स्नेहा कहा जा रही हो?
मम्मा अदिति से मिलने जा रही हूं
इस समय जाने की जरूरत नहीं
स्नेहा किससे बात कर रही हो?
मम्मा मानसी से
बस बहुत देर बात कर ली अब बन्द करो मोबाइल
स्नेहा फ्राक के साथ लेगी पहनो
हां मम्मा
चलो रसोई में खाना बनाने में मेरी मदद करो
राहुल कहा जा रहे हो?
मम्मा बाहर जा रहा हूं
रात के 8 बजे है अभी बाहर जाने की जरूरत नहीं
राहुल मोबाइल में कब से गेम खेल रहे हो बस मोबाइल बंद कर दो
राहुल तरीके से कपड़े पहनो और सही से बैठो खाना खा लिया है तो सारे बर्तन साफ करके रसोई समेट के आओ
शुभी तुम दोनों बच्चो के साथ ये सारा दिन क्या मगजमारी करती हो
बच्चे बड़े हो रहे है उनको इस तरह बार बार टोकना अच्छा नहीं लगता।
अरे आप समझते क्यों नहीं बच्चे बड़े हो रहे है इसलिए तो अभी उन पर ज़्यादा ध्यान देने की जरूरत है।
किशोरावस्था ऐसी अवस्था है जिसमें बच्चा बिगड़ा तो उसे संभालना मुश्किल है।
और सुधरा तो फिर तो उसका जीवन सेट है
पर फिर भी
अच्छा
स्नेहा का तो समझ में आता है लड़की है
पर
राहुल वो तो लड़का है उसे तो आजादी मिलनी ही चाहिए।
क्यों जी बेटा बेटी में ये फर्क क्यों
मेरे लिए तो दोनों बराबर है
जिस मर्यादा में मै बेटी को रहना सिखा रही हूं
उसी मर्यादा में बेटे को रहना भी सिखाना है।
जो संस्कार बेटी को देने है वो ही संस्कार बेटे को देने है।
पढ़ाना, लिखाना दोनों को लायक बनाना
जब सब समान करना है तो आजादी और बंधन भी दोनों के लिए बराबर होने चाहिए ना,है ना
क्यों जी सही कहा ना
हां मेरी मेरे घर की लक्ष्मी तुमने सही कहा
बेटा बेटी एक समान
नताशा हर्ष गुरनानी
भोपाल