माँ की ममता अनमोल है।मनुष्य हो या पशु-पक्षी सभी अपनी संतान की रक्षा के लिए जी-जान लगा देते हैं।माँ की ममता की अद्भुत कहानी प्रस्तुत कर रही हूँ।
नवीन और निधि विवाहित पति-पत्नी थे।उनकी शादी को दो वर्ष बीत चुके थे,परन्तु आर्थिक तंगी की वजह से अभी माता-पिता नहीं बनना चाहिए रहे थे।नवीन एक मल्टीनेशनल कंपनी में चपरासी था।बड़े शहर में पति-पत्नी का जीवन-यापन भी मुश्किल से हो रहा था,फिर भी निधि बिना शिकायत के पति संग खुश थी।
एक दिन नवीन के दफ्तर में स्थापना-दिवस की शानदार पार्टी होनेवाली थी।उस कंपनी के संस्थापक पत्नी समेत इंग्लैंड से आए थे।उस दिन दफ्तर के सभी कर्मचारियों को परिवार समेत बुलाया गया था।नवीन भी उस पार्टी में अपनी पत्नी निधि के साथ गया था।कंपनी के संस्थापक मिस्टर जाॅन पार्टी शुरु होने से पहले एक-एक कर सभी कर्मचारियों से मिल रहे थे।मिस्टर जाॅन निधि की सादगी और खूबसूरती देखकर काफी प्रभावित हुए। नवीन ने परिचय कराते हुए कहा -” सर!यह मेरी पत्नी निधि है!”
मिस्टर जान ने प्रशंसाभरे शब्दों में कहा-“नवीन!तुम्हारी पत्नी बहुत सुन्दर है!”
सभी कर्मचारियों से परिचय करने के बाद पार्टी शुरु हो गई। पार्टी देर रात तक चलती रही।मिस्टर जाॅन की पत्नी एना भी खुलकर सभी के साथ पार्टी का आनंद ले रही थीं।पार्टी खत्म होने के पश्चात सभी खाना खाकर अपने घरों को लोट गए।
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अगले दिन जैसे ही नवीन दफ्तर में आया,वैसे ही उसे मैनेजर ने अपने केबिन में बुलाया।नवीन डरकर मन-ही-मन सोचने लगा कि कल कहीं मुझसे कोई भूल तो नहीं हो गई!
मैनेजर के केबिन में पहुँचने पर नवीन मैनेजर सुनील और जाॅन दम्पत्ति को देखकर नमस्ते करता है।मैनेजर सुनील उसे सामने पड़ी कुर्सी पर बैठने को कहता है।नवीन हिचकिचाते हुए कुर्सी पर बैठ जाता है।तत्पश्चात मैनेजर सुनील कहता है-” नवीन!तुमसे एक बहुत जरुरी बात कहने जा रहा हूँ।तुम सोच-विचारकर धैर्यपूर्वक जबाव देना।हमारे बाॅस मिस्टर जाॅन दम्पत्ति को कोई संतान नहीं है।वह तुम्हारी पत्नी को अपने बच्चे के लिए सरोगेट मदर बनाना चाहते हैं।इसके एवज में तुम्हें ऑफिस में तरक्की और तुम्हारी मनचाही रकम देना चाहते हैं।इसके अलावे तुम और कुछ माँग सकते हो।”
मैनेजर सुनील की बात सुनकर नवीन अचानक से हड़बड़ा उठा।उसने कहा -” सर!मेरी पत्नी निधि इस बात के लिए कभी भी तैयार नहीं होगी।”
मैनेजर सुनील-“नवीन!पत्नी को मनाना तुम्हारा काम है।अभी किस्मत तुम्हारे दरवाजे पर दस्तक दे रही है।बार-बार जिन्दगी में ऐसे अवसर नहीं आते हैं।दो-चार दिनों में सोच-समझकर जबाव देना।”
मैनेजर सुनील के मन लुभावन प्रस्ताव को सुनकर नवीन के मन में खलबली उठने लगी।उसे यह सौदा मुनाफे का लग रहा था,परन्तु पत्नी को कैसे मनाऐगा,यह उसकी समझ में नहीं आ रहा था! घर आने पर काफी मंथन के बाद रात में सोते समय निधि को बाहों में भरकर उसने जाॅन-दम्पत्ति का प्रस्ताव कह सुनाया।ऐसे अप्रत्याशित प्रस्ताव सुनकर निधि एकाएक पति की बाँहों से छिटककर उछल पड़ी,मानो सैकड़ों बिच्छुओं ने उसे डंक मार दिए हों।
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निधि ने रोषभरी आवाज में पूछा-” नवीन!तुमने ऐसा कैसे सोच लिया कि पराए मर्द के बीज को मैं नौ महीने तक अपने गर्भ में ढ़ोऊँगी?अभी मैंने अपने पहले बच्चे को भी जन्म नहीं दिया है और कहाँ मैं दूसरे के बच्चे को अपनी कोख में पालूँगी!”
नवीन-” निधि!थोड़ा धैर्यपूर्वक सोचो कि एक बच्चे के एवज में हमें इतना कुछ मिलेगा,जिसकी हम जिन्दगी भर कल्पना नहीं कर सकतें।”
निधि-“मुझे कुछ नहीं चाहिए। मैं ऐसे घृणित काम नहीं करुँगी।मैं भी मूर्ख नहीं,पढ़ी-लिखी हूँ।सब समझती हूँ।”
नवीन-“हम पढ़-लिखकर आधुनिक बनने का ढोंग करते हैं।नए जमाने की हर चीज अपना लेते हैं,परन्तु हमारी मानसिकता वही रह जाती है।तुम्हें बाॅस के साथ हमबिस्तर नहीं होना है,केवल कोख किराए पर देनी है।आजकल सरोगेसी गैर-कानूनी नहीं है।”
निधि -” कुछ भी हो,मुझे यह प्रस्ताव मंजूर नहीं है।मैं दूसरे के बच्चे को अपनी कोख से जन्म नहीं दूँगी।”
नवीन फिर समझाते हुए कहता है -“निधि!एक माँ की ममता अपने-पराए का भेद किए बिना सब पर बरसती है।मातृत्व एक ऐसी भावना है,जो केवल कोख से ही नहीं हृदय से भी फूटती है।मातृत्व वरदान, एहसास, परोपकार -भावना,पूर्णत्व के सारे रंगों में रंगी होती है।तुम एक निःसंतान दम्पत्ति को संतान देकर उन्हें मातृत्व रस से आप्लावित करोगी।यह पुण्य का ही काम होगा।”
नवीन की बातें सुनकर निधि के चेहरे पर घबड़ाहट दिख रही थी।उसकी यह घबड़ाहट बिल्कुल अलग प्रकार की थी।अपनी कोख में किसी और के बीज के रोपे जाने की थी।अपनी कोख की जमीं पर उसे पल्लवित-पुष्पित कर किसी और को सौंपे जाने का डर था।
एक सप्ताह तक नवीन तरह-तरह की लुभावनी तस्वीरें दिखाकर निधि को सरोगेट मदर बनने के लिए दबाव बनाता रहा।एक दिन तो नवीन ने बात न मानने पर निधि को खुद घर छोड़कर जाने की धमकी तक दे डाली।
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फिर भी निधि ने हथियार न डालते हुए कहा -” नवीन!मैं इतनी महान नहीं हूँ कि पराए बच्चे को नौ महीने तक अपनी कोख में रख सकूँगी।इस बात से मुझे मातृत्व का कोई एहसास नहीं होगा।मातृत्व के इसी एहसास के बल पर नारी कठिनतम प्रसूति पीड़ा को भी हँसते-हँसते झेल लेती है।”
नवीन झल्लाते हुए कहता है-” निधि! बेकार छोटी-सी बात को बतंगड़ बना रही हो। तुम्हारी सोच बिल्कुल दकियानूसी है।कुछ पाने के लिए कुछ खोना ही पड़ता है।तुम्हारे थोड़े से त्याग से हमें बेहतर भविष्य मिल सकता है!”
नवीन अपनी पत्नी की मनःस्थिति को अच्छी तरह समझता था।उसने सोचा कि कुछ दिनों की बात है।अगर निधि बाॅस के बच्चे को जन्म देने को राजी हो जाती है,तो बच्चे के जन्म के बाद निधि को घूमने के लिए अच्छी जगह ले जाऊँगा।मेरे प्यार से वह धीरे-धीरे सबकुछ भूल ही जाऐगी।
आखिरकार निधि ने पति की इच्छा के सम्मुख हथियार डाल ही दिए।वह समझ चुकी थी कि जब वक्त की धारा जब विपरीत हो,तो उसके साथ बहने में ही समझदारी है।
अब निधि बेमन से रोज पति के साथ डाॅक्टर के यहाँ चक्कर लगाने लगी।अनेक परीक्षणों और इलाज के बाद उसे गर्भ ठहर गया।इस खबर को सुनते ही जाॅन दम्पत्ति और नवीन हर्षातिरेक से झूम उठे।केवल निधि अंदर से खुश नहीं थी।जाॅन दम्पत्ति ने नवीन को पन्द्रह लाख का चेक देते हुए कहा -” नवीन!अभी इसे रख लो,बाद में और अधिक दूँगा।वैसे तो मैं फिर सातवें महीने में इंग्लैंड से आ जाऊँगा।निधि के इलाज और खान-पान में कोई कंजूसी मत करना।”
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नवीन हाथ जोड़कर जाॅन दम्पत्ति की बातों के समर्थन में सिर हिलाता रहा।
मैनेजर सुनील ने भी सारी जिम्मेदारी लेते हुए जाॅन दम्पत्ति को जाने से पहले पूरी तरह आश्वस्त कर दिया।
नवीन निधि को लेकर हर महीने डाॅक्टर के यहाँ जाता।उसके लिए अच्छे-से-अच्छा पौष्टिक भोजन का प्रबंध करता।डाॅक्टर ने बताते हुए कहा -“गर्भस्थ शिशु का विकास अच्छी तरह हो रहा है!”
डॉक्टर की बातों से नवीन काफी खुश था,परन्तु निधि के आन्तरिक मन में कोई उल्लास नहीं था।नवीन हमेशा निधि को खुश रखने की कोशिश करता,परन्तु एक नारी के एहसासों को भला पुरुष कहाँ समझ पाते हैं!
निधि के मन में हमेशा पराए पुरुष के बीज को अपने अन्दर पलने का एहसास अपराधबोध से ग्रसित कर देता।जिन्दगी में पहली बार माँ बनने जैसा रोमांच या उत्साह उसके मन के समंदर में हिलोरें नहीं लेता।जब रिश्तेदार, पड़ोसी उसे माँ बनने की बधाई देते तो वह किसी से कुछ न बताकर ऊपरी तौर पर मुस्कराते हुए बधाई स्वीकार कर लेती।परन्तु उसे एहसास होता कि झूठ का लावा कहीं उसकी जिन्दगी को ज्वालामुखी की तरह भस्म न कर दे!लोगों की बधाईयाँ स्वीकार करने के बाद उसके चेहरे पर इतना दर्द उभर आता और वह इतनी दुखी हो जाती,मानो असंख्य नागफनी के काँटे उसकी ममता को लहू-लुहान कर रहें हों।
अच्छे इलाज और अच्छे खान-पान के बावजूद निधि हमेशा तनाव में रहने लगी।कभी-कभी उसे अपने झूठे वजूद से ही घृणा होने लगती।डाॅक्टर उसे हमेशा खुश रहने की सलाह देते,परन्तु निधि के दिल की बेचैनी और घुटन कम होने का नाम ही नहीं लेती।गर्भावस्था के पाँचवें महीने निधि को अपने अंदर कुछ हलचल का एहसास हुआ। मातृत्व के इस खुबसूरत एहसास से निधि के होठों पर एक सुन्दर मुस्कराहट खेल गई। अजन्मे बच्चे के प्रति एक अदृश्य लगाव महसूस हुआ, मानो उसके अंतस्थल से ममता की अजस्र रसधारा फूट पड़ी हो।परन्तु अगले ही पल उसे ख्याल आया कि उसे अपने दिल पर पत्थर रखकर इसे किसी और को सौंपना है।यह किसी और की अमानत है।धीरे-धीरे निधि के दिल में अजन्मे बच्चे के प्रति ममता जाग चुकी थी।अब वह बच्चे को खुद से अलग करने की कल्पना से काँप उठती।सात महीने पूरे होते-होते गर्भस्थ शिशु की खुशबू उसकी आत्मा में रच-बस चुकी थी।
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समय पंख लगाकर तीव्र गति से उड़ रहा था,परन्तु भावी समय के गर्भ में क्या छिपा है,कोई नहीं बता सकता!अचानक से निधि की तबीयत बिगड़ गई, उसे तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया।डाॅक्टरों ने काफी मशक्कत के बाद माँ और बच्ची की जान बचाई। बच्ची का जन्म समय से पहले हुआ था,इस कारण बच्ची काफी कमजोर थी।बच्ची को इनक्यूबेटर में रखा गया था।जाॅन दम्पत्ति भी इंग्लैंड से आए चुके थे,उन्होंने बच्ची के इलाज में डाॅक्टरों की फौज खड़ी कर दी।बेहतर इलाज से बच्ची धीरे-धीरे ठीक होने लगी,परन्तु बच्ची के स्वास्थ्य को लेकर डाक्टरों के मन में कुछ संशय था।जाॅन दम्पत्ति ने बच्ची को लेने से पहले एक बार बच्ची की पूर्ण शारीरिक और मानसिक जाँच करवाने की इच्छा जाहिर की।निधि मूक-बधिर की भाँति सारी परिस्थितियों को देख-समझ रही थी।
एक सप्ताह बाद बच्ची की पूरी रिपोर्ट आ चुकी थी। जाॅन दम्पत्ति और निधि बेसब्री से डाॅक्टर के आने का इंतजार कर रहें थे।कुछ देर बाद आने पर रिपोर्ट देखते हुए डाॅक्टर ने कहा -“बच्ची की शारीरिक रिपोर्ट तो बिल्कुल नार्मल है,परन्तु मानसिक रिपोर्ट नार्मल नहीं है।कहना मुश्किल है कि बच्ची मानसिक रुप से कभी नार्मल हो सकेगी या नहीं!”
डाॅक्टर की बातें सुनकर जाॅन दम्पत्ति तत्क्षण डाॅक्टर के साथ बाहर निकल गए।
निधि ने डाॅक्टर की बातें सुनकर ली थी।जाॅन दम्पत्ति की बेरुखी उससे छिपी नहीं थी।एक माँ का दिल बेबसी से भीतर-भीतर तड़प उठा।उसी समय बच्ची भूख से रो उठी।निधि बच्ची की तरफ से मुँह फेरना चाह रही थी,परन्तु बच्ची का प्यारा मुखड़ा,पतले-पतले लाल-लाल होंठ,काले भ्रमर के समान घुँघराले बाल और उसपर से उसका नरम-नरम स्पर्श ने निधि की ममता को पूरी तरह झकझोर कर रख दिया।उसे एहसास हुआ कि इस बच्ची ने उसके गर्भ से जन्म लियाहै।यह उसके शरीर का अभिन्न हिस्सा है।सबकुछ भूलकर निधि ने बच्ची को सीने से लगा लिया और उसे अपना दूध पिलाने लगी।
अगले दिन नवीन ने कहा-” निधि!जाॅन दम्पत्ति ने इस अभिशप्त बच्ची को अपनाने से इंकार कर दिया है।कुछ और पैसे देकर इस बच्ची को अनाथाश्रम में छोड़ आने को कहा है!”
निधि गुस्से से कहती है-” नवीन!मातृत्व स्त्री का अभिन्न अंग है।वह कभी अभिशप्त नहीं हो सकती ।यह बच्ची मेरी है,अनाथ नहीं!मैं इसे कभी अनाथाश्रम नहीं जाने दूँगी।”
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नवीन -” निधि !हम मानसिक रुप से कमजोर बच्ची का लालन-पालन कैसे कर पाएंगे?”
निधि -” नवीन!माफ करना ।मैंने अबतक तुम्हारी बहुत बातें सुनकर लीं।अब मैं तुम्हारी कोई बात नहीं सुननेवाली हूँ।इसी बच्ची ने मेरे दिल में ममता का चिराग जलाया है।मैं इसे किसी हालत में नहीं छोड़ सकती हूँ।”
निधि की बातें सुनकर नवीन का मन पश्चाताप से भर उठता है।वह सोचता है-“सचमुच! माँ की ममता वह मजबूत पेड़ है,जो जिन्दगी के आँधी-तूफान यहाँ तक कि बवंडर को भी सहजता से झेल लेता है।मैंने तो जन्म से पहले ही बच्ची का सौदा कर लिया था,उसी के दंडस्वरुप मुझे यह फल मिला है।”
नवीन कुछ पलों तक पत्नी की ओर देखता है,फिर वह बच्ची को उठाकर सीने से लगाकर प्यार करने लगता है।निधि आँखों में खुशी के आँसू भरकर एकटक पिता-पुत्री के प्यार को देख रही है।
नवीन उसे देखकर कहता है -” निधि! मिस्टर जाॅन के दिए पैसों से हम बच्ची का इलाज करावाऐंगे।हमारी बच्ची अवश्य ठीक हो जाएगी।”
निधि ने हर्षातिरेक से पति और बच्ची को अपने आलिंगन में भर लिया।निधि की ममता अपनी जीत पर मुस्करा रही थी।निःसंदेह माँ की ममता अनमोल है।
समाप्त।
लेखिका-डाॅ संजु झा