प्रशांत और भवानी के तीन बच्चे थे । दो बेटे सुभाष और शरत एक बेटी शालिनी । प्रशांत रेवेन्यू डिपार्टमेंट में क्लर्क थे । पति पत्नी का एक ही मक़सद था कि बच्चों को अच्छे संस्कार देना और खूब पढ़ाना ।
उन्होंने बच्चों को बहुत पढ़ाया बड़ा बेटा सुभाष ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और एम एस करने के लिए अमेरिका चला गया था । दूसरे बेटे ने डॉक्टर की पढ़ाई की और इंडिया में ही एक बहुत बड़े अस्पताल में काम करने लगा था । बेटी डिग्री कर रही थी ।
प्रशांत ने बेटों की शादी के पहले ही बेटी की शादी कर देना चाहते थे इसलिए उसके लिए रिश्ते ढूँढने लगे। ईश्वर की कृपा से जैसे शालिनी ने अपनी डिग्री की परीक्षाओं को ख़त्म किया वैसे ही उसकी शादी तय हो गई थी । प्रशांत ने बहुत ही धूमधाम से अपनी बेटी की शादी करके उसे बिदा किया था वह अपने पति के साथ सिंगापुर में रहती थी ।
अब धीरे से दोनों बच्चों से बात किया तो उन्होंने अपनी शादी की ज़िम्मेदारी माता-पिता को ही सौंप दी थी ।
सुभाष अमेरिका से आकर शादी करके चला गया था । शरत भी अपनी पत्नी को लेकर
मुँबई शिफ़्ट हो गया था । प्रशांत के रिटायर होने के लिए अभी तीन साल बचे हुए थे ।
सब कहते थे कि प्रशांत आप बहुत ही खुश नसीब हैं कि आपके तीनों बच्चे इतने संस्कारी और माता-पिता का आदर करने वाले हैं ।
बच्चे कभी यहाँ गाँव में रहने के लिए आते थे तो कभी ये लोग वहाँ चले जाते थे । तीन साल बीत गए थे और प्रशांत रिटायर हो गए थे ।
बच्चों ने कहा कि आप हमारे पास आ जाइए जहाँ रहना है जितने दिन रहना है रहिए । पिता ने कहा कि आप लोगों की बात तो ठीक है लेकिन इतने साल मैं बहुत व्यस्त था बच्चों की परवरिश और परिवार की देखभाल के पीछे हम दोनों एक दूसरे को समय नहीं दे पाए हैं तो अब हम साथ रहना चाहते हैं तुम लोग ऐसे ही आते रहो हम भी आते रहेंगे ।
एक दिन उन्होंने भवानी से कहा- भवानी दुनिया में बच्चों को देखते हुए मुझे बहुत डर लगता है इस संपत्ति को लेकर तीनों बच्चों में मतभेद ना हो जाए ।
आज तक लोगों के लिए हम मिसाल बने हुए हैं परंतु थोड़े से पैसों के कारण हमारे बच्चों में मतभेद होने के कारण हमारी इज़्ज़त समाज में घट जाएगी इसलिए मैं अपनी जो कुछ भी संपत्ति है उसे तुम्हारे नाम कर देता हूँ । तुम्हारे बाद यह संपत्ति तीनों बच्चों के बीच बराबर बाँट देंगे ।
भवानी- आप भी! आपको अपनी परवरिश पर यक़ीन नहीं है क्या? हमारे बच्चे दूसरे बच्चों के समान नहीं हैं । मुझ पर भरोसा कीजिए वे आपकी सोच को गलत साबित करेंगे । प्रशांत ने पत्नी की बात को सुनकर कहा कि मैं तुम्हारे ऊपर भरोसा करके तुम पर छोड़ देता हूँ सब कुछ तुम ही सँभाल लेना ।
भवानी रूठ कर कहती है कि आप भी ऐसे कह रहे हैं जैसे मुझे छोड़कर कहीं जा रहे हैं ।
उस दिन रात को प्रशांत सोए हुए थे कि अचानक उनकी छाती में दर्द उठने लगा । उन्होंने भवानी से कहा भवानी चल अस्पताल चलते हैं मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा है ।
पड़ोसी की मदद से वे अस्पताल पहुँच गए और डॉक्टर ने बताया था कि माइल्ड हार्ट अटैक आया है ।
भवानी ने दोनों बेटों और बेटी को फोन कर दिया था । हैदराबाद वाला तो दूसरे दिन पहुँच गया था अमेरिका से बड़ा बेटा भी दो में आ गया था । बेटी भी सिंगापुर से जल्दी ही पहुँच गई थी ।
प्रशांत ठीक होकर घर आ गए थे । बच्चों को अपने पास देख कर उन्हें ख़ुशी हुई उनसे कहा अब मैं ठीक हूँ । तुम लोग अपने अपने घर वापस जा सकते हो ।
पिताजी की बात सुनकर तीनों बच्चे वापस जाने के लिए अभी निकलने ही वाले थे कि प्रशांत की मृत्यु रात को सबके समक्ष बैठे बैठे ही हो गई थी ।
तेरहवीं के बाद दोनों बेटों ने अपनी माँ से कहा कि माँ आपको हम दोनों में से जिस किसी के पास रहना है रह सकती हैं । यह आपकी अपनी मर्ज़ी है हमारी तरफ़ से कोई भी जोर ज़बरदस्ती नहीं हैं । बिटिया ने कहा कि आप मेरे साथ चलेंगी ।
भवानी- तुम्हारे पिता के साथ की बहुत सारी यादें हैं इस घर में मैं अभी तुम दोनों के साथ नहीं आ सकती हूँ । बेटी के घर का मैं पानी भी नहीं पी सकती हूँ तो तुम्हारे पास नहीं आ सकती हूँ तुम ही यहाँ आ जाया करो ।
बेटों की तरफ़ मुड़कर कहा कि तुम दोनों मुझे थोड़ा सा समय दोगे तो अच्छा लगेगा ।
तीनों माँ को वहीं पर छोड़कर अपने घर वापस जाने लगे तब उनसे यह भी कहा कि आपको जब भी हमारी ज़रूरत महसूस हो हमें फोन करना हम आ जाएँगे ।
भवानी दो साल बाद बच्चों के पास जाने के लिए तैयार हो गई थी । उसने कहा कि जब मैं तुम्हारे साथ रहनेवाली हूँ तो गाँव का घर और थोड़ी सी जो ज़मीन है । उसे तुम तीनों बेच कर आपस में बाँट लो ।
बच्चों ने माँ की बात मानकर ज़मीन और घर बेच दिया । उस जायदाद को बेचने के बाद जो भी पैसा आया उसे माँ के नाम बैंक में जमा कर दिया था अपनी बहन से भी इस बारे में सलाह ले लिया था ।
भवानी के पूछने पर उन्होंने कहा कि माँ आपने हम लोगों को पढ़ा लिखाकर इस क़ाबिल बनाया है कि हम अपनी ज़िंदगी अच्छे से जी रहे हैं । ईश्वर की कृपा से हमारे पास बहुत कुछ है । हमें इन पैसों की ज़रूरत नहीं है । आप जब तक हैं इसका उपयोग क़ीजिए बाद में हम दोनों ने यह फ़ैसला किया है कि इन पैसों को किसी वृद्धाश्रम में डोनेट कर देंगे ।
उनकी बातों को सुनकर भवानी की आँखें भर आईं और वह प्रशांत के फ़ोटो के पास खड़े होकर कहने लगी देखा आपने हमारे बच्चे और बच्चों की तरह नहीं हैं उनके बीच पैसों के कारण मतभेद तो हो ही नहीं सकता है ।
दोस्तों हमें हमारे बच्चों और अपनी परवरिश पर इतना तो विश्वास करना ही चाहिए । उसके बाद भी हमारे साथ कोई हादसा होता है तो हमारी किस्मत है समझ लेना चाहिए हाँ आज के ज़माने में हमें इतनी तो सतर्कता बरतनी चाहिए कि हमारे बाद ही हमारी संपत्ति बच्चों को मिले ।
के कामेश्वरी