……मेट्रो ट्रेन अपनी रफ्तार से आगे बढ़ती जा रही थी….. आज कुछ ज्यादा ही भीड़ थी….सुदीप्ता काफी बेचैनी महसूस कर रही थी खड़े खड़े आज उसके पैर भी दर्द करने लगे थे…तभी अचानक उसे अपने एकदम नजदीक कुछ अनचाहा सा स्पर्श महसूस हुआ…एकदम छिटक कर उसने देखा तो एक स्मार्ट सा बंदा भीड़ का फायदा उठाते हुए कुछ ज्यादा ही स्मार्ट बनने की कोशिश कर रहा था….एक दो बार इधर उधर होने पर वो तो जैसे और खुल गया….सुदीप्ता संकोच और मर्यादा में खुल कर विरोध करने में अपने आपको असहाय महसूस कर रही थी….
अचानक उसका हाथ अपने कंधों पर महसूस कर वो सर्वांग सिहर उठी….क्या करूं किससे बोलूं…. अधिकांश देख कर भी अनदेखा करने के यत्न में थे….और अधिकांश हमें क्या करना किसी के पचड़े में पड़कर कर …..और कई तो इस स्थिति का मज़ा ले रहे थे…..ऐसे तटस्थ लोगों के बीच मेरा क्या होगा….!..इसी उधेड़बुन में थी कि दर्द भरी तेज आवाज़ से पलट के देखा तो उस बन्दे की उंगलियों पर खरोंच और रक्त का निशान देख कांप गई….और साथ ही उस बन्दे के ठीक पीछे खड़ी कॉलेज गर्ल को विजयी मुस्कान के साथ तत्क्षण कुछ छुपाते हुए भी सुदीप्ता ने देख लिया…!
अरे तुमने ये क्या किया….ऐसा नहीं करना चाहिए था तुम्हें.. मेट्रो से उतरते हुए सुदीप्ता उस लड़की से कहे बिना अपने आपको रोक नहीं पाई……अच्छा और वो जो कर रहा था उसे वो करना चाहिए था..! उस लड़की ने भी तुरंत सुदीप्ता पर पलटवार किया और ये कहते हुए चली गई कि… और मैं क्या करती….!आंटी जो अपनी मर्यादा का उल्लंघन करे उसका पुरजोर विरोध करना सीख लीजिए आप भी….!इतनी सहनशीलता उचित नहीं है….!
सुदीप्ता के कानों में उसकी कही हुई बात गूंजती रही …”.सही बात है किसी भी बात या आचरण की एक स्वीकार्य सीमा ही मर्यादा होती है”…वो ये सोच ही रही थी कि अचानक ऑफिस बॉय ने आकर कहा सुदीप्ता मैडम बॉस आपको अभी बुला रहे हैं……!सुदीप्ता तेजी से बॉस के कमरे में प्रवेश कर ही रही थी कि बॉस की जोरदार गर्जना से थम सी गई….सुदीप्ता आज फिर से लेट!!ये तुम क्या करती रहती हो ….आज सबके सामने तुम्हे ले चलता हूं कहते हुए उसका हाथ पकड़ कर पूरे स्टाफ के सामने ले गए और असम्मानजनक शब्द का प्रयोग करते हुए डांटने लगे…!सुदीप्ता को काटो तो खून नहीं था ….आंसू मानो जम से गए थे…इतनी बेइज्जती..!!
किसी तरह सॉरी बोल कर वापिस अपनी सीट पर बैठ तो गई पर रह रह कर बॉस का अमर्यादित आचरण और शब्दावली उसके दिलो दिमाग को मर्माहत करते रहे…!
और तभी मेट्रो वाली लड़की के शब्द उसके कानों में गूंज उठे…. जो मर्यादा का उल्लंघन करे उसका पुरजोर विरोध करना सीखिए..!….जैसे धमाका सा हो गया उसके दिमाग में….
वो तुरंत उठी और बॉस को बाहर बुलाया…. सर बहुत विनम्रता से कहना चाहती हूं मैं लेट हो गई मेरी गलती है आप टोक सकते हैं लेकिन इस तरह सार्वजनिक रूप से मेरे साथ आपका ये अमर्यादित आचरण बिलकुल भी उचित नहीं है आप आज का वेतन काट सकते हैं पर ऐसे अशोभनीय शब्द नहीं बोल सकते!!प्लीज आइंदा से ध्यान रखें..!बहुत ही मर्यादित ढंग से अपनी बात पुरजोर तरीके से रख कर वो तेजी से बाहर चली गई…!बॉस सकते में आ गए….!
आज घर वापिस आते हुए एक अनोखा आत्मसंतोष अनुभव हो रहा था उसे….
अचानक उसका मोबाइल बज उठा….ऑनलाइन ग्रुप में एक लघुकथा लिखी थी उसने शिव जी का दुग्ध स्नान और कुपोषित बच्चे … व्यंग्य लिखा था उसने….व्यंगात्मक शैली और मर्यादित शब्दावली मेलिखी उसकी रचना को पाठकों ने बहुत पसंद किया था …तभी एक कमेंट पर उसकी नजरें जम गईं…शिव जी का विरोध करने से पहले अपने बच्चों को कुपोषण से ही नहीं सारे कलंको से बचा लेना …थोड़ी ही देर में दूसरा कमेंट आ गया….शिव का विरोधी हमारा विरोधी….फिर तीसरा….आप जैसे ही लोगों के कारण हिंदू धर्म रसातल में जा रहा है…..फिर चौथा…अरे तुम्हारी खैर नहीं है ऐसी पोस्ट समाज को भ्रष्ट कर रही है ….क्यों अपना टाइम पास कर रही हो आप इतनी बकवास पोस्ट लिख कर ….फिर अगला…ऐसे फालतू लेखकों का कुछ करना पड़ेगा …..सुदीप्ता के तो जैसे हाथ पांव ठंडे पड़ गए….फिर तो ऐसे ही उलजलूल कॉमेंट्स की बाढ़ ही आ गई..….कतिपय अच्छे कॉमेंट्स भी आए परंतु वो बहुत छोटे थे….कुछ कमेंट्स तो साहित्यिक मर्यादा को तार तार कर रहे थे …..किसी साहित्यिक ग्रुप में ऐसे भी पाठक हो सकते हैं ये सुदीप्ता के लिए अकल्पनीय था…….।
क्या हुआ मम्मी…! पृथा उसकी बेटी जाने कब से उसका कंधा हिला हिला कर पूछ रही थी….कारण जानने पर जोर से हंस पड़ी …अरे मम्मी इत्ती सी बात पर इत्ता नर्वस हो रही हो!जानती हो आज कॉलेज में मेरी स्पीच जिसका टॉपिक था…सार्वजनिक मंच और मर्यादा..” पर इतनी हूटिंग हुई कई लड़कों ने तो बेहूदा तरीके से टिप्पणियां की सीटियां बजाई …पर मैं बिना डरे बहुत सहजता से अपनी स्पीच बोलती रही.. …और ये देखो प्रथम पुरस्कार शील्ड मिली है …
मम्मी अगर बहुत से लोग आलोचना कर रहे थे तो बहुत सारे ध्यान से सुन भी रहे थे और तारीफ भी कर रहे थे…..सार्वजनिक मंच पर बहुधा कोई अनुशासन की उम्मीद नहीं करना चाहिए…..यही तो हमें निडरता से अपनी बात रखना सिखाता है और आत्मविश्वास जगाता है…. पृथा बोले जा रही थी ….लेकिन बेटा कुछ तो मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए….शाब्दिक मर्यादा का उल्लंघन भी कितना पीड़ादायक होता है वो भी किसी संवेदनशील रचनाकार के लिए…….मैं तो ये ग्रुप छोड़ दूंगी! सुदीप्ता वास्तव में बहुत व्यथित थी……नहीं मम्मी हर तरह की टिप्पणीयो के लिए तैयार रहना चाहिए अगर आगे बढ़ना है….!ऐसे पाठक हर जगह हर ग्रुप में मिल जायेंगे किसको कब तक छोड़ोगी आप…..!
ऑनलाइन ग्रुप है तो आप छोड़ दोगी ..!!और…..हमारे नेता मंत्री समाजसुधारक से लेकर न्यूज़ चैनल भी तो आजकल कितनी अशोभनीय और अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते रहते हैं उनका क्या इलाज करें हम!!?…. और जो ऑफलाइन ऐसी बातें करते हैं……वो बगल वाली मीना आंटी रोज आपको ऑफिस जाते समय ऊटपटांग कॉमेंट करती हैं…..अक्सर मेट्रो स्टेशन पर अवांछित तत्वों द्वारा किया जाना वाला अमर्यादित आचरण ….!….उनका क्या!!!और हां आपके वो खडूस से बॉस की खडूस शब्दावली …!सबको छोड़ पाओगी आप!!
अरे …आज से बॉस की शब्दावली सुधर जायेगी पृथा….सुदीप्ता ने हंसते हुए बेटी को आज अपना विरोध जताना बताया तो पृथा भी वाह मम्मी आपने तो कमाल कर दिया कहती जोर से हंस पड़ी…..सच कहा था मेट्रो वाली लड़की ने विरोध तो होना चाहिए गलत बातों का गलत आचरण का गलत व्यक्तियों का पुरजोर विरोध होना चाहिए पर साथ ही सही बातों का सही आचरण का सही व्यक्तियों का पुरजोर समर्थन भी होना चाहिए..अपनी मर्यादा के साथ दूसरों की मर्यादा तभी सुरक्षित हो पाएगी……तभी शब्दों और आचरण की मर्यादा संभल पाएगी ।
#मर्यादा
लतिका श्रीवास्तव
ye baat to sahi h , sabko sabhi buraiyan Hindu tyoharo m najar nhi ati , ye bhi nahi dekte hai ki , har ekadashi purnima , amavasya ko dan dene ki baat ki hui hai or daan ko sarvssresth bataya h jb man ho khilaiye pilaye baccho ko kisne mana kia hai lekin usme hindu ritio aur puja padtti ko bich m lane ka bada Sauk h, hindu sastra to apni maryada ki raksha k lie yuddh krna sikhata h wo kyu nhi hua metro m usme to jan halak m agyi
Absolutely