“आरती! ओ आरती| कहां चली गई? सुनती है या नहीं?” सुलेखा जी ने बहू आरती को जोर से चिल्लाते हुए आवाज़ दी| “पता नहीं क्या कर रही है?”
इतने में आरती भागी चली आती है| “जी मांजी, आपने बुलाया?” आरती ने कहा|
“क्या कर रही थी जी की बच्ची? कब से आवाज दे रही हूं!” सास ने गुस्से में कहा|
“मम्मी जी! वंश को पढ़ा रही थी| उसके हाफ ईयरली पेपर्स आने वाले हैं ना| ” आरती ने बताया|
“पढ़ा वढ़ा बाद में लेना| कौन सा उसने पढ़कर कलेक्टर बन जाना है| और वैसे भी उसकी ट्यूशन तो लगा रखी है ना| इतना बहुत है इस उम्र में बच्चे के लिए| तू बस घर के कामों में ध्यान दिया कर| ” सुलेखा जी बहुत गुस्से में बहु आरती को बोली|
खैर सुन तुझे जिस काम के लिए बुलाया है| कल मैंने सत्यनारायण की कथा कराने का सोचा है| जरा आज पास-पड़ोस की सभी औरतों को न्योता दे आना | और साथ ही साथ कथा के बाद दोपहर के खाने का निमंत्रण भी दे आ ना| सास ने बहू को बोला|
सास की बातें सुनकर आरती ने कहा| “परंतु मम्मी जी कल मुझे पीरियड आने वाले हैं| और पीरियड्स में भगवान के द्वारे नहीं जाते| और आप तो उन दिनोंरसोई में जाने से भी मना करती हैं| अब ऐसे में इतना सब काम कैसे होगा?
आरती की बातें सुनकर सास सुलेखा ने बोला| “तुझे तो हर काम से जी चुराने की आदत है| मुझे कुछ नहीं पता | मैंने जो विचार कर लिया सो कर लिया| तू एक काम कर| दवाई खा ले| इससे एक-दो दिन तेरा मासिक चक्र ऊपर चला जाएगा| और घर में सारे धार्मिक कार्य भी हो जाएंगे|
सास की इस तरह की बातें सुन आरती से रहा नहीं गया| उसने बड़े उदास मन से सास को बोला| ” मम्मी जी अभी पिछले दो महीने पहले भी जब घर में वैभव लक्ष्मी के व्रत का उद्यापन किया था तब भी आपने मुझे दवाई खाने पर मजबूर कर दिया| आपको अपने धार्मिक अनुष्ठान की परवाह है| पर मेरे शरीर की परवाह नहीं है| इन दवाइयों से एक महिला का शरीर कितना खराब होता है| इसके कई नुकसान हो सकते है| इन दवाओं के सेवन से माहवारी में रक्त स्राव काफी अधिक होता है और रक्त की कमी हो सकती है| और तो और अधिक सेवन से कई बार ध्मनियों में रक्त का थक्का जमने की संभावना बढ जाती है| इसके और भी कई नुकसान जैसे दस्त लगने की भी संभावना काफी बढ़ जाती है जिससे शरीर में पानी की कमी आ सकती है| ये आप क्यों नहीं समझते| मैं इस बार दवाई नहीं खाऊंगी| आप धार्मिक कार्यक्रम को 4 या 5 दिन आगे कर दीजिए| भगवान यह नहीं कहते कि भक्त खुद को कष्ट में डालकर मेरी भक्ति करें|
बहू की इस तरह की बातें सुनकर सुलेखा जी तिल- मिलाकर बोली | “अरे तू तो आजकल जुबान चलाने लग गई है| मत खा तू दवाई| मैं तेरे पीछे सत्यनारायण की कथा का दिन आगे नहीं करने वाली| मैं अकेले ही पूजा की और दोपहर के खाने की व्यवस्था कर लूंगी|
ठीक है मम्मी जी| “आपको जैसा ठीक लगे| बहू आरती ने सास से कहा और अपने कमरे से चली गई|
“अगले दिन सुबह सुबह सुलेखा जी जल्दी उठकर कथा की और दोपहर के खाने की तैयारी करने में जुट गई| बहू को मासिक धर्म होने की वजह से इस बार वह किसी काम में कोई हाथ नहीं बंटा पाई| और रिवाज के अनुसार रसोई में भी आना मना था| तो सारा काम अकेले सास सुलेखा को ही करना पड़ा| दोपहर आते-आते वेइतना थक गई थी कि मेहमानों के जाते ही सुलेखा जी ने चारपाई पकड़ ली| और कहने लगी|
अरे बहू| आज तो मैं बहुत थक गई रे| मुझसे गलती हो गई| इस उम्र में मुझे अब काम नहीं होने वाला| और मैंने तुझसे भी किस तरह का बर्ताव किया| मुझे तुझे दवाइयां खाने को नहीं कहना चाहिए| आज मुझे अहसास हो रहा है तेरे बल पर घर का हर काम आसानी से होता आया है| आज एक ही दिन में मेरा ये हाल हो गया | मुझेअपनी भूल का एहसास हो गया है| मुझे माफ कर दे बेटी| अगली बार से घर में धार्मिक कार्यक्रम होंगे पर सब की सुविधा अनुसार| यह मैं वादा करती हूं|
इतने में बहू ने कहा| “कोई बात नहीं मम्मी जी| आपको बात समझ में आ गई | मेरे लिए यही बहुत बड़ी बात है|
एक बात और मम्मी जी| ” यह मासिक चक्र ईश्वर की दी हुई एक देन है| भगवान ने कुछ सोच समझकर ही औरत की संरचना की होगी | उन्हें मां बनने का सुख मिले, इसीलिए ही हर माह यह मासिक चक्र निरंतर चलता है| जब तक उम्र का एक उचित पड़ाव नहीं आ जाता | तो उस दौरान यह रसोई में काम नहीं करना चाहिए| इस सोच को थोड़ा बदलाव की जरूरत है| अच्छा एक बात बताइए! जो महिलाएं एकल परिवार में रहती हैं, उन्हें तो रसोई में जाना पड़ता ही होगा| वे यदि काम नहीं करेंगी तो कौन करेगा| तो फिर संयुक्त परिवार में भी यदि इस बात को मान लिया जाए तो मेरे हिसाब से कुछ गलत नहीं होगा| बल्कि आपका काम उन दिनों आसान ही होगा| इस बारे में आप सोचिएगा अवश्य मम्मी जी| रही बात आपका साथ देने की तो वह तो मैं हमेशा देती ही आई हूं और आगे भी देती ही रहूंगी| आप माफी मत मांगिए|
बहू की यह सब बातें सुनकर सास ने बहू को आशीर्वाद देते हुए उसके सिर पर हाथ रख दिया |
दोस्तों आपको कहानी कैसी लगी| आपकी सखी|
ज्योति आहूजा|