family story hindi kahani : अरे ओ मेरी भोली मां …आज तुम फिर महिला संगीत में से नाश्ते को घर पर उठा लाई !मम्मी कितनी बार कहा है आप नाश्ता वही करके आया करो, घर मत लाया करो, आप जहां भी जाती हो, चाहे महिला संगीत हो चाहे सुंदरकांड का पाठ हो या कोई और भी फंक्शन हो, वहां से नाश्ता घर ले आती हो! आपको पता है ना मम्मी मैं तो कैंटीन में अपने दोस्तों के साथ खा लेती हूं किंतु आप मेरे लिए फिर भी नाश्ता ले आती हो ! मम्मी आप कितने सालों से यह सब कर रही हो, अरे अब तो मैं मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने लगी हूं! अब तो हमारे पास कोई कमी नहीं है!
हां मेरी गुड़िया रानी.. पर मुझे वहां नाश्ता करना अच्छा नहीं लगता, यहां तुम घर की बनी रोटी खाओ और मैं आराम से समोसे बर्फी का मजा लूं! . मुझे भूख भी नहीं रहती वहां पर, और अगर कभी खाने की भी सोचूं तो मेरी बिटिया का चेहरा मेरे सामने आ जाता है फिर बता मेरे गले से यह इतना अच्छा नाश्ता कैसे उतरेगा! चल अब ज्यादा देर मत कर और फटाफट नाश्ता कर ले!
ठीक है मेरी मां.. जैसा तुम चाहो, तुम्हारी बिटिया वही करेगी, आज तुम्हारी ममता और कठिन परिश्रम की वजह से मैं यहां तक पहुंची हूं, मैं वह दिन कभी नहीं भूल सकती जब हम दोनों पापा को छोड़कर अलग रहने आ गए थे!
आज से 10 साल पूर्व नीलम अपने पति वीरेन से अलग हो गई थी क्योंकि वीरेन उसे और उसकी बेटी दोनों को ही पसंद नहीं करता था! बेटी की हर छोटी-छोटी गलती पर वह उसकी पिटाई करने से बाज नहीं आता था क्योंकि उसे तो मां और बेटी दोनों से ही नफरत थी!
वीरेन एक हैंडसम और आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी था ,जिसकी शादी जबरदस्ती उसके घर वालों ने कम पढ़ी लिखी किंतु सुंदर और सुशील लड़की नीलम से कर दी थी और वीरेन इस बात पर हमेशा नीलम से नाराज रहता था और अपना गुस्सा घर, बाहर, रिश्तेदारी में, सभी जगह प्रकट कर देता था,! उसे नीलम का पहनावा हो या उसका हंसना बोलना उसे किसी भी चीज में कोई दिलचस्पी नहीं थी, जबकि नीलम गृह कार्य के अलावा सिलाई बुनाई में माहिर थी!
वीरेन को वह कोई शिकायत का मौका नहीं देती थी किंतु वीरेन को तो उसमें कभी अच्छाई नजर ही नहीं आती थी, वह खाने में थोड़ी सी भी कमी होने पर खाने को फेंक देता और सीधा उसके ऊपर हाथ उठा देता था! किसी भी फंक्शन में या पार्टी में वह नीलम को साथ ले जाना पसंद नहीं करता था, घर भी आता तो नशा करके आता!
किंतु चारु जब से समझदार होने लगी थी वह अपनी मम्मी को बेइज्जत होते ही देखते आ रही थी! आए दिन उसकी मम्मी भूखी सो जाती और पूरी रात मां को रोते देखकर अपनी उम्र से कुछ जल्दी ही बड़ी होने लगी! जब चारु 8 वर्ष की हुई तब एक दिन उसने अपनी मम्मी से कह दिया.. मम्मी आप पापा से अलग हो जाओ, हमें नहीं रहना पापा के साथ में!
बेटा अलग होकर हम कहां जाएंगे और यह भी तो सोच की तेरी यहां पढ़ाई लिखाई खाना पीना सब अच्छे से हो रहा है मैं तुझे कहां से सारी सुख-दुख सुविधा दूंगी किंतु एक दिन तो छोटी सी बात पर वीरेन ने जब अपनी बेटी को बहुत जोरों से मारा तब उसकी ममता विद्रोह कर बैठी और वह अपनी बेटी को लेकर जाने लगी, तब वीरेन बोला…
जओ यहां से जब दर-दर की ठोकरे खाओगी तब देखना.. एक दिन वापस मेरे पास ही लौट कर आओगी, एक दिन तुम्हारी यही ममता तुम्हारा नाम मिट्टी में मिला देगी! किंतु आज तो मां बेटी ने तय कर लिया था ,जो भी होगा देखा जाएगा पर यहां से जाना जरूरी है, और यहीं से उनकी मुश्किलें प्रारंभ हो गई किंतु उन्होंने हिम्मत नहीं हारी,
नीलम ने एक छोटा सा कमरा किराए पर ले लिया और वही सिलाई बुनाई का काम भी शुरू कर दिया, शुरू में तो बहुत मुश्किल आई किंतु धीरे-धीरे एक फैक्ट्री में सिलाई मजदूर की जगह पर काम मिल गया और फिर आमदनी भी अच्छी होने लगी जिससे चारु की पढ़ाई में कोई व्यवधान नहीं आया! चारु ने भी अपनी शिक्षा में पूरा जोर लगा दिया, मां ने अपनी सारी ममता बेटी के भविष्य को उज्जवल बनाने में लगा दी और दोनों मां बेटी ने दिन रात एक कर दिया!
नीलम की ममता और परवरिश का हीं नतीजा था कि चारु एक मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छे पद पर आ गई थी! नीलम की ममता ने चारु को मजबूत बनाने के लिए प्रेरित किया! आज उसकी ममता और मेहनत का ही परिणाम है कि उसकी बेटी एक अच्छे पद पर है, उन्हें कभी भी पति या पिता की जरूरत को कमजोरी नहीं बनने दिया, दोनों ने अपने दम पर ही यह मुकाम हासिल किया! आज दोनों मां बेटी अपनी जिंदगी में बेहद खुश हैं!
हेमलता गुप्ता (स्वरचित)
#ममता
मूर्ख हैं वे लोग जो स्त्री को कमजोर समझते हैं। लगन,त्याग , तपस्या और बुद्धि का सम्मिश्रण है स्त्री!