माता-पिता की सजा संतान को क्यों – सुषमा यादव 

मैं शिक्षिका थी, मेरी दो बेटियां हैं , हमेशा से पढ़ाई में दोनों बहुत तेज   थीं, पति भी अधिकारी थे, ये सब देख कर  पता नहीं क्यों मेरे भाई भाभी को हमारे परिवार से जलन होने लगी, बात बात पर ताने, उलाहने दिये जाते, मैंने अपनी तरफ से संबंधों को सुधारने की बहुत कोशिश की,पर नाकामयाब रही,बात मेरी होती तो कोई बात नहीं,पर वो अपने माता-पिता के साथ भी बहुत ही दुर्व्यवहार करते,,

पिता जी सेवा निवृत्त होकर अपने गांव प्रतापगढ़ में मां और आंशिक  मानसिक विकलांग छोटे भाई के साथ रहने लगे,उसको मोतियाबिंद हो गया था, बाबू जी ने बहुत कहा कि शहर में इसका आप्रेशन करवा दो,पर भाई भाभी ने कहा कि हम नहीं करा सकते,

मेरे एक रिश्तेदार ने मुझे फोन किया और कहा कि तुम्हारे मां, पिता ने तुम्हें भी पढ़ाया, लिखाया, क्या तुम्हारा फर्ज नहीं बनता कि तुम अपने भाई का आपरेशन करवा दो,अगर वो अंधा हो गया तो,,, मैंने कहा कि मुझे तो कुछ भी नहीं मालूम,, खैर मेरे पति ने तुरंत ही गाड़ी भेजकर उन्हें अपने पास बुलाया और आपरेशन करवा दिया, वो लोग मिलने भी नहीं आये,

एक बार फिर मां बीमार हो गई, फिर हमें ही जाकर लाना पड़ा,बेटे, बहू की बेरुखी से मां को पागलपन के दौरे पड़ने लगे, मेरी नौकरी, घर की जिम्मेदारी , मैं बहुत परेशान हो गई,।।

लग रहा था कि मैं ही पागल हो जाऊंगी, मां हम सबको मारने, पीटने लगी थी,उनको बहुत चिंता हो रही थी कि उनके जाने के बाद इस मेरे बेटे को कौन संभालेगा,।

एक बार मेरी मां भाई के घर चुपचाप भाग गई, वो हमारे घर से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर है, मेरे भाई ने रस्सी से बांध कर आटो रिक्शा में बैठाकर मेरे घर पहूंचाया, और बोला कि अपनी मां को संभालो,,



इसके बाद अब उन दोनों ने पता नहीं क्या सोचा, एक दिन मेरे घर आकर बाहर से ही मेरे भाई ने चिल्लाना शुरू किया, मेरे मां बाप को तुम लोगों ने बन्दी बनाकर रखा है, मैं तुम सबकी नौकरी हर लूंगा, सबको जेल भिजवा दूंगा, सब अड़ोस-पड़ोस के लोग तमाशा देख रहे थे, मैं उसके पैरों पर गिर कर गिड़गिड़ा रही थी,रो रही थी,

पति, और भाई के बीच बहुत बहस हो रही थी, पिता जी ने भी पुत्र मोह में मेरे ही पति को सुनाना शुरू कर दिया, उन्हें लगा कि मेरा बेटा हम सबको लेने आया है,सब लोग जल्दी जल्दी अपना सब सामान ले कर चले गए,।।।

हमें भी बहुत मानसिक शांति  मिली, सोचा कि शायद उन लोगों को अक्ल आ गई होगी।।।

परंतु पंद्रह दिन के बाद ही पिता जी का फोन आया कि बेटा, उसने हमारा,सब एफ, डी ,सब जेवर, और ए,टी,एम भी ले लिया और दस दिन बाद ही एक गाड़ी करके हमारा सब सामान बाहर सड़क पर फेंक दिया और बोला कि जाओ अपने गांव, मैं यह सुनकर सन्न रह गई, मेरे बाबूजी फोन पर बोल रहे थे कि बेटा,

तुम्हारी मां मुझे बहुत मारती है, मैं भी गुस्से में उसे पीट देता हूं, हम सबको वापस अपने घर बुला लो, मैं ने कहा, बाबू जी आप मुझे चाहे जो कह लेते, आप दोनों ने मेरे पति का कितना अपमान किया, आप लोगों के कारण मेरा घर नरक बन गया है,, इन्होंने ने बिना किसी लालच के निस्वार्थ भाव से सेवा किया, मां का अच्छे डॉक्टर से इलाज करवाया, लोगों के कहने से राजस्थान मेहंदी पुर बालाजी मंदिर लेकर गये, अब मुझे माफ़ करिए,।।

इसके बहुत दिनों बाद पता चला कि भाई, भाभी गांव गये थे, वो लोग अपनी कार में खेती की फसल गेहूं, चावल भर कर लाते थे,उसी समय मां गिर गई,पैर में प्लास्टर चढ़ गया, मां, बाबू जी ने बहुत विनती किया ,इस हालत में हमें छोड़कर मत जाओ,पर वो लोग वापस लौट आए,

इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पाई, मां , और एक रात हमेशा-हमेशा के लिए सो गई, मुझे बाबू जी ने फोन पर ख़बर दिया और साथ में कहा कि बेटा जी कह रहे हैं कि, मां की तेरहवीं में दीदी आएगी तो हम सब वापस लौट जाएंगे, तो बेटा तुम लोग मत आना, मैं स्तब्ध रह गई, रोने लगी,पर मेरे पति ने मुझे भेजा,पर किसी ने भी मुझसे बात नहीं की, पिता जी डर के कारण चुप ही रहे, मैं बाहर ही अजनबी सी बैठ कर चली आई,

अब खेल शुरू होता है,ऊपर वाले का, वो तो ऊपर से चुपचाप सब पर निगाह रखता है ना,।



मेरे पति ने एक बार फिर मेरे पिता और भाई को अपने घर बुला लिया, और एक साल के बाद मेरा छोटा भाई भी मां के जाने बाद ही चला गया , जिस की चिंता में वो पागल हो गई थी,

एक दिन मेरे भाई का मुझे फोन आया , दीदी अन्नू की कमर में बहुत चोट आई है, वो भोपाल में इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहा था, एक दिन बहुत बारिश हो रही थी तो वो अपने दोस्तों के साथ एक पेड़ के नीचे खड़ा हो गया था, उसके ऊपर एक बड़ी सी डाल गिर गई, वो कमर से नीचे अपाहिज हो गया है,

व्हील चेयर पर बैठता है, आधा अंग सुन्न हो गया है, मैं नागपुर के अस्पताल से बोल रहा हूं, और वो फूट फूट कर रो रहा था, दीदी ,मेरा भी एक्सीडेंट हो गया है, आपरेशन करके नकली पैर लगा है , फिर से दिखाने आया हूं,,

दीदी , आप के साथ मैंने बहुत ग़लत किया है, आप देवी हो, मैं आप के पैरों पड़ कर आप से दया की भीख मांग रहा हूं, मुझे माफ़ कर दो,मेरा बड़ा बेटा मुझे छोड़कर चला गया , वो घर नहीं आता, शादी भी कर लिया है, बेटी अपने मनपसंद लड़के के साथ कोर्ट मैरिज करके बैंगलोर में बस गई है ,

मन में अपार वेदना हुई, मैंने रोते हुए कहा कि मैं आती हूं, तुम अकेले कैसे चले गए, बोला कि, नहीं आप बस अन्नू के सिर पर हाथ रख कर आशीर्वाद दे दो, मेरे घर चली जाओ,।

मैंने उससे कहा कि तुम्हें माफी मुझसे नहीं, बाबू जी से मांगनी चाहिए,जिनका तुमने इतना अपमान किया, भाई ने चिल्लाकर कहा वो तो पागल है,उनको किसी पागल वाले डॉक्टर को दिखाइये,

मैं हैरत में पड़ गई, इतना होने पर भी,,,,

खैर, मैं बाबू जी को लेकर उसके घर गई,उस खूबसूरत नवयुवक को व्हील चेयर पर बैठे देखकर मैं जोर जोर से रोने लगी, वो मेरा बहुत ही प्यारा भतीजा है,

मैंने भगवान से पूछा कि आखिर इस बच्चे की क्या गलती है, इसके मां, पिता की गलती की सज़ा आखिर उसकी मासूम संतान को क्यों,

आखिर क्यों,,,,

आप को ये बात दूं कि सभी डॉक्टर्स ने जबाव दे दिया है, कि रीढ़ की हड्डी में चोट आने से ये लकवाग्रस्त हो गया है,

 

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