सरस्वती देवी का भरा पूरा परिवार था। बड़ा बेटा मुरली और उसकी पत्नी राधा, और उनके दो बेटे। मंझला बेटा कपिल और उसकी पत्नी कावेरी, छोटा बेटा नयन और उसकी पत्नी नेहा। मंझले बेटे के तीन बच्चे थे, दो बेटियां और एक बेटा और छोटे वाले बेटे के दो बेटियां थी। सरस्वती देवी के पति का कुछ समय पहले ही देहांत हो चुका था।
बड़ी बहू राधा और छोटी बहू नेहा दोनों का स्वभाव बहुत सरल था और दोनों की आपस में खूब बनती थी। मंझली बहू कावेरी बहुत स्वार्थी स्वभाव की थी। वह बड़ी और छोटी बहू से चिढ़ती थी। उन दोनों का आपस में बात करना भी उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था।
बड़ी बहू और छोटी बहू मिलजुल कर काम को निपटा देती थी लेकिन कावेरी बिल्कुल काम करना नहीं चाहती थी और रोज ही किसी न किसी बात पर घर में क्लेश करती थी।
घर में कभी-कभी लड़ाई झगड़ा इतना बढ़ जाता था कि राधा बहू के बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाते थे उनकी पढ़ाई बहुत ही डिस्टर्ब हो जाती थी। अब दोनों बच्चे 10वीं और 12वीं में आ चुके थे और उनके बोर्ड की एग्जाम की वजह से उन्हें बहुत ही तनाव था।
राधा ने अपनी सास को बहुत समझाने की कोशिश की और कहा कि -” मम्मी जी, वैसे भी यह घर अब बहुत छोटा पड़ता है और बच्चों की पढ़ाई डिस्टर्ब भी हो रही है तो अगर आप आज्ञा दे तो हम अलग किराए के मकान में जाकर रहे। हालांकि हमारे लिए हर महीने किराया निकालना थोड़ा कठिन होगा लेकिन बच्चों की पढ़ाई बेहद जरूरी है। ”
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सरस्वती जी सब कुछ समझ रही थी हालांकि उनका बिल्कुल मन नहीं था की बड़ी बहू अलग जाकर रहे लेकिन बच्चों के पढ़ाई के कारण उन्होंने हां कर दी।
छोटी बहू भी अपनी जेठानी राधा के चले जाने की बात सुनकर उदास थी।
राधा ने उसे समझाया कि जब मन कर आ जाना और हम भी तुम्हारे पास मिलने जुलने आते रहेंगे। बड़ी बहू राधा के अलग होते ही, कावेरी भी अपने बच्चों के साथ अलग रहने चली गई। वह तो वैसे भी मौके का इंतजार कर रही थी। बड़ा भाई मुरली और मंझला भाई कपिल केलों का व्यापार करते थे। और छोटा वाला नयन सेबों का व्यापार करता था।
थोड़े दिनों बाद उसकी पत्नी नेहा कुछ बीमार पड़ गई थी। बुखार ठीक होने के बाद उसे अचानक पीलिया हो गया। उसकी दोनों बेटियां अभी छोटी थी। बड़ी भाभी उन्हें अपने घर ले गई और सरस्वती जी ने नेहा की देखभाल करके उसे ठीक कर दिया।
कुछ समय बाद न जाने क्यों नेहा को दोबारा पीलिया हो गया। इस बार तो कोई दवाई भी काम नहीं कर रही थी।डॉक्टर की समझ में कुछ नहीं आ रहा था पीलिया था कि जाने का नाम ही नहीं ले रहा था। बड़ी भाभी राधा भी उसकी देखभाल कर रही थी और दोनों बेटियों को भी देख रही थी लेकिन एक दिन नेहा ने अचानक दम तोड़ दिया।
अब नयन बिल्कुल टूट चुका था। उसे लग रहा था कि मेरी बूढी मेरी दोनों बच्चियों को कैसे देखेगी, बड़ी भाभी से तो उसे उम्मीद थी लेकिन कावेरी से कोई उम्मीद नहीं थी।
वह बहुत ही निराशा रहने लगा था।वह अपनी पत्नी से बेहद प्यार करता था। उसके बिना उसे अपना जीवन व्यर्थ लगने लगा था। सब उसे समझाते रहते थे फिर एक बार उसे सेबों के व्यापार में जबरदस्त नुकसान हुआ। उसने किसी से कुछ नहीं कहा। बस अपनी उधेडबुन में लगा रहा।
एक दिन सुबह के समय बड़ी बहू राधा के पास फोन आया कि नेहा की छोटी बेटी छत से गिर गई है उसका सर फूट गया है। राधा भागी भागी पुराने घर गई, वहां जाकर देखा तो दोनों बेटियां सही सलामत है और नयन की लाश कमरे में रखी है। यह सब कुछ देखकर उसका माथा घूम गया और उसकी सास ने रो कर बताया कि लगता है नयन ने कुछ खा लिया है। आनंद फानन में उसका दाह संस्कार कर दिया गया।
कुछ दिन बीत जाने पर उन्होंने नयन की बड़ी बेटी से पूछने की कोशिश की तो उसने रोकर बताया कि-” पापा कुछ लॉस के बारे में बात कर रहे थे और हम दोनों से पूछ रहे थे कि मैं बहुत दूर जा रहा हूं तुम दोनों मेरे साथ चलोगे या बड़ी मम्मी के पास रहोगी? तब हमने कहा कि हम दोनों बड़ी मम्मी के पास रहेंगे। ”
बड़ी बहू राधा यह समझ चुकी थी कि अगर दोनों बच्चियों ने मेरे पास रहने का नाम नहीं लिया होता तो शायद उनका देवर दोनों बच्चियों को भी कुछ खिला देता। अच्छा हुआ दोनों बच्चियों ने मेरे साथ रहने को कहा। तब ममतामयी बड़ी बहू ने दोनों बच्चियों को प्यार से खींच कर अपने सीने से लगा लिया और अपने पुराने घर में वापस आ गई
और वह अपने दोनों बच्चों और दोनों बेटियों की देखभाल की जान से करने लगी। वह मन में सोचती रहती थी कि नयन तुमने एक बार तो अपने नुकसान के बारे में हमसे कहा होता, हम कुछ ना कुछ इसका उपाय जरूर निकाल लेते। अपनी जान देने की क्या जरूरत थी, तुमने बच्चियों के बारे में भी कुछ नहीं सोचा।
आज राधा दोनों बच्चियों को पढ़ा लिखा कर, उनका विवाह करवा चुकी है। दोनों बच्चियां बड़ी मम्मी और बड़े पापा पापा कहते-कहते थकती नहीं है और उन दोनों का भरपूर सम्मान करती हैं। राधा ने अपने बड़ी बहू होने का कर्तव्य पूरी तरह निभाया।
स्वरचित अ प्रकाशित गीता वाधवानी दिल्ली