मस्ती के पल- अंजना ठाकुर। Moral stories in hindi

मस्ती के पल ।।

सोनू को आज फिर बुखार आ गया था सेजल परेशान हो गई थी पांच साल का सोनू अक्सर बीमार और उदास रहता जबकि सेजल खाने में

बहुत ध्यान रखती सब कुछ हेल्दी ही खाने को देती लेकिन सोनू के शरीर को कुछ लग नहीं रहा था और वो अक्सर ही बीमार बना रहता ।

सेजल अपने बच्चे को लेकर बहुत  चिंतित रहती थी। उसे लगता सोनू कहीं गिर नहीं जाए ,कोई उसे मार न दे ,कुछ उल्टा सीधा नहीं खा ले इस कारण वो उसे बच्चों के साथ खेलने नहीं देती थोड़ी देर गार्डन में जाती और एक दो चक्कर लगा कर वापस ले आती ।उसे टीवी देखने की लत लगा दी

सेजल को लगता इस वजह से वो एक जगह बैठा रहता है ।स्कूल भेजने में भी उसे डर लगता उसने मैडम को भी बोल दिया इसको ज्यादा  भागने न दे। सेजल को लगता ये उसका प्यार है पर वो समझ नहीं पा रही थी यही वजह है सोनू के बीमार होने की ।कई बार हमारा ज्यादा प्यार किसी के लिए नुकसानदायक हो जाता है ।

अब सोनू भी आलसी सा हो गया था एक ही जगह

और अकेला रहता जिस से उसका शरीर कमजोर हो रहा था उसमें बीमारी से लड़ने की शक्ति कम थी

सेजल की सहेली बोलती भी की तुम सोनू को खेलने नहीं देती बच्चों के लिए शारीरिक मेहनत और बच्चों का साथ जरूरी है इस से ही उनका विकास होता है ।

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सेजल कहती नहीं नहीं मेरे बच्चे को लग गई तो देखा नहीं बच्चे कैसे लड़ते है उस दिन मोंटी ने पारूल के बेटे को कैसा गिराया उसका घुटना छिल गया ।

सहेली बोली बच्चे तो गिरते पड़ते रहते है और हम सामने ही रहते है तो गंभीर कुछ नहीं होता पर यूं कैद रखना सही नहीं है सेजल को कुछ समझ नहीं आता और सोनू अक्सर बीमार हो जाता ।

आज सेजल की बहन कुछ दिन रहने आई थी उसका बेटा विधु ,सोनू से एक साल छोटा था पर लग सोनू से बड़ा रहा था वो बहुत ही चंचल था दिन भर यहां – वहां भागता रहता सेजल बोली निधि तुझे डर नहीं लगता कहीं लग गई तो ।

निधि बोली अरे बच्चों को बांध कर थोड़े ही रखेंगे इस डर से देख इसलिए मैंने उसके सर पर बच्चो का हेलमेट लगा दिया है और थोड़ा बहुत तो लगती रहती है ।सेजल ने नोटिस किया सोनू के भी उसके संग खेल कर चेहरे पर रौनक आ रही थी निधि बच्चों को नीचे ले जाती खेलने के लिए पिछले पंद्रह दिनों में सोनू को कुछ नहीं हुआ बल्कि थोड़ा अच्छा लगने लगा।

सेजल बोली तेरे बेटे के संग रहकर सोनू बीमार नहीं हुआ नहीं तो उसे अक्सर कुछ न कुछ होता रहता है

निधि बोली हर बीमारी का इलाज दवा नहीं होती कभी कभी अपनों का साथ ,मस्ती के पल और अपने हिसाब से जिंदगी जीने से भी बीमारी ठीक हो जाती है तूने सोनू को कैद करके रख दिया उसे भी मस्ती चाहिए अब उसे खेलने देना सबके साथ।सबके साथ बिताए कुछ पल ही पूरे दिन एनर्जी देते है जैसे हम बड़ों को जरूरी है ।

सेजल बोली हां अब मुझे समझ आ गया सोनू भी खुश रहने लगा ।

कई बार हम मन की जरूरत समझ नहीं पाते बड़े हो या बच्चे सबको मस्ती चाहिए होती है वो नहीं मिल पाती तो मन कमजोर हो जाता है जिसका असर शरीर पर पड़ता है और हम दवाई खाते रहते है ।और भूल जाते है हर बीमारी का इलाज दवा नहीं होती ।।

स्वरचित

अंजना ठाकुर

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