मनमुटाव – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

 केशव और मैं आज अजनवी से एक दूसरे से व्यवहार कर रहे हैं… कहां गया हमारा प्यार…एक दूसरे से किए वादे… ओह छोटी छोटी बातें #मनमुटाव #का ऐसा रूप ले लेगी सोचा न था….

शादी के तीन साल कैसे गुजर गए पता हीं नहीं चला… कॉलेज के टाइम से हीं हम दोनो एक दूसरे को पसंद करते थे.. हमारी जोड़ी कॉलेज में बेहद लोकप्रिय थी… डिबेट में अपने कॉलेज का प्रतिनिधित्व करना हो या स्पोर्ट्स हो कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम हो केशव और मृगा का नाम सबसे पहले पुकारा जाता.. किसी कार्यक्रम में एंकरिंग करना हो तो केशव और मृगा.…

छह फुट का लंबा खूबसूरत केशव जब गोरी चिठ्ठी कमर तक जुलते बालों की चोटी वाली प्यारी सी मृगा एक साथ चलते तो लगता भगवान ने खुद अपने हाथों से ये जोड़ी फुरसत से बनाया है.…

वक्त गुजरता गया… कॉलेज की पढ़ाई खतम कर केशव प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए दिल्ली चला गया… मृगा ने भी अपने पेरेंट्स से एक साल का वक्त मांगा तैयारी के लिए…

मृगा नेट क्वालीफाई कर ली…. केशव भी जी जान लगाकर तैयारी कर रहा था… क्योंकि मृगा ने उसे बताया था मेरे पेरेंट्स बिना किसी आधार के लंबे टाइम तक शादी टाल नहीं सकते हैं… वक्त गुजरता रहा… मृगा स्थानीय कॉलेज में व्याख्याता बन गई… केशव इनकम टैक्स ऑफिसर बन गया…

केशव के पेरेंट्स उस मानसिकता और सोच के थे जिनके दरवाजे पर केशव की नौकरी के बाद लड़की वालों की लाइन लगती….. फोटो की लाइन लगती.. रिजेक्ट करते… दहेज का मोल भाव करते….. डुप्लेक्स की उम्मीद थी… कैश के अलावा.…मुहल्ले में रिश्तेदारों में रोब जमाते…. पर केशव उनके मंसूबे पर पानी फेरने की तैयारी में था… मृगा ने साफ साफ कह दिया था केशव पापा बैंक में क्लर्क की नौकरी से रिटायर्ड हुए है… लोन पर फ्लैट लिए हैं… छोटा भाई अभी तैयारी कर रहा है… दादा दादी की जिम्मेदारी रिश्तेदारी में शादी से लेकर मरनी तक पापा को हीं देखना है.. बुआ की शादी चाचा की शादी करने के बाद उनके पास इतने पैसे नही हैं की मुझे दहेज दे कर शादी करे.. इसलिए ये उम्मीद मत रखना.. केशव मृगा को आश्वस्त किया ऐसा बिलकुल नही होगा.. तुम्हारे जैसी बहु पाकर वो धन्य हो जायेंगे…

ट्रेनिंग के बाद केशव घर आया.. अगले दिन से हीं जिन लड़की वालों को केशव के पिता ने टाइम दिया था केशव को देखने के लिए आने लगे…

केशव स्तब्ध रह गया… अकेले में केशव अपने पेरेंट्स से स्पष्ट रूप से मृगा से शादी की बात की… अगर आप लोग सहमत हैं तो ठीक है वरना कोर्ट मैरिज कर लेंगे… केशव के पेरेंट्स के उपर जैसे आसमान टूट पड़ा हो… उन्होंने साफ इंकार कर दिया… मां चिल्ला चिल्ला कर रोने लगी… इसी दिन के लिए पैदा किया पढ़ाया लिखाया अफसर बनाया… फल खाने का समय आया तो ….. मेरे तो करम हीं फूट गए… इससे अच्छा मैं निपुत्र हीं रहती … पिताजी के डुप्लेक्स नकद और बड़ी गाड़ी के सपने टूट कर धरासायी हो गए…

मृगा के घरवाले आखिरी कोशिश करने केशव के घर गए… मृगा भी कमा रही है… उन्हे बुरी तरह से बेइज्जत कर के घर से भेजा… बेटी को लड़के फसाने के गुण मां बाप ने हीं दिए हैं. छी ऐसे संस्कार तुमलोगो ने बेटी को दिए हो.…

मृगा के परिवारवाले और केशव के दोस्तों की उपस्थिति में कोर्ट में दोनो ने शादी कर ली.. मृगा और उसके घरवालों के बहुत कहने पर दोनो आशीर्वाद लेने घर गए… बाहर से हीं उन्हें उल्टे पांव लौटा दिया… तुम मर चुके हो हमारे लिए….

 

कुछ दिनों बाद मृगा का ट्रांसफर भी वहीं हो गया जहां केशव की पोस्टिंग थी… दोनो की जिंदगी बहुत मजे में कट रही थी… छुट्टियां होती तो दोनो कहीं घूमने निकल जाते.  

  केशव और मृगा ने एक फ्लैट बुक किया… छः महीने बाद फ्लैट हैंडओवर हुआ… मृगा ने गृहप्रवेश में केशव से उसके पेरेंट्स को बुलाने के लिए बहुत फोर्स किया… पर परिणाम वही ढाक के तीन पात…. नही आए…

केशव ने मृगा से कहा हमारी शादी के तीन साल होने वाले हैं अब हमे माता पिता बनने के लिए सोचना चाहिए… मृगा का कहना था तुम्हारे पेरेंट्स की नाराजगी खतम हो जाए तब…. केशव ने कहा देख लो वो शायद हीं अपनी जिद्द और नाराजगी छोड़े

 इसी बीच केशव के पिता को दिल का दौरा पड़ा… पड़ोसी ने फोन किया… दोनों भागते हुए पहुंचे… मृगा की सास ने मृगा को हीं दिल के दौरे की वजह बताई… मृगा और केशव पांच दिन हॉस्पिटल में पारी पारी से रहते.. छठे दिन डिस्चार्ज हो कर घर आ गए… मृगा ने केशव से एक दिन के लिए अपने घर जाने की इजाजत मांगी… और इसी एक दिन में केशव की मां और पिता ने केशव को क्या पट्टी पढ़ाई… मृगा के वापस आने पर उसके व्यवहार की बेरुखी देख मृगा असमंजस में पड़ गई…

नही मुझे केशव से बात करनी होगी… इस #मनमुटाव #की वजह जानना होगा… और मृगा केशव को जबरदस्ती उपर कमरे में ले गई… मां पिताजी चिल्लाते रह गए…

बहुत पूछने पर केशव ने बताया मां ने मुझे कसम दी है पर… उन्होंने ने कहा मृगा कभी मां नही बन सकती ये मृगा ने मुझे खुद बताया है.. इसलिए वो तुमसे झूठ बोल रही थी की तुम्हारे पेरेंट्स मान जायेंगे तब… शादी कर ली पर बच्चा पैदा करने के लिए हमारी सहमति… तुम खुद सोचो…

मृगा तुमने मुझसे कहा होता हमलोग बच्चा अडॉप्ट कर लेते… हमारा प्यार इतना कमजोर तो नहीं था.. मृगा हतप्रध रह गई.. मृगा ने कहा एक बार तुमने मुझसे पूछा होता केशव! खैर चलते हैं शाम को डॉक्टर के पास… मैने परसों की टिकट तुम्हारे पेरेंट्स की भी ले ली है साथ ले जाने के लिए…

पर अब कैंसिल करवाना होगा उन दोनो का टिकट. …. मुझे तो शर्म आ रही है केशव… वो डिजर्व नही करते मान सम्मान….. अब मैं कभी यहां नही आऊंगी केशव रोते रोते मृगा ने कहा… केशव मृगा को बाहों में ले कर उसके माथे पर स्नेह चिन्ह अंकित करते हुए कहा मुझे माफ कर दो मृगा….. अब दुबारा मैं ऐसा कभी मौका नहीं दूंगा… कान पकड़े केशव को देख मुस्कुरा पड़ी मृगा.. एक बार फिर सेबरसात के बाद जैसे घने बादलों को चीरता हुआ सूर्य चमक उठा विश्वाश का प्यार का…

 

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Veena singh

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