आज बहुत दिनों बाद चाची के घर के सामने उस से टकराना हो गया ,वही बाल बनाने का तरीका वही कपड़े पहनने का अंदाज और वही शरारती हंसी और बातूनी आंखों की मुस्कान। इन सब को देख कर ही निशा का मन अमित पर आया था।
चचेरे भाई का दोस्त था अमित और पड़ोस में रहता था ।निशा का अक्सर वहां आना जाना रहता तो अमित से भी मुलाकात होती रहती ये मुलाकातें कब निशा के लिए जरूरत बन गई पता ही नहीं चला।
बहुत ही प्यारा और सच्चे दिल का लड़का था अमित। भविष्य संवारने के सपने देखता साथ ही शरारते करना उसका शौक था, यही शौक निशा के मन में घर कर गया और निशा सच्चे मन से उसे चाहने लगी उसके साथ भविष्य के सुनहरे सपने देखने लगी।
पर निशा के घर का माहौल कुछ इस तरह का नहीं था और ना ही कभी अमित की तरफ से उसे कोई इशारा मिला था। बहुत कोशिश करती अपने मन का पीछा अमित से छुड़ाने का पर, अमित की बातूनी आंखें निशा का पीछा नहीं छोड़ती थी।
सोचा घरवालों को मना लिया जाएगा पहले अमित से पूछा जाए कि उसके दिल में क्या है, खत लिखना शुरू किया अभी कुछ ही लिखा था कि भाई ने आकर खत ले लिया और तरह-तरह के उलहाने सुनाते हुए मां पापा को बता दिया। रोक लगा दी गई निशा पर बाहर निकलने की। चाचा जी के घर भी ना जाने दिया जाता उसे, काफी समय बीत गया था निशा को घर से बाहर निकले, शादी की तैयारियां होने लगी थी घर में चहल-पहल भी शुरू हो गई थी, निशा के बहुत कहने पर आज उसे मां से इजाजत मिली चाचा जी के घर जाने की, मर्यादाओं का मान रखने और घर की इज्जत रखने की कसम चढ़ाई गई ।
निशा के मन की सुने बगैर उसकी शादी तय कर दी गयी थी।
कुछ नहीं कह पाई निशा बुझे मन से चचेरी बहन जो किसी सहेली से कम नहीं थी उससे मिलने गई , सामने ही अमित टकरा गया जोकि बहुत खुश नजर आ रहा था।
बहन ने बताया उसकी शादी तय हो गई हैं, निशा भी चुपचाप वहां जाकर खड़ी हो गई ।निशा को देखकर अमित बोला ,
“मेरी शादी में जरूर आना”
गुस्सा तो बहुत आया निशा को सबकी बातें समझता है मेरे मन को कभी नहीं समझ पाया । अमित जान ही नहीं सका कि वो उसे कितना चाहती है। निशा जिस उम्मीद को लेकर अमित से मिलने आई थी उसे अपने मन में दबा
खामोशी में लिपटे हुए अरमानों को आखिरी विदाई दे आई । जानती थी इस एकतरफा चाहत की कोई मंज़िल नहीं थी। जिस ठौर जाना नहीं वहां का रूख क्यूँ करना। उसने माँ पापा के फैसले के आगे सिर झुका दिया।
#मर्यादा
~तृप्ति शर्मा