तेजस्विनी, जल्दी जल्दी बैग पैक कर रही थी!
उसके दोनों बच्चे, आपस में मस्ती कर रहे थे! चट की आवाज,
क्या हुआ, तेजस्विनी ने आवाज की ओर मुहं करके पूछा,
सन्नाटा,
बाहर जाकर देखने को उद्दत हुई, तभी बडी बेटी भागती हुई उसके पास आयी, और अलमारी के कोने में छुपकर बैठ गयी, घुटने में मुहं छुपाकर, क्या हुआ,तेजस्विनी ने पूछा,,भाई को थप्पड़ जोर, डरते डरते अधूरा सा वाक्य, तो उसमें छुपने जैसा क्या,
वो ढूँढ लेगा, तेजस्विनी हंसते हुए बोली,
पुलिस वाली का बेटा है, और मै,,,
अधूरा सवाल,
तेजस्विनी को सिहरन हो गयी,
वो वही धम से बैठ गयी, क्या समय आ गया उसके सवालों के जबाब देने का,
शायद, बेटी की तरफ देखा वो अब भी वैसे ही बैठी है, जैसे बचपन में उससे छुपती थी!
अठारह की होने आ गयी बचपना अभी भी है,
उसे हंसी आ गयी!
माँ दीदी है क्या, वहाँ “
अंदर आओ ,थोड़ा सख्ती से बोली, तेजस्विनी,
बेटा अंदर आ गया, बहन पर नजर पडते ही, उसकी तरफ लपका, वैदांत स्टाप, ये सब क्या है,
अपनी बडी बहन पर हाथ उठाते हो,
माँ पहले दीदी ने ही जोर का थप्पड़ मारा, कुछ तो तुमने किया होगा, वैदांत चुप, हो गया, !
खनक यहाँ आओ उठो वहाँ से, खनक चुपचाप भाई के बगल आकर खडी हो गयी!
दोनों सिर झुकाकर अपराधी जैसे खडे थे!
आंखों ही आंखों में एक दूसरे को देख लेने की धमकी, तेजस्विनी को साफ नजर आ रही थी!
वैदांत दीदी से माफी मांगो, पर माँ मै क्यूँ,
दीदी ने तो “”””
जितना बोलू उतना करो,
साॅरी दीदी, अनमने मन से वैदांत बोला,
अपनी जीत पर खनक, मुस्कुराई,
चलो खनक, वैदांत को गले लगाकर, फ्रेडशिप की पहल करो”
खनक आगे बढकर गले लगाकर, उसके गाल खीचकर बोली,
मेरा गोलू मोलू भाई, दीदी, माँ देखो न दीदी फिर,
खनक ने फिर से उसे बाहों में कैद कर लिया, मेरा भाई”
दोनों हंसते हुए बाहर निकल गये!
कितना हल्का हो गया महौल,
काश बडे भी ऐसे एक दूसरे से लडते और एक हो जाते तो “
कानून जैसी कोई चीज नही होती,!
कोर्ट कचहरी के चक्कर में कितनी जिंदगियां तबाह होती है!
लम्बी सांस भरते हुए तेजस्विनी, बडबडाई”
बाकी समान पैक कर, सोचने लगी कुछ छूट तो नही गया!
कल खनक को पूना जाना है, पहली बार उससे दूर जाऐगी, आगे की पढाई के लिए जाना ही होगा, उसे,
छोटी के सपने है खनक में,
छोटी काश उस समय वो कदम न उठाती,
तो आज जिंदगी कितनी आसान होती,
बडबडाई तेजस्विनी, चलो जो हुआ मातारानी की इच्छा,
आगे माता रानी रक्षा करे,
तेजस्विनी पंलग पर लेट गयी, नींद कोशो दूर थी उसकी आँखों से, मानसपटल पर स्मृतियों ने कब्जा कर लिया!
दोनों बहनों में दो साल का फर्क, तेजस्विनी हमेशा माँ जैसी थी छोटी के लिए, छोटी मे चंचलता, तेजस्विनी में गंभीरता,
पिताजी ने बराबर का प्यार दिया दोनों को, माँ ने संस्कार,
विपिन ने शादी से पहले तेजस्विनी से मिलने चुपके से आया था!
और फिर कुछ दिनों में शादी पक्की, धूमधाम से विवाह सपन्न हो गया, सब नया था! तेजस्विनी के लिए, पर उसने सब सम्भाल लिया, आगे पढना चाहती थी पर नयी गृहस्थी समय का अभाव, अल्पकाल के लिए पढाई रोक दी गयी!
कुछ ही दिन ही गुजरे थे की खुशखबरी थी की तेजस्विनी माँ बनने वाली थी!
उसे छोटी की याद बहुत आती थी! और उसके बगैर छोटी भी उदास रहने लगी थी!
पहली सालगिरह साप्राईज, के रूप में छोटी को लाये थे विपिन,
तेजस्विनी खुशी से झूम उठी थी!
इस समय उसे छोटी के सहारे की जरूरत भी थी!
समय चक्र तेजी से बढ रहा था!
एक दिन अचानक से दर्द से चीख उठी तेजस्विनी, पूरे घर में अफरा तफरी मच गयी!
अखिर नन्हा मुन्ना आने वाला था!
हास्पिटल जाते समय छोटी साथ थी! आपरेशन थिएटर में ले जाते समय उसकी आँखों में आंसुओं का वेग दिखाई दे रहा था!
अखिर बच्चे को डाॅक्टर बचा न पाये,
इस स्थिति मे छोटी ही दिन रात तेजस्विनी के साथ थी!
डाॅक्टर ने साफ बोल दिया था की अब तेजस्विनी माँ नही बन सकती, बस कोई चमत्कार ही उसकी कोख भर सकता है!
विपिन भी अब तेजस्विनी से खीचा रहने लगा “
तेजस्विनी को दवा देकर, छोटी स्वीच बंद कर तेजस्विनी के पास ही सो गयी’
सुबह छोटी की आंख खुली तो तेजस्विनी नजर न आयी,
वो शायद बाथरूम में थी!
छोटी ने कपड़े चेंज करने का सोचा, दरवाजा अंदर से लाॅक कर लिया!
अभी वो मुडी ही थी की बाथरूम का दरवाजा खुला, और विपिन टाॅवेल मे उसके सामने खड़ा था!
छोटी पर नजर पडते ही वापस पलट गया!
पर छोटी के मन में विपिन के लिए, एक चाह जाग गयी थी!
अब विपिन भी उसको चोरी छुपे देखने लगा था!
तेजस्विनी के बहाने दिनभर कमरे में रहने लगा था!, पता नही कब कैसे दोनों में प्यार पनपा और नजदीक आ गए,
एक दिन छोटी को दर्द हुआ और वो तडप उठी “विपिन घर पर न थे! तेजस्विनी को हास्पिटल ले जाना पडा!
डाॅक्टर के बोलते ही, तेजस्विनी की आंखों के आगे अंधेरा छा गया!
छोटी प्रेग्नेंट है, पर कैसे, वो छोटी के पास आयी!
छोटी सच बता ये सब कैसे हुआ!दीदी मै विपिन जी से प्यार करती हूँ और वो भी, एक जोर का चांटा छोटी के गाल पर जड दिया था तेजस्विनी ने, मेरा संसार बर्बाद कर दिया छोटी तूने. कौन सा संसार रोते हुए बोली छोटी, आप जानते हो आपको अब वेवी नही हो सकता घर वाले विपिन जी की दूसरी शादी करने जा रहे हैं!
मै आपको ये वेवी देकर आपकी जिंदगी से चली जाऊंगी, तू पागल है छोटी, मेरी जिंदगी तो पहले ही, और अब तूने खुद की,
विपिन ने रूम में कदम रखा!
दोनों बहनें गले लगकर रो रही थी! विपिन जाने को पलटा, तेजस्विनी ने उसका हाथ पकड़ लिया, विपिन रूको, विपिन ठिठक गया! अब अपनी जबाब दारी से मुहं मत मोडो,
तेजस्विनी हाथ जोड़कर बोला विपिन, मै तुम्हारा गुनाहगार हूँ!
पर मै पता नहीं कैसे छोटी से प्यार कर बैठा तुम जो फैसला लोगी, मुझे मंजूर है!
मै छोटी को अपनाना चाहता हूं! पर हम तीनों आलावा किसी को ये बात पता नही चलनी चहिए, अगले दिन ही तेजस्विनी ने अपनी पढाई के लिए घर में बगावत कर ली और साथ दिया विपिन ने, एक हप्ते के अंदर ही विपिन के साथ तेजस्विनी ने,
घर छोड़ दिया!
और एक छोटे से किराये के रूम मे रहने आ गये! कुछ ही दिनो मे चोरी छुपे तीन लोगों की मौजूदगी में विपिन छोटी ने एकदूसरे को मंदिर मे भगवान को साक्षी बना वरमाला पहना दी”
तेजस्विनी अपनी पढाई में मशगूल हो गयी, पर कभी कभी विपिन और छोटी को एक साथ देखकर, मन खिन्न हो जाता, पर समय बलवान, पिता जी कई बार छोटी को लेने आ चुके थे!
पर हर बार तेजस्विनी बहाना कर देती”
वो समय आ गया जब ससुराल संदेश पहुंचा की विपिन के घर बेटी हुई, सब आवाक ऐसे कैसे चमत्कार हुआ!
पर किसी की पूछने की हिम्मत न हुई,
इधर कुछ दिनों से छोटी की तबियत खराब रहने लगी, शायद उसे ग्लानि या बोध था!
उसे रक्तअलपता से खून की कमी हो गयी, और सिढियो से गिर जाने की वजह से , वो बच न सकी बस अखिरी शब्द थे! विपिन और खनक आपके है दीदी और रहेंगे!!!
नम आँखों को पोछा तेजस्विनी ने, और विचार को झटक दिया,
छोटी के जाने के बाद विपिन पागल सा हो गया था कितना सघर्ष भरा समय था!
विपिन बच्ची, नौकरी, और छोटी का गम,
धीरे धीरे विपिन फिर तेजस्विनी के करीब आ गया, फिर एक चमत्कार, वैदांत उसकी गोदी जिसका श्रेय तेजस्विनी खनक को देती है! वो उसकी किस्मत का भाई है! आज सब ठीक है! तेजस्विनी का मान सम्मान है, बस कमी सिर्फ छोटी की है! विपिन की और उसकी खुद की जिंदगी में, पर दोनों बहनों के मन में एकदूसरे का प्रेम स्नेह समझने की अटूटता ही तेजस्विनी के मन को सरोवर बनाती है!
रीमा महेंद्र ठाकुर सहित्य संयोजक “
राणापुर झाबुआ मध्यप्रदेश