रात के करीब 9 बजे थे। मरघट का माहौल बहुत डरावना था एक तरफ एक औरत को लाश जल रही थी। वही दूसरी तरफ एक कुछ लोग झाड़ियों में कुछ छिपा रहे थे। पता नही कैसा मन था उन लोगो जो जीते जागते जीव को कब्रिस्तान में छोड़ गए। एक तरफ वो रूह तडफ रही थी अपने कलेजे के टुकड़े का ये हाल देख के दिसम्बर का महीना हाड़ कंपाती ठंड। वो जीव ठंड में रो रहा था लेकिन सुनने वाला कोन था।एक हवा उस जीव के नजदीक आई और उस जीव को गोद में उठने के लिए हाथ बढ़ाए तो हाथ हवा में ही रह गए वो रूह अपनी बेबसी पर आंसू बहा रही थी।जब इंसानियत ने दम तोड दिया तो एक मरघट में बैठा काला कुत्ता उस जीव को सूंघता हुआ उसके आस पास लिपट के बैठ गया। थोड़ी से गर्मी और थोड़े से प्यार का अहसास हुआ तो वो जीव सो गया। और उस तड़फती रूह को भी तसल्ली मिली।
अगली सुबह रोते बिलखते कुछ लोग अपनी नन्ही से प्यारी सी बेटी को लेकर दफनाने आए। हर किसी की आंखों में आंसू थे। वो मासूम बच्ची मुठ्ठी बंद करे ऐसे लग रही थी जैसे सो रही हो। बड़े भरी मन से इसके बाप ने उसको दफनाया (हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार छोटे शिशुओ को जलाया नहीं दफनाया जाता है।) ये सब वो काला कुत्ता बैठे हुए देख रहा था। वो आदमी वापस जा ही रहे थे। की वो कुत्ता उस जीव को छोड़ कर भाग कर उन आदमी के पास आया और जोर जोर से भोकने लगा लेकिन आदमी ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और आगे बढ़ता रहा जब उस आदमी ने ध्यान नहीं दिया तो उस कुत्ते ने आगे बढ़ कर उसकी पेंट खींचने पहले तो वो आदमी डर गया लेकिन जब देखा वो काट नहीं रहा खीच रहा है।
तो वो वो आदमी उस कुत्ते के पीछे पीछे चलने लगा वो कुत्ता झाड़ियों के पास आ कर रूक गया और झाड़ियों की तरफ मुंह कर के भौंकने लगा। उन आदमियों में से एक ने झाड़ियों के अंदर जा कर देखा तो एक छोटी सी दुधमुही बच्ची एक कपड़े में लिपटी पड़ी थी।
उन लोगो ने बच्ची को गोद में उठाया तो देखा बच्ची के होठ ठंड से नीले पड़े हुए है चैक करा तो बच्ची की सांसे चल रही थी। मानव शरीर की गर्मी से उस बच्ची ने आंखे खोली और जोर जोर से रोने लगी। एक बेटी को छोड़ के जा रहे थे।
लेकिन भगवान ने दूसरी बेटी को खोली में डाल दिया और एक ही पल में मातम का माहौल खुशी में बदल गया। कुछ लोगों ने कहा पुलिस में दे दो बच्ची को तो उस आदमी ने कहा जो लोग इस नन्ही सी जान को यहां मरने के लिए छोड़ गए क्या वो लेने आयेगे नहीं ना और पुलिस इसको अनाथ आश्रम में भेज देगे। भगवान ने कुछ सोच के ही हमे ये बच्ची दी है अब ये मेरी बेटी है। वही दूसरी तरफ वो रूह भी खुशी और सुकून से अपने जिगर के टुकड़े को जाते देख रही थी।
काव्या शर्मा