निन्नी,,ओ निन्नी,,चल न अब तो,,कितनी देर हो गई,,आज तो माँ से पिटवा के ही मानेगी मुझे,,,
बस तानी,,थोड़ी सी देर और रुक जा,,मेरी प्यारी सखी,,
बस तेरी ये बातें ही तो बाँधे हुए हैं मुझे,,ओ दैया,,याद आया,माँ ने कच्चे आम तोड़ कर लाने को बोला था,,अचार के लिये,,मैं तो भूल ही गई,,
अरे,तो इसमें कौन सी बड़ी बात है,,अभी तोड़े देते हैं,,चल बता ,,किस पर लगाऊं निशाना,,
वो,ऊपर वाले गुच्छे पर,,और वो बड़ा सा,,ये वाला,,आज तेरा सटीक निशाना बड़ा काम आया निन्नी,,
और नहीं तो क्या,,मैं यूँ ही पसीना बहाती हूँ,,सच में तानी,,बहुत आनंद आता है मुझे,निशानेबाजी में,,
निन्नी तेरे शौक भी न बड़े ही विचित्र हैं,,मल्लयुद्ध,निशानेबाजी ,गायन ,,,पुरुषों जैसे,,हाहाहाहा,,
तानी चल थोड़ा सांक नदी में नहा कर,,फिर घर चलेंगे,,इसका पानी बहुत ताज़गी देता है,,
अरे,,,ये ढोल पीटने की आवाज कहाँ से आ रही है,,लगता है राजा शिकार पर निकले हैं,,ये हांके की आवाज है,,फिर तो चल, जल्दी चल,,
अभी थोड़ी दूर ही गई थी कि सामने से राजा मानसिंह की सवारी आ गई,,बचकर निकल चल तानी,,कहीं कोई जंगली जानवर न आ जाये,,
अचानक एक जंगली भैंसा महाराज की ओर झपट्टा मारता है,,निन्नी बिजली की सी फुर्ती से बीच में आ जाती है और भैंसे के सींग पकड़ कर मोड़ देती है,,
राजा यह देखकर दंग रह जाते हैं,,वो हाथी के हौदे से उतर कर नीचे आते हैं और उस साहसी युवती का परिचय पूछते हैं,,
इस घटना के बाद वो महल तो वापस आ जाते हैं पर वह युवती उनके दिल ओ दिमाग़ पर छाई रहती है,,बहादुर होने के साथ-साथ वह बहुत रुपवती भी थी,,
राजा उससे प्रणयनिवेदन का निश्चय कर के एक बार फिर उसके गाँव जाते हैं और उसके माता पिता से निन्नी के साथ विवाह के लिये आग्रह करते हैं,,
कौन माता पिता ऐसी बात पर खुश नहीं होंगे,,ग्वाले की बेटी महलों की रानी बनने जा रही थी,,
पर निन्नी ने राजा से कहा,,आप मेरी तीन शर्तें मानेंगे तो ही मैं आपसे विवाह करूंगी,,,
सब भौंचक्के थे,,इतनी हिम्मत एक ग्वालन की,,राजा के सामने शर्तें रख रही है,,पर उसकी निडरता और आत्मविश्वास ने राजा के मन में उसके लिये सम्मान और बढ़ा दिया,,
राजा ने कहा,,तुम निर्भय होकर अपनी बात कहो,,
मेरे लिये अलग महल बनवाया जाये,,मैं अन्य रानियों के साथ नहीं रहूंगी क्योंकि मैं जानती हूँ,,उच्च कुल की न होने के कारण मुझे उनसे सम्मान नहीं मिलेगा और यह मुझे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं है,,
दूसरे मेरे नहाने और पीने के लिये महल में मेरे गाँव राई की सांक नदी के पानी की व्यवस्था की जाये ,,,
तीसरी शर्त यह है कि जब भी आप युद्ध पर जायेंगे,,मैं आपके साथ जाऊँगी,,
राजा ने उसकी सारी शर्तें मान लीं,,और निन्नी ग्वालियर की रानी मृगनयनी बन गई,,राजा ने अपना वादा निभाया,,,
रानी के लिए किले के नीचे गूजरीमहल का निर्माण कराया,,वर्तमान समय में इसे संग्रहालय का रूप दे दिया गया है,,
इस महल में आज भी सांक नदी का पानी आता है,,इसके लिये राजा ने नदी से महल तक अंडरग्राउंड पाइप डलवाये,,
यह थी ग्वालियर के राजा मानसिंह और मृगनयनी की प्रेमकहानी ,,
कमलेश राणा
ग्वालियर