Moral stories in hindi : मन्नत के धागे सा तेरे प्यार को मैने अपनी जिंदगी खुशियां और भविष्य के डोर से बांधा था.. अभिनव भले हीं हम एक दूजे के नही हो पाए पर साथ गुजरा वक्त क्या कभी मैं भूल सकती हूं…
तुम्हारी छोटी बहन अंशु और मैं एक हीं क्लास में थे.. इसलिए अक्सर हमारा एक दूसरे के घर आना जाना लगा रहता था.. अभिनव और अनंत अंशु से बड़े थे..
समय गुजरता गया मैं उम्र के उस दौर से गुजर रही थी जब लड़कों के प्रति विशेष आकर्षण सजने सवरने पर ज्यादा ध्यान देना, दुनिया से अलग एक काल्पनिक दुनिया में विचरण लड़कियों के लिए आम बात होती है.. मैं जब भी अंशु से मिलने जाती मुझे लगता छुप छुप कर एक जोड़ी आंखें मुझे देखती रहती है.. मेरी भी नजरें अक्सर तुम्हे ढूंढती रहती..अंशु के बड़े भईया अनंत इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने रुड़की चले गए.. तुम्हे मेडिकल में जाने की इच्छा थी..
अंशु ने बताया छोटे भईया भी दो तीन महीने बाद कोटा चले जायेंगे मेडिकल की कोचिंग के लिए… मेरा चेहरा सफेद पड़ गया.. दिल धक से रह गया.. ओहतुम्हे बिना देखे कैसे रह पाऊंगी…
और पहली बार तुमने मेरा नाम लेकर पुकारा सान्या… जैसे कानों में हजारों घंटियों की मधुर संगीत घुल गया हो..
और पहली बार सत्रह साल की कच्ची उम्र में मैं तुम्हारे साथ पूरे विश्वास से शिव मंदिर के करीब बह रही गंगा के पावन तट पर ले गए.. चपर चपर करने वाली बातूनी सान्या आज बिल्कुल चुप थी.. बस सुन रही थी तुम्हारी बातें.. दिल की गहराइयों में उतर रहे थे शब्द शब्द और मैं निः शब्द तुम्हारे सानिध्य के सम्मोहन में खोई हुई थी.. जब तुमने कहा सान्या तुम भी कुछ बोलो… तुमने वादा किया था मैं डॉक्टर बनकर जब वापस लौटूंगा तुम तब तक मेरा इंतजार करना मां गंगा और शिव जी साक्षी हैं मेरे वादे के.. अपनी दुल्हन बना के ले जाऊंगा.. तुम अपने कैरियर पर पूरा ध्यान देना..
कोटा जाने से पहले हम कई बार मिले..
अभिनव के जाने के बाद जैसे मेरी दुनिया हीं वीरान हो गई थी.. न पढ़ाई में मन लगता ना कुछ और में.. अंशु मेरी स्थिति समझ रही थी.. उसने मुझे बहुत समझाया…
अभिनव नीट क्वालीफाई कर मेडिकल कालेज में एडमिशन ले लिया.. अंशु से मेरी हालत जान मुझे बहुत समझाया..
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धीरे धीरे मैंने भी पढ़ाई पर पूरी तरह से फोकस किया.. अभिनव के छुट्टियों का इंतजार करती..अभिनव और मेरे घर वालों ने मन हीं मन इस रिश्ते की मौन स्वीकृति दे चुके थे..बस अभिनव के ज्वाइनिंग का इंतजार था..खालीपन को भरने के लिए व्यस्त होना भी जरूरी है..
समय अपनी गति से आगे बढ़ता रहा.. मै स्टेट बैंक में पीओ बन गई.. अंशु सीए के फाइनल ईयर में थी… अभिनव के बड़े भईया इंजीनियर बन गए थे.. उनकी शादी भी तय हो गई थी..
अनंत भईया की शादी में आए मेहमान मुझे अर्थपूर्ण दृष्टि से देख रहे थे और मुस्कुरा रहे थे.. और मैं शर्म से इधर उधर छुप रही थी…
गुलाबी रंग का लहंगा मेरे सौंदर्य में चार चांद लगा रहा था.. अभिनव तो जैसे दीवाना हो रहे थे मुझे देखकर…
अंशु भी छेड़ने से बाज नहीं आ रही थी.. मां पापा ने स्नेह भरा हाथ मेरे सर पर रखा.. मां जी ने कहा नजर ना लगे.. मैं अपने भाग्य पर इतरा रही थी..
विडियो कॉल पर अक्सर अभिनव से बात होती थी..
और अभिनव गंगा राम हॉस्पिटल में हार्ट का डॉक्टर बन कर ज्वॉइन किया.. मैं शिव जी के मंदिर में जाकर माथा टेका.. गंगा मां को प्रणाम किया..
अनंत भईया की पत्नी यानी मेरी होने वाली जेठानी का सातवां महीना चल रहा था.. इसलिए शादी का डेट उनके बच्चा होने के बाद तय हुआ..
सच में 27 साल की उम्र में मैं टीनएजर जैसी हो रही थी… अहा अब सच में सारे सपने सच हो रहे थे… शादी से लेकर इंगेजमेंट विदाई तक के ड्रेस और हनीमून डेस्टिनेशन का भी चुनाव अभिनव की राय से कर लिया था..
जिसे प्यार किया वही जीवन साथी बनने वाला था.. अपने किस्मत पर गुमान हो रहा था..
पर वक्त कुछ और खेल खेल रहा था मेरी तकदीर के साथ…
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अनंत भईया का एक्सीडेंट ऑफिस से आते समय हो गया.. तीन दिन कोमा में रहने के बाद वो दुनिया छोड़ गए..
पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा..
इसी गमगीन माहौल में अनंत भईया की पत्नी रोमा ने एक गुड़िया सी बेटी को जन्म दिया.. जीता जागता खिलौना पाकर घर की मनहुसियत थोड़ी कम हुई..
एक साल बाद अभिनव अपने माता पिता के साथ रविवार को अचानक मेरे घर आया.. मैं मम्मी पापा को बुलाने अंदर जाने लगी तभी मां ने मेरा हाथ पकड़ अपने पास बैठा लिया.. मेरा दिल न जाने किसी अनहोनी की आशंका से धड़क उठा..
मां ने आसूं भर कर कहा बेटा गुड़िया और रोमा का इस दुनिया में कोई नहीं है.. मां बाप बचपन में हीं गुजर गए थे.. इसकी मासूमियत और भोलापन देखकर इसके चाचा से इसका हाथ हमने अनंत के लिए मांगा था.. बिन मां की बच्ची को मां का प्यार दूंगी..
आज वही मां तुमसे अभिनव को रोमा से शादी करने के लिए तुमसे आंचल फैला कर मांग रही है.. रोमा और गुड़िया के लिए बेटा और उनकी बातें आंसुओं में डूब गई..
मम्मी पापा के बहुत आग्रह पर पैंतीस साल के उम्र में मैने एक बच्चे के पिता आकाश से शादी कर ली…सब कुछ जानते हुए आकाश ने मुझे स्वीकार किया.. मेरी परवा करते हैं आकाश पांच साल का सेतु भी मुझसे लगा रहता है.. घर से बैंक यही मेरी जिंदगी है.. आज भी मन से मैं अभिनव की हीं हूं.. यादें कभी रुलाती कभी बहलाती हैं…सांसों की डोर जब तक ना टूटे बस यूं हीं जिंदगी चलती रहेगी…पर ये भी सच है छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए…
#स्वलिखित सर्वाधिकार सुरक्षित #
Veena singh ✍️
#आंखें चार होना