकि प्रीत ही पिता नही बन सकता था, अन्वी तो बिलकुल स्वस्थ थी।
प्रीत ने अन्वी से कहा “अन्वी तुम्हे अब चिंता करने की कोई जरूरत नही और अब कोई तुम्हे कुछ नही कहेगा , तुम मातृत्व सुख पाने की पूरी हकदार हो पर मुझे माफ कर दो मैं ही तुम्हे ये खुशी और हमारे प्यार की निशानी देने के काबिल नही हूं। तुम चाहो तो मुझे छोड़कर दूसरी शादी कर सकती हो”
ये सुनते ही तो मानो अन्वी के पैरों तले जमीन खिसक गई और प्रीत के कुछ और बोलने से पहले ही वो उसके गले से लिपट कर रोने लगी और कहने लगी
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” प्रीत तुमने ऐसा सोच भी कैसे लिया ?क्या तुम मेरे प्यार को इतना ही जान पाए हो इन सात सालों में? मेरी खुशी की वजह सिर्फ तुम ही तो हो जिसके खातिर मैं जान भी दे दूं।
एक तुम ही तो हो जो मेरा अनकहा दर्द बिना बताए समझ जाते हो और मुझे दुख से उबारने की पूरी कोशिश करते हो।
खबरदार जो इस बारे में बात भी की तो… “अन्वी गुस्सा होते हुए बोली
“अब कोई इस विषय पर बात नही करेगा । और मैं भी अब इतना आलतु फालतू नही सोचूंगी जिसके कारण तुम इस कदर परेशान हो जाओ और कुछ भी उल्टा सीधा बोलने लगो।”
घर में जब दोनों ने इस बारे में बात की तो सबको बहुत दुख हुआ पर प्रीत के मां पापा जो बहुत ही समझदार और सुलझे हुए लोग थे उन्होंने अपनी राय दी
“बेटा हमें लगता है मातृत्व सुख के लिए बच्चे को जन्म देकर उसकी मां बनना जरूरी नही। मातृत्व की खुशी तो तुम्हे कोई भी बच्चा दे सकता है जिसे गोद लेकर अपने घर का चिराग बनायेगे, क्या तुम दोनों सहमत हो हमारी बात से प्रीत और अन्वी? “
“हां मां , पापा आपने बिल्कुल सही कहा।
हम इस दर्द के बारे में जितना सोचेंगे ये हमे उतना ही दुख देगा इसलिए मैं और प्रीत दोनों इस अनकहे दर्द से छुटकारा पाना चाहते हैं इसके लिए हमे एक बच्चा गोद लेना चाहिए जिसे हमारे रूप में मां बाप और हमे उसके रूप में अपनी संतान मिल जायेगी “अन्वी भावुक होते हुए बोली
” हां हां क्यों नहीं अन्वी ये तो एक नेक विचार है और समाज सेवा का एक कार्य भी। मेरे प्यार और तुम्हारे मातृत्व का एहसास यदि किसी की खुशी की वजह बनता है तो ये तो हमारे अच्छे कर्मों का फल है। “प्रीत बोला
अगले दिन सब अनाथ आश्रम जाकर एक बेटी को गोद लेते हैं और उसका नाम रखते हैं “खुशी”
एक ऐसी खुशी जिसका पूरा परिवार पूरे सात सालों तक इंतज़ार करता रहा आज वो नन्ही कली के रूप में उनके घर आंगन में खिल गई थी और हमेशा के लिए वो अनकहा दर्द जो सबको कहीं न कहीं तकलीफ पहुंचा रहा था घर से कोसों दूर जा चुका था।
दोस्तों हमेशा की तरह अपनी प्यार भरी प्रतिक्रियाओं से मेरा उत्साहवर्धन करना नहीं भूलें
धन्यवाद
स्वरचित और मौलिक
निशा जैन
#अनकहा दर्द