Moral stories in hindi : चीखने की तेज आवाज़ के साथ कई लोगों की निगाहें उसी ओर उठ गई, एक सुंदर सी महिला ने एक पुरुष को कालर से पकड़ा हुआ था और बेहद गुस्से में बोल रही थी.. “आखिर दिखा ही दिया ना तुमने अपना असली रंग, अपनी बीवी के होते हुए भी अपने सगे भाई की बीवी के साथ इश्क़ लड़ाते हुए शर्म नही आ रही है ना तुम्हें”….
तभी हाथों में पॉपकॉर्न लिए एक लड़की वहा आई और ये नजारा देख बौखला गई, पॉपकॉर्न वही फैंक उस महिला को हाथ से पकड़कर बोली, दीदी ये क्या हरकत है, इस तरह मॉल में सबके सामने अपने पति पर हाथ उठाते हुए आपको जरा भी शर्म नही आ रही…
शर्म तो तुम्हें आनी चाहिए देवरानी जी, जो यहां अपने जेठ के साथ फिल्म देखने चली आई, रिश्तों को कलंकित तो तुम दोनों कर रहे हो और शर्म मैं करू, अभी आगे कुछ कहती की एक तेज थप्पड़ से वो महिला करहा उठी…
सामने उसकी सास गुस्से से खड़ी थी साथ ही ससुर और देवर भी थे….
तुम तो दो साल पहले इसी शक की आग में सुलगती हुई ससुराल से नाता तोड कर पीहर जा बसी और तुम्हारी गैर मौजूदगी में छोटी बहु सब संभाल रही है तो उस पर भी तुम धब्बा लगाने से बाज नहीं आई, सोचा था समय के साथ तुम्हे एहसास हो जायेगा की सब तुम्हारे सनकी दिमाग की ही उपज है पर आज तुमने सारी सीमाएं लांघ दी है,
आज तुम्हारे ससुर जी का जन्मदिन है तो बस हम सभी यहां फिल्म देखने चले आए पर तुमने बिना कुछ सोचे समझे अपने पति और देवरानी पर इतना घिनौना आरोप लगा दिया है तो आज से सब नाते खत्म और कल तुम्हारे पास तलाक के कागज़ भी पहुंच जायेंगे सास ने फैसला सुनाया और सभी चले गए,
तभी देवरानी वापस आई और बोली दीदी मेरे कोई भाई नहीं है और दो साल से आप अलग रहती हो तो आपको नही पता की जेठ जी मेरे राखी भाई है और हम दोनों का रिश्ता बहुत ही पवित्र और पाक है आज इस रिश्ते को कलंकित करके आप हम सब की नजरों से बहुत नीचे गिर चुकी है और ऐसा कहकर चली गई।
किसी की आंखों से पश्चाताप के आंसू थे पर अब उन्हे देखने वाला वहा कोई नही था।
स्वरचित, मौलिक रचना
#धब्बा लगना( कलंकित करना)
कविता भड़ाना