जरा बताइए ये साड़ी कैसी लग रही है राधिका जी अपने पति रमा कांत जी को साड़ी दिखाते हुए बोली उनके चेहरे पर अलग सी खुशी थी कल उनके पोते को डिग्री मिलने वाली थी ये मौका वो कहां छोड़ने वाली थी
आज से ही तैयारी कर रही थी और उन्हें एक साड़ी पसंद आई जो उस मौके के हिसाब से अच्छी थी
रमाकांत जी बोले अरे तुम पर तो सब अच्छा लगता है कोई सी भी पहन लेना पर अभी तक बहू ने ना बेटे ने कुछ बताया की कितने बजे जाना है बस गौरव का फोन आया था कह रहा था दादा दादी आप जरूर आना
अरे भूल गए होंगे और कल जाना है अपन अपनी तैयारी कर के रखते है अचानक से राधिकाजी के अंदर जोश आ गया वो साड़ी निकाल कर बहू को देने गई की इस्त्री करवा देना
बहू बोली कहां जाना है आपको ये साड़ी पहन कर ।
अरे कल गौरव को डिग्री मिलेगी तो बहा जायेंगे ना राधिका बोली
आरती उन लोगों को वहां ले जाना नही चाहती थी उसको लग रहा इस बुढ़ापे मैं इनको ले जाकर कितना अपमानित लगेगा वहां सब पढ़े लिखे लोग आएंगे इन लोगों को देखकर कहीं हमारा या बेटे का मजाक नही बने ।बोली मांजी आप क्या करोगी यूं ही थक जाओगी आना जाना और देर तक प्रोग्राम चलेगा
जानकीजी बोली नही गौरव ने फोन किया है आप जरूर आना अब पोते को बात कैसे टाल दूं
इस कहानी को भी पढ़ें:
अस्तित्व – ऋतु दादू : Moral Stories in Hindi
आरती ने मन मै बोला ये गौरव भी दादा दादी का चमचा बड़ा हो गया पर अकल नही आई,चिढ़कर बोली अच्छा ठीक है बताते है
रात को जानकी जी पानी लेने गई तो उन्होंने सुना की आरती गौरव को बोल रही थी क्या जरूरत थी उन लोगों को आने की बोलने की वो ना ढंग से चल पाते ना बात कर पाते वहां साथ मैं ला कर कितना अपमानित महसूस होगा
आगे की बात तो सुन ही नही पाई उनका दिमाग सुन्न हो गया की अब वो बूढ़े हो गए हैं तो माता पिता का साथ अपमनित लगता है वो बाहर चली गई पति को दुख पहुंचाना नही चाहती थी जब सो गए तब कमरे मै आई
सुबह बोली मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही तो मैं नही जा पाऊंगी तुम बहू को बोल दो रमाकांत जी बोले फिर मैं जा कर भी क्या करूंगा
आरती सुनकर खुश हो गई की चलो बिना बोले समस्या खत्म हो गई और वो लोग निकल गए जानकी जी उदास हो कर लेटी थी तभी गौरव का फोन आया की उसने गाड़ी भेजी है आओ दोनो जब तक तैयार हो जाओ आप नही आए तो मैं स्टेज पर नही जाऊंगा
दोनों तैयार हो कर पहुंचे उनको देख कर आरती का पारा चढ़ गया बेटा अनिल बोला मां आपकी तो तबीयत ठीक नहीं थी हमारे साथ ही आ जाती गौरव अपनी मां से बोला मां बड़े लोगों का साथ हमें अपमानित नही सम्मानित करता है बुढ़ापा तो सबको आना है पर इस वजह से उन्हें खुशी से दूर तो नही कर सकते
अनिल बोला क्या कहना चाह रहे हो जानकीजी बोली कुछ नही और उन्होंने गौरव को इशारे से मना कर दिया
आरती की आंखे खुल गई थी ..!!
स्वरचित अंजना ठाकुर