मन का रिश्ता – सुनीता माथुर : Moral Stories in Hindi

आज अभिनव और सोनाक्षी बैठे हुए सोच रहे थे कितना समय निकल गया पूरी जिंदगी अपने परिवार की तरफ ध्यान दिया कभी अपने भाई के कभी बहन के बच्चों के ऊपर पैसा खर्च किया तो कभी उनको पढ़ाया लिखाया लेकिन बस एक ही कमी रही कि उनके कोई बच्चा नहीं हुआ आज अभिनव इंजीनियर पोस्ट से रिटायर्ड हुए हैं, कमरे में बैठे हुए दोनों पति पत्नी सोच रहे हैं कितना अकेलापन लग रहा है ,

अपने भाई बहनों के बच्चों के लिए खूब किया उनके संग समय बिताया आज वही सब बाहर अपनी अपनी नौकरी में और अपने घर गृहस्ती में व्यस्त हो गए शायद वह तो अपने माता-पिता  को भी नहीं पूछ पा रहे तो हमें क्या पूछेंगे ,बस यही सोचते सोचते दोनों एक दम अकेला महसूस करने लगे इतनी बड़ी  आलीशान कोठी जिसमें हमेशा रौनक बनी रहती थी कभी भाई भाभी आकर ठहरते  उनके बच्चों की किलकारियां  ऊधम बाजियां देखकर मन खुश हो जाता था , किसी को कोई कमी होती थी

तो हमेशा अभिनव और सोनाक्षी पैसों से और मन से भी उनकी मदद करते थे दोनों ही स्वस्थ थे सभी की मदद करने में आगे रहते थे इसीलिए शायद परिवार के सभी लोगों के चहेते थे और इसीलिए  उनका घर कभी खाली नहीं रहा लेकिन आज एकदम अकेलापन लगने लगा शायद हमारा भी कोई बच्चा होता यही सोचते सोचते रात बहुत बीत गई और दोनों सो गए जब सुबह उठे तो वही चिड़ियों की चहचहाट ,बगीचे में गिलहरियों का दौड़ना और पेड़ों पर चढ़ना तो कहीं बिल्लीयों का दौड़ना दिखाई दिया तो कहीं कबूतर दाना मिलने के इंतजार में बैठे हुए नजर आए ,यह नजारा देखकर अभिनव और सोनाक्षी दोनों का ही मन प्रसन्न हो गया।

उगता सूरज अपनी लालिमा बिखेर रहा था नई सुबह   की रोशनी बिखरी हुई थी यही सब देखते हुए  दोनों पति-पत्नी के मुंह पर मुस्कुराहट आ गई और दोनों ही अपने अपने काम में व्यस्त हो गए अभिनव एक्सरसाइज और योगा करने लगे सोनाक्षी उनको चाय बना कर देने लगी और सभी चिड़ियों , कबूतरों ,पशु पक्षियों को दाना पानी रखने की व्यवस्था में लग गई।

सुबह की पूजा पाठ कर तुलसी को जल चढ़ाकर जब सोनाक्षी अपने कमरे में जाने लगी कि तभी घंटी बजी शायद काम करने वाली मेड आई होगी , लेकिन देखा एक छोटी सी फैमिली थी पति-पत्नी और उनकी एक छोटी सी  बेटी साथ में थी , सोनाक्षी ने पूछा आप कौन हैं ?  आपको किससे  मिलना है उन्होंने बोला हमें मकान किराए पर चाहिए अभी-अभी इस शहर में नए आए हैं और किसी फैमिली वाले के साथ रहना चाहते हैं पहले तो सोनाक्षी और अभिनव खुश हो गये कि इतना बड़ा मकान खाली पड़ा है, लेकिन मन में डर भी था कि कहीं अजनबी लोगों को एकदम मकान कैसे दे देते।    

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अभिनव ने दोनों को बिठाया और आपस में परिचय किया वह लड़का 25 -26 साल के करीब लग रहा था बोला मेरा नाम अनुराग है और मेरी पत्नी मीनल और मेरी बेटी आध्या चार साल की है ,थोड़ा सोच कर फिर अनुराग बोला मैं अपने परिवार का अकेला लड़का हूं लेकिन मेरे माता-पिता दोनों ही नहीं हैं

जब मैं पैदा हुआ था तभी मेरी मां नहीं रही थीं लेकिन मेरे पापा ने मुझे मां और पापा का दोनों का प्यार दिया और पिछले साल उनका भी हार्ट अटैक हो गया अब मैं बिल्कुल अकेला हूं मेरी पत्नी मीनल के माता-पिता हैं कभी-कभी उनके पास हम जाते हैं इसलिए हम चाहते हैं आप जैसे माता-पिता के सानिध्य में हम रहें ताकि हमारी छोटी सी बच्ची को  दादा-दादी का प्यार तो मिले। आध्या भी इतनी प्यारी बच्ची थी कि सोनाक्षी की गोद में बैठ गई और दोनों से ही दादा-दादी कहकर प्यार से बातें करने लगी।

अभिनव और सोनाक्षी उनकी बात सुनकर चुप हो गए लेकिन एकदम निर्णय नहीं ले पाए फिर अभिनव बोला बेटा हम एक-दो दिन में बताते हैं अपना फोन नंबर देकर जाओ अभी कहां ठहरे हो अनुराग बोला मेरे ऑफिस का गेस्ट रूम है मैं इंजीनियर हूं वहीं पर हम ठहरे हैं ,अभिनव ने कहा अच्छा बेटा मैं बताऊंगा आपको फोन करके ।      

बस फिर अनुराग और मीनल अपनी बच्ची को लेकर चले गए और जाते-जाते पीछे मुड़कर बड़ी आशा से देखने लगे, पता नहीं कितने घर और देखने पड़ेंगे अनुराग सोचने लगा, उसे फैमिली वाले अच्छे घर की तलाश थी ,वह तो चले गए लेकिन अभिनव और सोनाक्षी दोनों के ही मन में वह छोटी सी बच्ची की प्यारी प्यारी बातें गूंजने लगीं दोनों ने ही सोचा फैमिली तो अच्छी है कम उम्र के बच्चे हैं उनको भी और अपन को भी एक दूसरे का साथ मिलेगा अपने घर में चहल पहल हो जाएगी यह सोचकर अभिनव ने अनुराग को फोन कर दिया।                                    

बेटा हम आपको अपना मकान किराए पर देने के लिए तैयार हैं अनुराग ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रहा था फोन सुनते ही खुशी से अपनी पत्नी मीनल को आवाज देने लगा जल्दी आओ खुशखबरी है अपन को मकान मिल गया उन्होंने मकान देने को हां कर दी।

दूसरे ही दिन अनुराग अपनी फैमिली को लेकर अभिनव जी के घर आ गया और दोनों ही परिवार इतने घुल मिल गए छोटी सी उनकी बच्ची आध्या अभिनव और सोनाक्षी को दादा-दादी कह कर पुकारने लगी और आध्या का अधिकतर समय उनके पास ही बीतने लगा उस बच्ची को घर के और बड़ों के अच्छे संस्कार मिलने लगे , यह देखकर अनुराग और मीनल बहुत खुश रहने लगे। अनुराग को तो ऐसा लगा जैसे उसके सगे माता-पिता ही मिल गए हों और वह अपने माता-पिता की तरह ही उनका ध्यान रखने लगा । अभिनव और सोनाक्षी दोनों ही उन्हें दिल से बहू बेटा मानने लगे उनका ऐसा मन का रिश्ता जुड़ा जैसे भगवान ने ही बनाया हो । 

              अनुराग और मीनल कहीं भी जाते अभिनव और सोनाक्षी की जरूरतों का ध्यान रखते और उनकी जरूरत का सामान उन्हें लाकर भी देते कभी-कभी महीने में एक दो बार पिक-निक पर भी ले जाते इससे अभिनव और सोनाक्षी को बहुत मानसिक बल मिलने लगा और वे दोनों पति-पत्नी बहुत खुश रहने लगे , ऐसा लगा जैसे भगवान ने उन्हें साक्षात बेटा बहू और एक पोती को उनके बुढ़ापे का सहारा बना दिया यह उनके इतने पुण्य का ही फल था जो वह अपने सभी भाई बहन के बच्चों को चाहते थे हमेशा उनकी मदद की।

अभिनव और सोनाक्षी ने कभी सोचा भी नहीं था की अनुराग मीनल और उनकी बेटी आध्या से ऐसा मन का रिश्ता जुड़ जाएगा जो कभी नहीं छूटेगा।

 सुनीता माथुर 

मौलिक,अप्रकाशित रचना

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