मतलबी रिश्ते – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : मेरा मन किया कि आज मोहल्ले में पीछे की लाइन में शुक्ला आंटी रहती है आज उनसे मुलाकात की जाएं । वैसे मैं अक्सर उनके पास जाकर बैठ जाती थी घंटे दो घंटे को और भी लोग आ जाते थे इस पड़ोस के । लेकिन इधर करीब पंद्रह दिन से मैं उनके पास नहीं जा पाई थी घर में मेरे बेटे बहू आए थे इसलिए।

वैसे तो शुक्ला आंटी उम्र में मुझसे काफी बड़ी थी लेकिन उनकी अनुभव भरी बातें बहुत सीख देती थी।शुक्ला आंटी के पति पुलिस में थे उनकी पोस्टिंग शहर से बाहर रहती थी ।और आंटी के सिर्फ एक बेटा था । बहुत जुझारू किस्म की औरत थी ।घर बाहर और बेटे की सारी जिम्मेदारी वो खुद ही उठाती थी।अपना मकान भी उन्होंने अकेले दम पर खुद ही बनवाया था। बहुत अच्छी तनख्वाह नहीं थी पति की इसलिए घर का सारा काम झाड़ू पोछा खाना सब वो खुद ही करती थी।

अभी दस साल पहले पति का स्वर्गवास हो गया था । बेटे की शादी हो चुकी थी एक पोता भी था ।थोड़े से पैसे में भी वो खुश रहती थी । काफी खुशमिजाज थी।बेटा दवाइयों की कंपनी में काम करता था ।बहू ने बीएड किया था तो जोड़ तोड़ करके बहू की भी नौकरी लगवा दी थी ।अब अचानक से बेटे का ट्रान्सफर इम्फाल हो गया था ।

यहां पर आंटी अकेले हो जाती इसलिए इतनी दूर जाने नहीं दिया । यही पर ही बेटे को एक दवाई की दुकान खुलवा दी । उसके लिए उनके पास जो कुछ जमापूंजी थी सब लगा दी और साथ में जो ज़ेवर था वो भी बेचकर दुकान सेट करवा दिया।

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                   लेकिन आप जैसा सोंचता हो वैसा होता कहां है , किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर होता है।बहू अपनी नौकरी में व्यस्त हो गई और बेटा दवाई की दुकान में । अभी तक खाना बनाने से लेकर सारे काम आंटी ही करती थी उन्हें किसी की जरूरत ही नहीं थी । दुकान में ऐसा पता नहीं कौन सा शख्स आता था कि बेटे की उससे दोस्ती हो गई और वह शराब पीने लगा।

शराब तो वह पहले भी थोड़ा लेता था । दवाइयों के काम में मीटिंग वगैरह चलती है तो उसमें इस तरह की पार्टी चलती है । लेकिन वो सब एक लिमिट में था।उस दोस्त के साथ बेटे की आदत कुछ ज्यादा ही हो गई।इस तरह की आदत वालों की दोस्ती का दायरा बहुत जल्दी बढ़ जाता है। दुकान पर तो कम ही ध्यान देता और दुकान का पैसा पीने पिलाने में ही उड़ानें लगा।घर में कोई देखने वाला तो था नहीं बेटा अभी पंद्रह साल का था बीबी अपनी नौकरी में व्यस्त ।

आंटी अपना नीचे के कमरे में रहती थी उनको इतना आइडिया नहीं था कि बेटा इतना ज्यादा पीने लगा है ।अब हालात कुछ ज्यादा ही बिगड़ गये अक्सर वह पीकर सड़क में दुकान पर इधर उधर पड़ा रहता था । ऐसे में कई बार उसका मोबाइल चोरी चला गया और यहां तक कि एक बार कोई स्कूटर ही उठा ले गया।

जब स्थिति बेकाबू हो गई तो बहूं भी थोड़ा समय दुकान पर देने लगी । बेटे की इतनी लत खराब हो गई कि आंटी बिजली का बिल भरने को देती या और कोई टैक्स या कुछ सामान मंगवाने को तो सारे पैसे का वो शराब पी जाता। आंटी बहुत परेशान रहने लगी इतना पैसा तो था नहीं उनके पास ।बहू भी आंटी को ताने देने लगी कि आपका बेटा शराबी है मैं नहीं रहुंगी उसके साथ ।

परेशान होकर बहू ने एक दिन नींद की बहुत सारी गोलियां खा ली तुंरत डाक्टर के पास ले गए तो उसकी जान बच गई। हमेशा खुश रहने वाली आंटी अब बहुत परेशान रहने लगी ।जब भी बैठती आंखों में आंसू भर लेती बेटे की करतूतों से बहुत परेशान हो गई थी ।अब बहू भी आंटी को नजरंदाज करने लगी बिल्कुल उनका ध्यान नहीं रखती थी ।

मकान बेटे के नाम था कभी नशे की हालत में स्टाम्प पेपर पर कोई उससे अंगूठा न लगवा लें इसलिए बहू और पोते के नाम पर मकान कर दिया और भी जो उनके पास था सब बहू के नाम कर दिया।अब आंटी काफी बीमार रहने लगी थी घुटने की बीमारी ने उनका चलना फिरना मोहाल कर दिया था।

अब उनसे काम भी नहीं होता था।बहू अपना खाना बना लेती थी आंटी से पूछनें भी नहीं आती थी कि आपने खाया कि नहीं ।वो बेचारी खुद ही अपने लिए थोड़ा सा बना लेती थी। थोड़ी बहुत पति की पेंशन मिलती थी उसी से गुज़ारा चलता था ।घर के पास ही एक जनरल स्टोर था वहीं फोन करके ज़रूरत भर का सामान आ जाता था पास में ही एक मेडिकल स्टोर भी था जहां से दवाइयां आ जाती थी । बीमार होने पर न तो कोई इलाज करवाया था घुटने का इलाज तो दूर की बात ।

इतनी मेहनती और जुझारू महिला आज हर चीज के लिए मोहताज हो गई है ।उनका दुख बांटने को हमलोग कुछ देर को बैठ जाते हैं तो उनका मन थोड़ा हल्का हो जाता है। आजकल खून के रिश्ते भी कितने बेमानी होने लगे हैं ‌मतलबी सारे रिश्ते। इससे तो इस पड़ोसी ही अच्छे ।

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आंटी के पड़ोस में एक परिवार रहता है वो लोग हर संभव मदद करते रहते हैं।आज चार दिन से आंटी बुखार में तप रही है कोई पूछने वाला नहीं है।पड़ोस में पता लगा तो उन लोगों ने ही आंटी के लिए दूध दलिया बेड का इंतजाम किया ।घर में तो कोई झांकने नहीं आया कि आंटी जिंदा है या नहीं ।ये है आजकल रिश्तों का खोखलापन ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

 

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