Moral Stories in Hindi : “पापा जी, उठिए, दवा खा लिजीए |” राजीव अपने पापा को उठाते हुए बोला |उसके पापा अस्पताल के बेड पर लेटे थे |राजीव पापा को पीठ की तरफ से सहारा देकर उठाया| बैठाकर उनके हाथ में दवा और पानी का गिलास पकडा दिया | पापा रामनाथ जी ने दवा खाकर पानी पिया और गिलास वापस राजीव को थमा दिया |
“पापा, मैंने डाक्टर से बात कर ली है |आप को अब सिर्फ रात भर अस्पताल में रहना है |सुबह आप घर चल सकते हैं |मैं आपकी दवा लेकर आता हूँ |तबतक आप बैठें | अगर लेटने की इच्छा होगी तो सुमन आपको लिटा देगी |” कहकर राजीव बाहर चला गया | उसकी पत्नी सुमन उनके पास ही रही |
रामनाथ जी बैठे रहे, पर उनका मन अतीत की ओर दौडने लगा |उन्हें अपनी बीती जिंदगी याद आने लगी | वे एक कंपनी में मैनेजर थे |उनके दो लडके थे बड़ा संजीव और छोटा राजीव | उनका वेतन अच्छा था | कंपनी की तरफ से उन्हें बहुत सारी सुविधाएं प्राप्त थी |जीवन सुख, सौभाग्य से परिपूर्ण था |पत्नी सरला एक सीधी, सरल स्वभाव की महिला और कुशल गृहणी थी |घर में किसी चीज की कमी न थी, बस एक बात से वे कभी-कभी परेशान हो जाते कि उनका छोटा बेटा राजीव पढने में साधारण था |जहाँ संजीव हर बार कक्षा में प्रथम आता, वहीं राजीव बस पास कर जाता |
इस बात से वे राजीव से बहुत गुस्साए रहते और हरदम उसे डांटते रहते |राजीव भी उनसे डरा रहता और अपनी कोई भी बात सिर्फ़ माँ को ही बताता |माँ उसकी सारी बातें सुनती, समझती और उसे समझाती | साथ ही पापा के गुस्से से उसे बचाती |इस कारण माँ को भी डांट पड जाती और हरदम सुनने को मिलता कि तुम्हारे कारण ही यह बिगड गया है | रामनाथ जी के पास उसकी बातों को सुनने के लिए न वक्त था,न इच्छा |
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उनकी नजरों में राजीव बेवकूफ, नालायक और उनके सम्मान को खराब करने वाला था | संजीव पिता का लाडला था और वह इसका खूब फायदा भी उठाता |वह तेज, चालाक था और अपने बारे में ज्यादा सोचने वाला था | राजीव समझदार था और सबके बारे में सोचता था |संजीव पढ-लिखकर एक मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर बन गया| राजीव अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर मैनेजमेंट का कोर्स किया और एक कंपनी में काम करने लगा |
संजीव की नौकरी भी अच्छी थी और उसकी शादी भी एक बडे घर में हुई, एक पुत्री और एक पुत्र हुए और वह अपने परिवार सहित मुम्बई में बस गया | राजीव की नौकरी साधारण थी और उसकी शादी एक साधारण परिवार में हुई, दो पुत्र हुए और वह अपने शहर अपने घर में रह गया |रामनाथ सदा उससे नाराज रहे और उससे ज्यादा बात भी नहीं करते |जबतक माँ रही राजीव और पिता जी के बीच कड़ी का काम करती रही |
चार साल पहले माँ चल बसी और पिताजी का संपर्क राजीव से कम हो गया |वे संजीव के पास रहने लगे, क्योंकि वहाँ सुविधाएं ज्यादा था |संजीव और उसकी पत्नी ने भी पिताजी की भावनाओं का बहुत फायदा उठाया और राजीव के विरुद्ध भडकाते रहते, उसके पास जाने न देते |
इसमें उनका स्वार्थ यह रहा कि पिताजी के पैसों से उन्होंने मुम्बई में फ्लैट भी खरीद लिया और विभिन्न तरीकों से उनके अधिकांश पैसे भी हडप लिए |पिताजी को पेंशन नहीं मिलता था |एक साल पहले संजीव अपने परिवार सहित विदेश चला गया और पिताजी को यह कहकर राजीव के पास छोड गया कि वह वहाँ एडजस्ट होते ही उन्हें बुला लेगा |
वह दिन और आज का दिन |संजीव ने उन्हें बुलाना तो दूर, धीरे- धीरे फोन करना, बात करना भी कम कर दिया | राजीव और उसकी पत्नी अपने सीमित साधन में भी पिताजी का पूरा ध्यान रखते | वे लोग और उनके दोनों बच्चे उनका पूरा सम्मान करते,ख्याल रखते | रामनाथ जी हरदम गुस्साए रहते, संजीव का गुणगान करते रहते और राजीव की हर बात में कमी निकालते रहते ||एक माह पूर्व रामनाथ जी की तबियत अचानक खराब हो गई और उनके हार्ट का आपरेशन करवाना पडा |
बार-बार फोन करने पर भी संजीव नहीं आया और न हीं पर्याप्त पैसे भेजे |बस कुछ पैसे भेजकर उसने अपने कर्तव्य को पूर्ण मान लिया | राजीव ने अपनी सारी जमापूंजी लगाकर और उधार लेकर उनका इलाज करवाया |वह और उसकी पत्नी ने पूरे मन से उनकी सेवा की |
अस्पताल के बेड पर पडे पडे रामनाथ जी ने सब देखा और महसूस किया |उन्हें समझ आ गया कि संजीव ने उनके साथ मतलबी रिश्ते निभाये जबकि राजीव ने उनके साथ पुत्र का रिश्ता निभाया | राजीव उनका योग्य पुत्र है, पर वे राजीव के योग्य पिता नहीं बन पाए |राजीव के प्रति अपने पूर्व के व्यवहार और भावनाओं को याद कर उनकी आंखें भर आई |
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“पापा, आप चिंतीत न हों|संजीव भैया जैसा सुविधाएं तो हमारे पास नहीं है, पर हम आप का पूरा ध्यान रखेंगे और आपको किसी चीज की कमी नहीं होने देंगे |” राजीव उनके कंधे पर हाथ रखते हुए बोला |
“जिसका तुम जैसा पुत्र हो, उसे चिंता करनी भी नहीं चाहिए |तुम मेरे योग्य पुत्र हो |मुझे अच्छी तरह समझ आ गया कि घन से ज्यादा महत्वपूर्ण संस्कार और मतलबी रिश्ते से ज्यादा महत्वपूर्ण दिल के रिश्ते होते हैं |मुझे तुमपर गर्व है |” पिताजी उसके हाथ को अपने दोनों हाथों से पकडते हुए बोले -“तुम्हारी माँ ने तुम्हें बहुत अच्छी शिक्षा दी, मैं हीं तुम्हें समझ न पाया, जीवन भर तुम्हारे साथ गलत व्यवहार करता रहा, फिर भी तुमने दिल से मेरी सेवा की, ख्याल रखा | मै अपने व्यवहार पर लज्जित हूँ |मुझे माफ कर दो |”
“पापा बडे माफी नहीं मांगते, आशीर्वाद देते हैं |” राजीव उनका हाथ अपने सिर पर रखते हुए उनके पैर छूकर बोला -हमें अपना आशीर्वाद दें कि हमें आजीवन आपकी सेवा का सौभाग्य प्राप्त हो |”
“हां पापाजी आपका आशीर्वाद हमारे सिर पर हमेशा बना रहे |बस हम इतना चाहते हैं |” कहते हुए सुमन ने भी उनके पैर पकड लिए |
“सदा खुश रहो, मेरे बच्चों |ईश्वर की कृपा सदा तुमलोगों पर बनी रहे |” कहते हुए पिताजी ने दोनों को गले लगा लिया |
तीनों की आंखों में आंसू थे पर तीनों के होठों पर हंसी थी |
#मतलबी रिश्ते
स्वलिखित और अप्रकाशित
सुभद्रा प्रसाद
पलामू, झारखंड |