Moral Stories in Hindi : “रिया ,हमारी बच्ची अपने स्कूल की टॉपर हो गई है!”खुशी से चहकते हुए शेखर ने रिया से कहा।
“क्या बात कर रहे हो?” रिया ने चाय बनाते हुए कहा।
” अभी-अभी उसके प्रिंसिपल का फोन आया था। उन्होंने ही बताया हमारी बच्ची स्कूल की टॉपर है ।सबसे ज्यादा हाईएस्ट परसेंटेज उसके आए हैं- 98.9%!”
“अरे वाह!, रिया की आंखें चमक गईं।
“अरे… यह क्या कर रही हो? चाय कप में ना डालकर मार्बल पर क्यों डाल रही हो?”
“सॉरी शेखर, मेरी आंखें भर आई ना…!दिख नहीं रहा था।
“ओके बाबा, चलो चाय मैं लेकर चलता हूँ।”
शेखर ने दोनों कप उठा लिया और ड्राइंग रूम की तरफ बढ़ गया।
उसे बहुत ही पुरानी बातें याद आ गई।
एक बार प्रकृति ने वही चक्र दोहराया जो लगभग 20 साल पहले हो चुका था।
उस दिन भी ऐसा ही न्यूज़ लेकर शेखर किचन में आया था, जब रिया उसके और अपने लिए चाय बना रही थी।
शेखर ने उसे बधाई देते हुए कहा था
“रिया, बहुत बधाई !हमारी रेशम ने अपने स्कूल में टॉप किया है ।वह टॉपर है ।पूरे 98.9% लेकर आई है ।”
“अरे वाह, सच में! रिया ने कप में चाय छानते हुए कहा था। हमारी बिटिया स्कूल की टॉपर हो गई….!
इसी दिन का इंतजार था… मेरी बिटिया अब आगे पढ़ेगी और अपना नाम रोशन करेगी। जब वह कुछ कर लेगी तो उसके साथ हमारा भी तो नाम रोशन होगा।”
” हां हां बिल्कुल !,शेखर को पता था कि रिया रेशम पर जान छिड़कती थी ।
एक दिन रेशम को शादी कर अपने घर जाना था इसलिए वह अक्सर रिया को रेशम पर अपना प्यार उड़ेलने से मना करता… रेशम को इतना प्यार मत करो। उसे स्वालंबी बनने दो। उसे अपने घर जाने के लायक बनने दो।” वह उसे समझाता रहता।
रिया भी यह सारी सच्चाई जानती थी लेकिन भी वह मजबूर थी। उसके दिलो जान में रेशम बसी हुई थी ।
रिया भी क्या करती, शादी के बाद लगातार किसी न किसी बहाने से उसका तीन चार बार अबॉर्शन होता चला गया। बड़ी मुश्किल से रेशम उसके गर्भ में आई।
तब से उसने दवा से ज्यादा पूजा पाठ करना शुरू किया था। उसके बाद ही उसने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया था।
फूल सी कोमल बच्ची को देखकर उसने उसका नाम रेशम रखा था। उसे हंसते खेलते देख रिया के अंदर एक नई जिंदगी आ गई थी।
उसने एक नए सिरे से जीना सीख लिया था।
उसने अपना सारा ममत्व उस नन्ही सी बच्ची पर उड़ेल दिया था, जिसे पीकर रेशम एक खुशमिजाज, मेहनती और बहुत ही संस्कारी बच्ची बन गई थी ।जिसका नतीजा था कि उसने अपने स्कूल में प्रथम स्थान प्राप्त किया था।
अभी रिया और शेखर की खुशियां खत्म ही नहीं हो पाई थी कि शेखर की बहन रूही की बेटे की शादी तय हो गई ।
रूही ने सभी को बहुत ही आग्रह कर अपने बेटे की शादी में बुलाया था।
शेखर रिया और रेशम को लेकर गया भी लेकिन लौटते वक्त एक ट्रेन हादसे में रिया और शेखर तो मामूली चोट में बच गए लेकिन रेशम के सिर पर बहुत ही गंभीर चोट लगी थी। उसकी कमर की हड्डी भी टूट गई थी।
उसे लगातार 3 महीने तक आईसीयू में एडमिट किया गया था।
आईसीयू से बाहर लगे कांच के खिड़की से बड़ी उम्मीद से रिया बाहर देखती रहती कि कब अचानक से रेशम जाग उठे और “मम्मी!”कहकर उसे चौंका दे लेकिन भाग्य के आगे भला किसका जोर चल पाता है?
एक दिन डॉक्टर ने आकर रिया और शेखर को वह मनहूस खबर सुनाया कि रेशम अब इस दुनिया में नहीं रही!!!
यह सुनकर रिया की तो जिंदगी उजड़ गई ।
उसकी जिंदगी में अंधेरा छा गया ।
शेखर बहुत ही उदास और गुमसुम हो गया क्योंकि उसने एक साथ अपनी बेटी और पत्नी दोनों को खो दिया था।
रिया की हालत दिन पर दिन खराब हो रही थी।वह एक जिंदा लाश बन चुकी थी।
उसे मानसिक अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था।
कई महीने तक वह अस्पताल में रहने के बाद घर लौटने के बाद भी वह सामान्य नहीं हो पाई थी।
कई महीनो तक डिप्रेशन से जूझने के बाद रिया थोड़ी ठीक हुई तो उसने घर का काम तो संभाल लिया लेकिन वह नॉर्मल नहीं हो पाई।
उसकी हालत पागलों जैसी थी। जिसके कारण शेखर ना तो अपने काम में कंसंट्रेट कर पा रहा था और न ही अपने घर में।
एक दिन उसके सीनियर कलिग दिवाली का गिफ्ट लेकर उसके घर आए ।
उन्होंने रिया की हालत देखी तो उन्हें बड़ा ही बुरा लगा।
उन्होंने शेखर से कहा
“शेखर, मुझे लगता है कि तुम्हें एक बच्ची को गोद ले लेनी चाहिए। शायद इससे रिया ठीक हो जाए।”
“पर अब इस उम्र में एक छोटी बच्ची को गोद लेना ठीक रहेगा क्या?” शेखर ने अपनी आशंका जाहिर की।
शेखर के सीनियर विनोद ने कहा
” देखो शेखर, मां-बाप बनने की कोई उम्र नहीं होती। देखते-देखते बच्चे बड़े हो जाते हैं और तुम रिया को इमोशनली फोर्स करो कि वह एक बच्ची को गोद ले ले ।”
शेखर को यह बात जंच गई ।उसने रिया को समझाते हुए कहा
” एक छोटी सी बच्ची है रिया बहुत ही ज्यादा तेज! बिल्कुल हमारे रेशम की तरह। आशा अनाथआश्रम से उनकी हेड मिस्ट्रेस ने फोन किया था कि हम उनकी बच्ची को अडॉप्ट कर ले और उसे पढ़ाएं लिखाएं ताकि उसकी आगे की पढ़ाई लिखाई हो जाए और वह कामयाब जिंदगी जीए।”
रिया की आंखों में थोड़ी सी उम्मीद की किरण जगी फिर वह घबराते हुए चीख उठी।
” नहीं, मैं कुछ भी नहीं कर सकती। मैंने रेशम को मरते हुए देखा है ।”
“नहीं रिया, हर कोई रेशम नहीं हो सकती।यह तो एक अनाथ बच्ची है। तुम चल कर देख लो ।अगर तुम्हें अच्छा लगे तभी मैं आगे बढूंगा।”
रिया को लेकर शेखर आशा अनाथ आश्रम पहुंचा।
वहां हेडमिस्ट्रेस के साथ कई कॉलीग थे। वे लोग उस छोटी सी बच्ची को वहां लेकर आए ।
“हेलो मैम!” उस छोटी सी बच्ची ने कहा।
“यही है वह बच्ची!” हेड मिस्ट्रेस के कहने पर रिया उसे बच्ची की तरफ मुड़ी।
फूलों की तरह कोमल ,आंखों में उम्मीद भरी ललक झांक रही थी। चेहरे पर अनाथ होने का दर्द भी झलक रहा था।
“न जाने कैसा लग रहा होगा इस बच्ची को…!”रिया मन ही मन सोची । रिया दौड़ते हुए जाकर उसे अपने गले से लगा लिया और कहा
” मेरी बेटी बनोगी ना?”
उस बच्ची ने सिर हाँ में हिलाया।
रिया ने उसे अपने गले से लगाकर गोद में उठा लिया।
” मुझे मेरी रेशम मिल गई शेखर! मेरी रेशम मुझे मिल गई!”
“थैंक यू सिस्टर!” उसने अनाथ आश्रम की हेड मिस्ट्रेस को धन्यवाद देते हुए कहा।
” यस, मोस्ट वेलकम!” मुस्कुराते हुए आशा केंद्र की मिस्ट्रेस ने कहा।
कुछ फॉर्मेलिटी पूरी करने के बाद रिया और शेखर बच्ची को लेकर अपने घर ले आ गए।
रेशम के जाने के बाद जो घर सूना पड़ गया था वह फिर से खिलने लगा। रिया की ममता जो सुख पड़ी थी वह फिर से ताजी होने लगी थी।
आज बरसों बाद फिर से वही खबर रिपीट हुआ था।
रुचि ने 12वीं में टॉप किया था।
इन 20 सालों में रिया के बाल पक चुके थे।आंखों में मोटे पावर का चश्मा भी आ गया था।
लेकिन उस अनाथ बच्ची ने पूरे घर को खुशी से भर दिया था। घर को फूलों की तरह महका दिया था।
” मां पापा!, रुचि ने आगे आकर दोनों के पैर छूते हुए प्रणाम किया और कहा
मां,पापा, आशीर्वाद दीजिए। मैं अपने स्कूल में सबसे ज्यादा हाईएस्ट मार्क्स लाई हूं।”
“मेरी बच्ची!,तुझे मेरी सारी खुशियाँ मिल जाए।मेरी उम्र भी तुम्हें मिल जाए!”
रिया ने उसे अपने गले से लगा लिया और रो पड़ी।
“मां पापा मेरा एडमिशन शहर के बेस्ट कॉलेज में हो गया है ,जहां मैं पढ़ाई करुंगी। आप दोनों मुझे कहीं हॉस्टल में नहीं भेजिएगा। मैं आप लोगों की बिटिया हूं। आप लोगों को देखना मेरा भी काम है सिर्फ आपका मुझे देखना नहीं।”
अपनी छोटी सी रुचि को बोलते हुए देखकर रिया को लगा कि इस छोटी सी बच्ची ने अपनी ममता के आंचल उसे उढ़ा दिया है और वह छोटी सी होकर उसकी आंचल में सिमटी जा रही है…!
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प्रेषिका–सीमा प्रियदर्शिनी सहाय
#ममता