निकिता और राज की शादी बहुत धूमधाम से सम्पन्न हुई , निकिता दुल्हन बनकर ससुराल आ गई , ससुराल में निकिता का भव्य स्वागत किया गया। निकिता की खूबसूरती के चर्चे हर कोई कर रहा था , राज अपनी बीवी की तारीफ़ सुन फुले नहीं समां रहा था।
निकिता की ससुराल में सास ससुर नहीं थे लेकिन उनकी जगह राज के बड़े भाई विकास और भाभी तपस्या थे , राज के भैया भाभी ने ही राज को पाल पोस कर बड़ा किया था।
निकिता ने हज़ार सपने सजा कर रखे थे कि औरों की तरह राज भी उसकी खूबसूरती के कसीदे पढ़ेगा।दोस्तों और रिश्तेदारों से फ़ारिग़ होकर राज जब निकिता के कमरे में आया
तो उसने निकिता का घूंघट उठा कर उसका हाथ अपने हाथ में लेते हुआ कहा “निकिता आज हम एक सात जन्मों के बंधन में बंध गए हैं लेकिन आज मैं तुमसे एक वादा चाहता हूँ “.
हाँ राज, बोलिये ,निकिता ने शरमाते हुए कहा।
निकिता तुम तो जानती हो , मेरे माँ पिता बहुत पहले गुज़र गए थे ,,उनके जाने के वक़्त मैं बहुत छोटा था लेकिन भैया मुझसे उम्र में काफी बड़े थे तो माँ पिता के सामने ही उनकी शादी हो गई थी , भाभी ने जहाँ पूरा घर संभाला वही उन्होंने माँ पिता जी के जाने के बाद मुझे अपने बेटे की तरह ही पाला है ,
वो ख़ुद माँ नहीं बनी क्योंकि वो मुझे ही अपना बेटा मान चुकी थी , इसलिए मैं तुमसे चाहता हूँ कि तुम मेरी भाभी माँ को मेरी ही तरह माँ समझो और भैया को पिता। इससे ज़्यादा मैं तुमसे कुछ नहीं चाहता।
ठीक है , जैसा आप कहें , निकिता ने राज का हाथ थामकर कहा तो राज भी निश्चिन्त हो गया।
कुछ दिन मेहमानों और रस्मों में बीत गए , मेहमानों के चले जाने के बाद निकिता की गृहस्थी शुरू हो गई।
निकिता , राज को आज राजमा चावल खाना है , राजमा मैंने भिगो दिए थे , तुम रोटी और चावल बना लो , राजमा मैं ही बनाउंगी क्योंकि राज को मेरे हाथ के राजमा ही पसंद हैं , राज की भाभी माँ तपस्या बोली।
जी , निकिता ने अनमने मन से सिर्फ इतना ही कहा लेकिन रोज़ रोज़ भाभी का राज के सारे काम ख़ुद करना, निकिता को पसंद नहीं आ रहा था।
राज भी हर रोज़ दफ़्तर से आने के बाद सीधा पहले भैया भाभी के कमरे में जाता, वहां उनसे घंटों बातें करता , निकिता से कहकर तीनो की चाय भी वही मंगा लेता और निकिता इंतज़ार में ही बैठी रहती कि राज कब कमरे में आये और उसे भी वक़्त दे।
कमरे में आते ही राज लैपटॉप में काम करने लगता , हालंकि वो बीच बीच में निकिता से बात करते रहता लेकिन निकिता को वो समय नहीं दे पाता जो निकिता चाहती थी। इतने में रात के खाने का वक़्त हो जाता , तपस्या भाभी खाना ख़ुद ही बनाती , निकिता को रोटी बनाना और बर्तन डाइनिंग पर लगाना सौंप देती।
डाइनिंग पर भी तपस्या भाभी राज को बच्चों की तरह खाना खिलाती , इस बीच निकिता का कलेजा मुंह को आ जाता पर वो चुप रहती।
एक दिन राज के सर में बहुत दर्द था , निकिता राज के लिए रसोई घर में चाय बनाने गई , चाय बनाकर निकिता अपने कमरे में जा ही रही थी कि भाभी ने उसे रोककर पूछा “क्या बात है निकिता , इस वक़्त चाय “
जी भाभी , वो राज के सर में आज बहुत दर्द है तो मैं उनके लिए चाय ले जा रही हूँ।
क्या राज के सर में दर्द है और किसी ने मुझे बताया तक नहीं , और चाय में तुलसी अदरक डाला कि नहीं तुमने , या सादी चीनी पत्ती वाली चाय बना दी , ऐसी चाय से सर दर्द नहीं निकलेगा , तपस्या ने एक तरह से निकिता को डांटते हुए कहा।
लाओ ये चाय , मैं ख़ुद दूसरी चाय बना कर लाती हूँ अपने बेटे के लिए।
उसके हाथ से तपस्या भाभी ने चाय लेते हुए कहा और रसोई की तरफ़ बढ़ गई।
निकिता को ग़ुस्सा तो बहुत आया लेकिन वो कड़वे घूंट पी गई और कमरे की तरफ़ बढ़ गई।
ये क्या कर रही हो अब तुम , हटो ये बाम मैं राज के सर में लगा देती हूँ , कहीं तुमसे गलती से आँख में लग गया तो और मुश्किल हो जाएगी , चाय का कप हाथ में लेकर आती हुए तपस्या भाभी ने निकिता को राज के सर पर बाम लगाते देख कहा।
उन्होंने निकिता के हाथ से बाम लिया और ख़ुद लगाने लगी।
अब निकिता के बर्दाश्त के बाहर बात हो रही थी , निकिता के दिल में भाभी के प्रति मनमुटाव जन्म ले चुका था।
उस दिन के बाद से निकिता तपस्या भाभी को राज का हर काम करने से रोकने लगी , रसोई में भी एक दिन निकिता ने भाभी से कह दिया कि “भाभी अब राज मेरे पति हैं , उनके लिए खाना बनाने का अधिकार मेरा है , आप चिंता न करा करें , मैं उनका ध्यान ख़ुद रख सकती हूँ।
दफ़्तर से आने के बाद निकिता राज को हाथ पकड़कर सीधे अपने कमरे में ले जाती।
भैया और भाभी दोनों निकिता के इस बर्ताव को महसूस तो कर रहे थे लेकिन चुप थे.
निकिता और तपस्या के बीच मनमुटाव बढ़ता ही जा रहा था जिसकी वजह से घर का माहौल भी ख़राब होने लगा था , जहाँ एक तरफ तपस्या राज को बचपन से पालने की बात कहती वही दूसरी तरफ़ निकिता राज की धर्मपत्नी होने का दम भरती।
राज भी अब धीरे धीरे पत्नी की सुनने लगा था , उसे भी लगने लगा था कि पत्नी को पति पर सारे अधिकार होने चाहिए जो निकिता को दिए ही नहीं गए , इसलिए अब वो निकिता से ही खाना बनाने , उसके लिए चाय बनाने के लिए कहने लगा।
घर में मनमुटाव बढ़ता जा रहा था , इस मनमुटाव से दूर होने के लिए राज ने एक निर्णय लिया।
अगली सुबह राज ने सबको बैठाकर कहा कि उसने ऑफिस के पास ही एक फ्लैट ले लिया है , अब वो निकिता वही रहेंगे , अगले हफ्ते शिफ्ट करना है , इस बात को सुनकर जहाँ निकिता ख़ुशी से उछल पड़ी वही दूसरी और भाभी राज का मुंह तकती रह गई।
इतना कहकर राज और निकिता अपने कमरे में चले गए।
तपस्या भाभी अपने कमरे में आकर फूट फूट कर रो दी , “मैंने अपने प्यार में क्या कमी कर दी थी जो मेरा बेटा मुझे छोड़कर जा रहा है , वो कल की आई लड़की उसकी सब कुछ हो गई और मैं उसकी भाभी माँ कुछ नहीं रही ” तपस्या रोते रोते अपने पति से बोली।
शायद तुम भूल रही हो निकिता राज की बीवी है , भले से वो कल आई हो लेकिन अब राज की अर्धांगिनी है और आज तक तुम इस सच्चाई को स्वीकार नहीं कर पाई हो और तुमने प्यार में कमी नहीं की तुमने तो प्यार में अति कर दी और अति हर चीज़ की बुरी होती है।
तुम आज भी राज को वही छोटा बच्चा समझती हो जिसे तुमने पाला लेकिन अब राज की शादी हो चुकी है , तुम निकिता को उसका कोई काम नहीं करने देती हो ,राज को एक छोटे बच्चे की तरह आज भी ट्रीट करती हो , कोई पत्नी ये कभी बर्दाश्त नहीं करेगी और ये बताओ जब माँ ज़िंदा थी
तो क्या उन्होंने तुम्हारे आने के बाद तुम्हें मेरे काम करने से रोका , नहीं न तो फिर तुम राज के काम निकिता को क्यों नहीं करने देती थी. निकिता के दिल में तुम्हारे लिए मनमुटाव की वजह तुम्हारा ही रव्वैया है।
माना कि तुमने राज को अपने बच्चे की तरह पाला, ख़ुद माँ नहीं बनी कि उसका प्यार न बंटे लेकिन हर बात की एक सीमा होती है ,सीमा से बढ़कर कुछ करोगे तो यही होगा।
आज निकिता तुम्हारी इज़्ज़त नहीं करती क्योंकि तुम उसे राज की बीवी होने की इज़्ज़त नहीं दे पाई , तुमने उसे कभी राज के लिए खाना तक नहीं बनाने दिया अरे यहाँ तक कि राज के सर पर बाम तक तुमने नहीं लगाने दिया।
निकिता तुम्हारी इज़्ज़त तब करती जब तुम उसे भी अपनी बेटी समझती। राज को तुमने पाला पोसा इस के ली ज़िंदगी भर निकिता तुम्हारा अहसान मानती लेकिन कोई भी पत्नी अपनी शादीशुदा ज़िंदगी में किसी की भी इतनी दख़लअंदाज़ी बर्दाश्त नहीं करेगी। तपस्या के पति विकास ने पत्नी को समझाते हुए कहा।
तपस्या को अपनी गलती का अहसास हुआ और वो निकिता और राज के कमरे की तरफ़ चल पड़ी। विकास भी पत्नी के पीछे पीछे आ गया।
निकिता मुझे माफ़ कर दो , मैंने तुम्हारे हक़ पूरे नहीं होने दिए , राज को बच्चा ही समझती रही और ये समझती रही कि मेरे अलावा और कोई उसका ध्यान रख ही नहीं सकता ,उसकी बीवी भी नहीं।
मैं ममता में इस क़दर अंधी हो गई थी कि मुझे तुम्हारे अधिकार दिखाई ही नहीं दिए , आज तुम्हारे भैया ने मुझे मेरी गलतियों का अहसास कराया है।
मैं तुम दोनों से हाथ जोड़कर माफ़ी मांगती हूँ और निकिता तुम मेरे लिए दिल से मनमुटाव की भावना निकाल दो , इस तरह रिश्ते नहीं तोड़े जाते न रिश्तों से नाराज़ होकर दूर जाया जाता है , तपस्या ने निकिता के आगे हाथ जोड़ दिये।
अरे भाभी ये आप क्या कर रही हैं , आप तो हमारी भाभी माँ हैं ,आपका ही त्याग और प्रेम है जो मुझे इतना संस्कारी और परफेक्ट इंसान पति के रूप में मिला है, हाँ कुछ देर के लिए मेरे दिल में आपके लिए ग़ुस्सा आ गया था लेकिन आज आप के आंसुओं ने उस ग़ुस्से को पूरी तरह धो दिया है ,
अब मेरे दिल में आपके लिए कोई मनमुटाव जैसी भावना नहीं है। मैं समझ सकती हूँ कि आप ममता की हद तक राज के साथ भावनात्मक रूप से जुडी हैं,इसलिए आप मुझ पर भरोसा नहीं कर पाई कि मैं भी राज का ध्यान रख सकती हूँ।
तो क्या तुमने मुझे माफ़ कर दिया, तपस्या उत्सुकता में निकिता से बोली।
भाभी आप हमारी बड़ी हैं , हमारे आगे हाथ जोड़ते अच्छी नहीं लगती , आप के हाथ हमें आशीर्वाद देने के लिए उठने चाहिए , हमारे आगे जोड़ने के लिए नहीं, निकिता ने तपस्या के हाथों को अपने सर पर रखते हुए कहा।
तो क्या अब तुम दोनों ये घर छोड़कर नहीं जाओगे न , मेरे दोनों बच्चे मेरे साथ मेरे पास रहेंगे न. तपस्या रोते हुए बोली।
बिलकुल नहीं जायेंगे लेकिन एक शर्त पर कि मुझे भी आपसे वो ही प्यार चाहिए जो आप राज से करती हैं क्योंकि आप सिर्फ राज की ही नहीं मेरी भी भाभी माँ हैं।
निकिता तपस्या के गले लगते हुए बोली।
अरे भाभी माँ , बेटी मिल जाने से इस बेटे को न भूल जाना , आपका ये बेटा राजमा आपके हाथ का बना ही खायेगा। राज ने माहौल को हल्का करने के लिए मज़ाक करते हुए कहा तो सभी हंसने लगे।
विकास ने आज जो कुछ अपनी पत्नी तपस्या को समझाया उसकी वजह से आज एक घर के लोग दो घरों के लोग होने से बच गए। निकिता के दिल से तपस्या के लिए सरे गीले शिकवे सारा ,मनमुटाव मिट गया और परिवार में फिर से खुशियां लौट आई।
Shanaya Ahem
#मनमुटाव